कभी भारत को दुत्कारने वाला Lancet अब उसी के भजन गा रहा है

भारत की प्रशंसा में Lancet चार चांद लगाने लगा है

MODI

Source TFIPOST.in

किसी ने सही ही कहा है, व्यक्ति की पांचों उंगलियां और समय कभी एक समान हो ही नहीं सकता। ये कब पलट जाए किसी को आभास भी नहीं होता। जो कभी भारत को नीचा दिखाने का प्रयास हाथ से जाने नहीं देता था अब वही भारत के गुणगान कर रहा है।

इस लेख में जानेंगे कि कैसे कभी भारत को अपमानित करने वाला, भारत की क्षमताओं पर प्रश्न चिह्न लगाने वाला स्वास्थ्य जर्नल Lancet अब भारत की प्रशंसा में चार चांद लगा रहा है।

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यह शत प्रतिशत सत्य है

चकित न हों, यह शत प्रतिशत सत्य है। अभी हाल ही में The Lancet के Infectious Diseases विभाग ने अपनी पत्रिका में अपना शोध प्रकाशित करते हुए बताया कि 42 लाख से अधिक लोग डेल्टा वेव के भयानक संक्रमण में मारे जा सकते थे और यदि भारत के कोविड 19 वैक्सीन सही समय पर लागू नहीं हो पाते तो ये संख्या और भी अधिक हो सकती थी। ऐसे में हमें मानना पड़ेगा कि भारत में टीकाकरण की योजना सफलतापूर्वक लागू हुई है।”

कमाल है, Lancet हमारी प्रशंसा के पुल बांध रहा है। परंतु यह वही Lancet है जो हमारे वैक्सीन की क्षमता पर ही प्रश्नचिह्न लगा रहा था और न जाने हमारे देश के विरुद्ध क्या क्या बोल रहा था।

अब आप भी सोच रहे होंगे कि ये कैसे संभव है? 2020 में जब कोविड के प्रथम लहर से संसार जूझ रहा था तो WHO ने HCQ के क्लिनिकल परीक्षण पर अस्थायी रोक लगा दी थी। WHO ने यह निर्णय मशहूर ऑनलाइन मेडिकल जर्नल The Lancet में प्रकाशित एक अध्ययन के बाद लिया था जिसमें यह पाया गया था कि HCQ दवा के उपयोग से मौत का खतरा 34 प्रतिशत और गंभीर heart arrhythmias का खतरा 137 प्रतिशत बढ़ जाता है। अब इस शोध के प्रकाशित होने के बाद इस जर्नल की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठने लगे। सौ से अधिक वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने इस रिपोर्ट के आधार यानी अस्पताल के डेटाबेस की प्रमाणिकता पर संदेह किया, जिसके पश्चात अब WHO ने पुनः HCQ का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने का निर्देश दिया।

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भारत विरोधी कृत्य जारी रहा

परंतु The Lancet की भारत विरोधी कृत्य यहीं पर समाप्त नहीं हुए। एजेंडावादी संस्था Lancet ने अपने विवादित लेख में वुहान वायरस की दूसरी लहर के लिए सारा ठीकरा नरेंद्र मोदी की सरकार और हिन्दुत्व पर फोड़ने का प्रयास किया। एक मेडिकल जर्नल होते हुए भी Lancet ने ऐसे शब्दों का उपयोग किया, जिसके लिए आम तौर वामपंथी काफी कुख्यात हैं। अब ये और बात है कि The Lancet को वह हास्यास्पद शोधपत्र वापिस लेना पड़ा था।

परंतु The Lancet का एक और स्याह पक्ष भी है। TFI पोस्ट के एक विश्लेषणात्मक पोस्ट के अनुसार, “यह हैरानी भरा था क्योंकि जब पिछले वर्ष चीन ने वुहान वायरस को पूरे विश्व में फैलाया तब तो Lancet ने किसी प्रकार का लेख नहीं लिखा था। हालांकि, जब इस लेख से जुड़े तथ्यों और लेखक से जुड़ी जानकारी पर नज़र डाली गयी, तो इसके पीछे की मंशा हमारे समझ में आई। इस लेख को Lancet’s Asia की editor चीन की Helena Hui Wang ने लिखा था। इससे अब यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि चीन के खिलाफ Lancet ने कोई लेख क्यों नहीं प्रकाशित किया और प्रधानमंत्री मोदी के विरुद्ध क्यों लिखा गया। इस प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल के अनुसार, मोदी इस संकट के लिए जिम्मेदार हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद भी द लैंसेट ने भारत सरकार की कड़ी निंदा की थी।”

ऐसे में जब The Lancet आज भारतीय टीकाकरण अभियान और भारतीय वैक्सीन के गुणगान करता हुआ दिखाई दे तो उस पर हंसे नहीं अपितु इस बात को स्वीकारें कि The Lancet को भी अपनी पराजय माननी पड़ी है। उन्होंने प्रयास तो बहुत किए परंतु सूर्य को झुकाने का साहस किसी तत्व में नहीं।

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