WTO को यदि ऐसा प्रतीत होता है कि उससे बड़ा दादा संसार में कोई नहीं है, तो उसके इस भ्रम को दूर करने के लिए भारत सक्रिय रूप से मैदान में उतर चुका है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे भारत अब अपनी शर्तों पर काम करवाएगा और WTO से डिजिटल एक्स्पोर्ट्स पर अपनी बात भी मनवाएगा।
पीयूष गोयल का मन अभी भरा नहीं
लगता है पीयूष गोयल का मन अभी भरा नहीं है। हाल ही में उन्होंने WTO में सुझाव दिया कि डिजिटल एक्स्पोर्ट्स पर भी कस्टम ड्यूटी लगाई जाए, ताकि जो राजस्व पर अब तक केवल बिग टेक और कुछ चुनिंदा देशों का वर्चस्व था, उसका लाभ ‘विकासशील और उभरते हुए देशों को भी मिले’। दूसरे शब्दों में पीयूष गोयल का एजेंडा स्पष्ट था – अकेले अकेले क्या मजे लूट रहे हो, हमें भी हमारा हिस्सा दो
इसके साथ ही डिजिटल एक्स्पोर्ट्स के विषय पर अमेरिका जैसे देशों को आड़े हाथों लेते हुए पीयूष गोयल ने ये भी कहा कि एक ओर तो बड़े बड़े तकनीक और उसे संचालित करने वाले लोग एवं राष्ट्र बिना कोई विशेषकर या ड्यूटी दिए बच निकलते हैं, वहीं कपड़ा उद्योग जैसे छोटे काम के लिए भी तरह तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा भेदभाव नहीं चलेगा।
परंतु ये पीयूष गोयल के लिए कोई नई बात नहीं है। डबल्यूटीओ की बैठक से पूर्व ही पीयूष गोयल ने स्पष्ट कर दिया था कि भारत WTO अथवा उसके आकाओं की इच्छानुसार अब नहीं चलेगा।
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देश के मछुआरों के हितों का भी पीयूष गोयल को है ध्यान
TFIPost के एक विश्लेषणात्मक पोस्ट के अनुसार, “केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि सरकार देश के मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में बातचीत करेगी। वह मंगलवार (6 जून) की रात अलाप्पुझा जिले के अरूर में भाजपा द्वारा आयोजित लाभार्थी बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने समुद्र में मछलियों के भंडार की कमी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गहरे समुद्र के जहाजों वाले समृद्ध देश जो समुद्र से बड़ी मात्रा में मछलियां लेते हैं, वैश्विक संकट के लिए जिम्मेदार हैं। उनका इशारा चीन की ओर था क्योंकि चीन ने हाल ही में अपने जहाजों और नौसैनिक शक्ति के बल पर कई देशों के मछुआरों के लिए समस्या पैदा की है।
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एक अन्य विस्तृत रिपोर्ट बताती है कि सरकार वैश्विक स्तर पर अनाज के भंडारण और कालाबाजारी तथा वैक्सीन पेटेंट को लेकर भी अपना पक्ष रखेगी। एक ऐसे समय में जब दुनिया अनाज के संकट से जूझ रही है कुछ देशों द्वारा अनाज के भंडारण को बढ़ावा देना न्यायोचित नहीं है और भारत इसका विरोध करेगा। इसके अतिरिक्त भारत ने पूर्व में प्रस्ताव दिया था कि जिन देशों के पास वैक्सीन है उन्हें पेटेंट पर से अपने अधिकार छोड़ देना चाहिए जिससे गरीब देश आसानी से पूर्ण वैक्सीन की नकल बना सकें और वैक्सीन का उत्पादन तेजी से आगे बढ़ सके। हालांकि यूरोपीय शक्तियों ने भारत के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया था”।
ऐसे में पीयूष गोयल का एजेंडा स्पष्ट है – या तो हमारे हिसाब से संसार चले नहीं तो हम तरीका निकाल लेंगे और अब ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने तकनीक निकाल ही ली है क्योंकि अब WTO चाहकर भी भारत के विरुद्ध तो नहीं जा सकता।
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