सिद्धू मूसेवाला के चर्चित हत्याकांड के बाद पंजाब सरकार की बहुत किरकिरी हुई है। VIP कल्चर समाप्त करने के नाम पर बिना किसी पूर्व तैयारी के पंजाब सरकार ने कई महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा कम कर दी अथवा खत्म कर दी। इन लोगों में सिद्धू मूसेवाला का भी नाम था। उसकी सुरक्षा कम होते ही उसकी हत्या कर दी गई।
पंजाब हाईकोर्ट ने लगायी कड़ी फटकार
इस मामले में पंजाब हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई है जिसके बाद पंजाब सरकार ने अपना निर्णय वापस लेने का फैसला किया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार “भगवंत मान सरकार ने 2 जून को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को सूचित किया कि 7 जून से सुरक्षा बहाल कर दी जाएगी।” रिपोर्ट के अनुसार “पंजाब के सीनियर डिप्टी एडवोकेट जनरल गौरव धूरीवाला ने सीलबंद लिफाफे में हाईकोर्ट को बताया कि 7 जून से सुरक्षा प्राप्त सभी 424 लोगों की सुरक्षा बहाल कर दी जाएगी।” कांग्रेस के पूर्व विधायक कुलजीत सिंह नागरा, बलविंदर सिंह लड्डी, हरमिंदर गिल, मदन लाल जलालपुर, सुरजीत धीमान, हरदयाल कंबोज और सुखपाल भुल्लर, भाजपा और शिअद के पूर्व विधायक दिनेश बब्बू, शरणजीत सिंह ढिल्लों, कंवरजीत सिंह और गुरप्रताप सिंह वडाला सहित पंजाब के कई महत्वपूर्ण लोगों का नाम सुरक्षा की कटौती वाली सूची में था।
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इसके पूर्व पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार ( 1 जून ) को पंजाब सरकार से यह बताने को कहा कि उसने हाल ही में किस आधार पर राज्य में कई सुरक्षा प्राप्त लोगों की सुरक्षा वापस ले ली थी और उनकी पहचान सार्वजनिक रूप से कैसे उजागर की गई थी। यह स्पष्ट करते हुए कि मामले को लापरवाही से नहीं लिया जा सकता है, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से 2 जून तक सीलबंद लिफाफे में इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था। हाई कोर्ट का निर्णय कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री ओम प्रकाश सोनी द्वारा दायर याचिका पर आया है जिसमें कांग्रेस नेता ने उन्हें प्रदान की गई “जेड” श्रेणी की सुरक्षा वापस लेने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी थी।
रिपोर्ट के अनुसार पंजाब सरकार ने सुरक्षा वापस लेने का विचित्र कारण दिया है, क्योंकि उसने कहा कि सुरक्षा केवल 6 जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार की वर्षगांठ के लिए अस्थायी आधार पर वापस ले ली गई थी। 6 जून को ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी के लिए सुरक्षाकर्मीयों की आवश्यकता थी। हालांकि, सुरक्षा वापस लेने की सूचना देने वाली अधिसूचना में यह उल्लेख नहीं था कि यह एक अस्थायी कदम था, और यह स्पष्ट था कि सुरक्षा को स्थायी रूप से वापस ले लिया गया था। पंजाब सरकार ने VIP कल्चर समाप्त करने के नाम पर अपना निर्णय लिया था, हालांकि बाद में मूसेवाला की हत्या के बाद सवाल उठने पर सरकार ने यह नया बहाना दिया है।
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सुरक्षा व्यवस्था जरजर है
पंजाब में जब से आम आदमी पार्टी की सरकार आई है, पंजाब की सुरक्षा व्यवस्था और भी अधिक बिगड़ गई है। पिछले दिनों पंजाब में वर्षों बाद हिंदुओं और सिखों में दंगे जैसे हालात बने थे। पटियाला में अचानक हुए संघर्ष ने ना केवल शहर का बल्कि राज्य का माहौल खराब कर दिया था। हालांकि दोनों पक्षों ने समझदारी दिखाई जिससे मामला बिगड़ा नहीं।
इसके अलावा मोहाली में पुलिस की इंटेलिजेंस विंग के हेडक्वाटर पर रॉकेट हमला हुआ था। इस मामले में पुलिस ने खालिस्तानी तत्वों की साजिश की बात स्वीकार की थी। पंजाब में वर्षों बाद खालिस्तान का विचार पुनः सिर उठा रहा है और पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार इससे निपटने में अक्षम है।
आप सरकार ड्रग माफिया के विरुद्ध संघर्ष का नारा देकर सत्ता में आई थी किन्तु अब तक इनके विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। हालांकि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पुलिस को फिल्मी अंदाज में चेतावनी दी है किंतु इससे वास्तविक परिस्थितियों में बदलाव नहीं होने वाला। एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब का हर सातवां व्यक्ति ड्रग्स ले रहा है और हर दूसरे दिन एक युवा की मृत्यु हो रही है। ड्रग्स लेने वालों में 60% युवा केवल 28 वर्ष या उससे कम आयु के हैं। मई में आई रिपोर्ट बताती है कि मात्र 100 दिनों में 59 युवाओं की ड्रग्स के कारण मृत्यु हुई है। पंजाब के युवा हर दिन ड्रग्स पर करीब 17 करोड़ रुपए खर्च करते हैं। यानी ये युवा एक महीने में करीब 6500 करोड़ रुपए ड्रग्स पर बर्बाद कर रहे हैं।
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ऐसे हालात में भी आम आदमी पार्टी सत्य का सामना करने को तैयार नहीं है। उल्टे भगवंत मान दिल्ली के मुख्यमंत्री के साथ दूसरे राज्यों का चुनावी दौरा कर रहे हैं। PR स्टंट के नाम पर शिक्षकों को ऑक्सफ़ोर्ड और हार्वर्ड भेजने की बातें हो रही हैं, जबकि विद्यार्थी ड्रग्स के जंजाल में फंसते जा रहे हैं। ड्रग्स के बाद खुलेआम शुरू हो चुकी गैंगवॉर और खालिस्तानी हनक एक बड़ा सिरदर्द बन सकती है। पंजाब सरकार को नींद और नशे की अवस्था से बाहर आना चाहिए, अन्यथा पंजाब पूरे भारत के लिए संकट पैदा कर देगा।