टीएफ़आई प्रीमियम में आपका स्वागत है। आज के इस लेख में हम भारत के अगले राष्ट्रपति के नाम का ऐलान करने जा रहे हैं। हम आपको यह भी बताएंगे कि क्यों वही शख्स भारत का अगला राष्ट्रपति बनने जा रहा है। उस शख्सियत के बारे में विस्तार से हम आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के बारे में कुछ बातें ज़रूर जान लेनी चाहिए।
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दूरदर्शी निर्णयकर्ता
नरेंद्र मोदी की राजनीति को जो समझता है वो जानता है कि मोदी की योजनाएं भविष्य की योजनाएं होती हैं। उनका प्रत्येक निर्णय आने वाले वक्त के अनुसार होता है। गुजरात से लेकर दिल्ली तक की उनकी राजनीतिक यात्रा को जिसने भी देखा है वो जानता है कि मोदी के ज्यादातर निर्णय चौंकाने वाले होते हैं। मोदी, जिस पर विश्वास करते हैं- उस पर अटूट विश्वास करते हैं और उसे राजनीति में मौके देते हैं। इसके साथ ही उनके निर्णयों के पीछे दूरदर्शिता होती है। भविष्य के समीकरण होते हैं। भविष्य की समझ होती है।
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राजनीतिक समझ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक समझ पर किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए। हर कोई जानता है कि पीएम मोदी के राजनीतिक फैसले हमेशा ही सही बैठते हैं। गुजरात में जब मोदी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ गए तो एक लंबे अरसे तक के लिए बैठे रहे। पीएम मोदी अपने हर फैसले से गुजरात में विपक्ष को ‘क्लीन बोल्ड’ करते रहे। वहीं, जब पीएम मोदी दिल्ली आए तो यहां भी उन्होंने विपक्ष को कहीं नहीं टिकने दिया। लोगों का दिल जीतना और राजनीति में छाए रहना पीएम मोदी को आता है- पीएम मोदी लोगों की नब्ज पकड़ते हैं। वो लोगों के लिए काम करते हैं- उनकी राजनीतिक समझ का ही नतीजा है कि उनके निर्णय ज्यादातर सही साबित होते हैं।
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वंचितों के नेता
पीएम मोदी ने हमेशा ही अपने निर्णयों में समाज के उस वर्ग को आगे किया है जोकि किसी ना किसी वज़ह से पिछड़ गया- जिसे कि पिछली सरकारों ने दरकिनार किया- जिन्हें उनका सही हक़ नहीं मिला- दलितों/वंचितों/पिछड़ों/पीड़ितों के लिए पीएम मोदी ने हमेशा से ही आगे बढ़कर काम किया है। उनकी नीति हमेशा से ही रही है कि समाज के उस वर्ग को आगे लाया जाए- जिसे दरकिनार किया गया है। गुजरात से लेकर दिल्ली तक के उनके निर्णयों में हमें हमेशा यही दिखा है। रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाना उसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
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राष्ट्रहित सर्वप्रथम
पीएम मोदी के लिए राष्ट्रहित हमेशा से ही सर्वप्रथम रहा है। वो राष्ट्रहित के लिए ही काम करते हैं। उसी तरह से सोचते हैं- और विचार करते हैं। ऐसे में उनके निर्णय भी ऐसे ही होते हैं। वो उसी शख्स को चुनते हैं जोकि पहले से ही राष्ट्रहित में कार्यरत हो। राष्ट्र के लिए काम करता हो। उनके तमाम निर्णयों में हमें इसकी झलक दिखाई देती है।
कौन बनेगा राष्ट्रपति ?
तो हमने पीएम मोदी के विशाल व्यक्तित्व की उन कुछ विशेषताओं को देखा जो पीएम मोदी को ‘पीएम मोदी’ बनाती हैं। तो चलिए अब हम आपको बताते हैं कि भारत का अगला राष्ट्रपति कौन बन सकता है।
द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू- वो नाम है जिसके ऊपर पीएम मोदी मुहर लगा सकते हैं। और भारत का अगला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बन सकती हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि मुर्मू को ही राष्ट्रपति क्यों बनाया जा सकता है? मुख्य धारा की मीडिया में तो कई नाम चल रहे हैं- आरिफ मोहम्मद का नाम सामने आ रहा है। वेंकैया नायडू का नाम भी लिया जा रहा है। फिर हम अकेली मुर्मू का नाम ही क्यों ले रहे हैं? तो चलिए आपको बताते हैं कि क्यों द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बन सकती हैं।
आदिवासी
भारत में अभी तक कोई भी आदिवासी राष्ट्रपति नहीं बना है। पीएम मोदी एक आदिवासी को भारत का अगला राष्ट्रपति बनाकर देश के सामने उदाहरण पेश कर सकते हैं। पीएम मोदी ने ही ‘एक दलित’ रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया था और अब पीएम मोदी ही एक आदिवासी को राष्ट्रपति बना सकते हैं।
द्रौपदी मुर्मू का आदिवासी होना पीएम मोदी की राजनीतिक समझ के अनुसार भी सटीक बैठता है। इस एक निर्णय से पीएम मोदी 2024 को भी साधने की कोशिश करेंगे और आने वाले विधानसभा चुनावों को भी। लोकसभा की 543 सीटों में से 47 सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इसके साथ ही 62 लोकसभा सीटों पर आदिवासी समुदाय का सीधा-सीधा प्रभाव है। वहीं, अगर विधानसभा चुनावों की बात करें तो मध्य-प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात में आदिवासी मतदाता प्रभावी हैं।
गुजरात में तो इसी वर्ष चुनाव होने हैं और गुजरात के आदिवासी मतदाताओं पर बीजेपी की पकड़ कुछ कमजोर भी रही है। प्रदेश में करीब 14 फीसदी आदिवासी हैं- जोकि 60 सीटों पर निर्णायक भूमिका में रहते हैं। इसके साथ ही 182 सदस्यीय विधानसभा में 27 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। भाजपा की अगर बात करें तो 2007 में पार्टी ने 13, 2012 में पार्टी ने 11 और 2017 में पार्टी ने 9 सीटें जीती थीं।
मध्य-प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 2023 में चुनाव होना है। मध्य प्रदेश की अगर बात करें तो कुल 230 सीटों में से 84 सीटों पर एसटी निर्णायक भूमिका में हैं। 2013 में भाजपा ने यहां से 59 सीटें जीती थी लेकिन 2018 में यह घटकर सिर्फ 34 रह गईं। इसी तरह की स्थिति छत्तीसगढ़, ओड़िशा, महाराष्ट्र और झारखंड में भी है- जहां आदिवासी समाज चुनावों के नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
इन परिस्थितियों को देखते हुए साफ कहा जा सकता है कि द्रौपदी मुर्मू पर पीएम मोदी दांव लगा सकते हैं।
संवैधानिक अनुभव
द्रौपदी मुर्मू का संवैधानिक पद पर रहने का अनुभव भी उनके पक्ष में काम करता है। मुर्मू झारखंड की इकलौती ऐसी राज्यपाल रही हैं जिन्होंने अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया। कार्यकाल पूरा ही नहीं किया बल्कि उनके कार्यकाल को विस्तार भी मिला था। वो 6 वर्ष से अधिक समय के लिए झारखंड की राज्यपाल रही। राज्यपाल रहते हुए मुर्मू हमेशा आदिवासियों और बालिकाओं के हितों को लेकर सजग और तत्पर रही। राज्यपाल रहते हुए वो अपनी सादगी के लिए भी जानी गई- उनके राज्यपाल रहते हुए कोई भी विवाद सामने नहीं आया।
महिला
द्रौपदी मुर्मू महिला हैं- और महिला होना भी उनके पक्ष में जाता है। दरअसल, प्रधानमंत्री बनने के बाद से पीएम मोदी ने महिलाओं के हितों के लिए तमाम कार्य किए हैं- तमाम नीतियों से- तमाम योजनाओं से- तमाम जागरुकता के अभियानों से उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम किया है। हर घर में शौचालय की बात हो- महिलाओं को गैस सिलेंडर देने की बात हो- आवास योजना में महिलाओं को प्राथमिकता देने की बात हो- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की बात हो- पीएम मोदी ने हमेशा ही महिलाओं के हितों की बात की है।
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यही कारण है कि आज देश की महिलाएं पीएम मोदी के पक्ष में खड़ी दिखाई देती हैं। हाल में हुए कई राज्यों के विधानसा के चुनाव परिणाम भी हमें यही बताते हैं कि महिलाएं पीएम मोदी के साथ खड़ी हैं। ऐसे में एक महिला को राष्ट्रपति बनाकर पीएम मोदी पूरे देश को और दुनिया को यह संदेश दे सकते हैं कि भारत में एक ऐसी सरकार है जो महिला सशक्तिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।
ओडिशा
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की हैं। उनका जन्म मयूरभंज जिले के एक गांव में हुआ था। भाजपा और बीजू जनता दल की जब संयुक्त सरकार ओडिशा में थी- उस वक्त द्रौपदी मुर्मू राज्य सरकार में मंत्री पद पर भी रही। 6 मार्च, 2000 से लेकर 16 मई, 2004 तक वो मंत्री रही। ऐसे में अगर भाजपा उन्हें राष्ट्रपति बनाती है तो पार्टी ओडिशा में भी मजबूती के साथ आगे बढ़ सकती है। ओडिशा में अबतक भाजपा ने अपनी पकड़ उतनी मजबूत नहीं कर पाई है लेकिन उसकी पूरी कोशिश है कि ओडिशा को जीता जाए और द्रौपदी मुर्मू उसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति के पद पर बैठाना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए भी एक मौका होगा। दरअसल, संघ ने आदिवासी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा काम किया है। संघ के आदिवासी काम की तारीफ कई बार भाजपा की विरोधी पार्टियां भी करती हैं। ऐसे में अगर भाजपा द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाती है तो यह संघ के कार्यों पर भी एक मुहर होगी।
21 जुलाई को वोटों की गिनती
इन सभी तथ्यों को देखते हुए यह निश्चित तौर कहा जा सकता है कि द्रौपदी मुर्मू भारत का अगला राष्ट्रपति बन सकती हैं। लेकिन किसी भी चौंकाने वाले निर्णय के लिए भी आपको तैयार रहने होगा। दरअसल, मोदी को पूरी तरह से ‘डिकोड’ करना करीब-करीब नामुमकिन है- इसलिए हो सकता है कि वो किसी ऐसे शख्स के नाम का ऐलान कर दें जिसके बारे में हमने सोचा भी नहीं होगा।
भारत के 16वें राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को चुनाव होगा। 15 जून को चुनाव की अधिसूचना जारी होगी और 29 जून तक नामांकन दाखिल होंगे। 21 जुलाई को वोटों की गिनती होगी यानी कि 21 जुलाई को ही देश को अगला राष्ट्रपति मिलेगा। उम्मीद करते हैं कि 21 जुलाई को हम सही साबित होंगे और द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन में निवास करेंगी।
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