आगामी 10 जून को राज्यसभा की 57 सीटों के लिए चुनाव होना है। भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है। इस बार भाजपा ने कई नए नेताओं को मौका दिया है। सूची में भाजपा के ओबीसी मोर्चा के प्रमुख के.लक्ष्मण और शाहजहांपुर के पूर्व सांसद मिथिलेश कुमार का नाम यूपी से दो सीटों के लिए, मध्य प्रदेश से भाजपा उपाध्यक्ष सुमित्रा वाल्मीकि और कर्नाटक से एमएलसी, लाल सिंह सिरोया के नाम शामिल हैं। हालांकि, इस लिस्ट से मोदी सरकार में इकलौते मुस्लिम मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का नाम नहीं था। भाजपा ने मुख्तार अब्बास नकवी को राज्यसभा के लिए प्रत्याशी नहीं बनाया। जबकि नकवी 7 जुलाई 2022 को उच्च सदन से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मंगलवार को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन था।
मुख्तार अब्बास नकवी जो मंत्रिमंडल में भाजपा पार्टी के अकेले मुस्लिम मंत्री हैं उनका नाम राज्यसभा द्विवार्षिक चनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवारों की सूची में शामिल नहीं है। उनका नाम इस सूची में न होने के कारण राजनितिक गलियारों में थोड़ी हलचल सी मच गई है. राज्यसभा के लिए यह चुनाव 10 जून को निर्धारित हैं और नामांकन जमा करने की समय सीमा 31 मई, मंगलवार थी। 7 जुलाई को मुख्तार उच्च सदन छोड़ देंगे। इस बीच, राज्यसभा के नामांकन से मुख्तार अब्बास नकवी के निष्कासन ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में उनके बने रहने पर भी सवालिया निशान लगा दिया है, क्योंकि नियम यह कहते हैं कि एक मंत्री को संसद के किसी भी सदन का सदस्य होना चाहिए।
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रामपुर लोकसभा से उपचुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज
एएनआई के अनुसार, भाजपा ने अपने सभी पार्टी पदाधिकारियों को राज्यसभा में अधिकतम तीन कार्यकाल तक सीमित रखा है। वर्तमान में मुख्तार सदन में अपना तीसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। हालाँकि मुख्तार अब्बास नकवी 10 जून के राज्यसभा चुनाव के लिए भाजपा के नामांकन की तीसरी सूची से बाहर क्यों थे इस पर भाजपा पार्टी ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है लेकिन खबरों के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश के रामपुर में रहने वाले मुख्तार को आजम खान द्वारा खाली की गई लोकसभा सीट के लिए आगामी उपचुनाव में भाजपा द्वारा दावेदार के रूप में चुना जा सकता है। लोकसभा सीट के लीए इस साल 23 जून को उपचुनाव होंगे।
ऐसी भी अफवाहें है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार नक़वी को राज्यपाल के रूप में पद्दोन्नत किया जायेगा क्योंकि राज्य सरकार के विभिन्न पद काफी समय से खाली हैं। उच्च सदन के लिए मुख्तार नक़वी को फिर से नामित करने से भाजपा के इंकार के साथ और सैयद जफर इस्लाम और एम॰ जे॰ अकबर के लिए राज्यसभा के लिए कोई पुनर्नामांकन नहीं होने के कारण, पार्टी के पास वर्तमान में संसद में कोई मुस्लिम सदस्य नहीं है।
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भाजपा के साथ मुख्तार नक़वी की शुरुआत
एक भारतीय राजनेता और राज्यसभा में सदन के उपनेता और अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री हैं। मुख्तार अब्बास नक़वी एक छात्र नेता रहे हैं जिन्हें 17 साल की उम्र में 1975 के आपातकाल के दौरान जेल जाना पड़ा था। जनसंघ के दिनों से ही वे भाजपा से जुड़े हैं और एक छात्र नेता के रूप में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की। 1980 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में असफल रहने के बाद 1998 में मुख्तार नक़वी ने लोकसभा सीट हासिल की और अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में सूचना और प्रसारण मंत्री बने। वह 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी मंत्रालय में अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री बने। 12 जुलाई 2016 को नजमा हेपतुल्ला के इस्तीफे के बाद, उन्हें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला। वह 2016 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने 30 मई 2019 को नरेंद्र मोदी के कैबिनेट में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के साथ बने रहे।
बीजेपी की सियासत में मुख्तार अब्बास नकवी ने अपनी सियासी अहमियत बनाई और अब बीजेपी ने जब उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं दिया तो उनके सियासी भविष्य को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं, रामपुर लोकसभा सीट से आजम खान के इस्तीफा देने के बाद उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है, जहां पर बीजेपी हरहाल में जीतने की कोशिश में है।
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