अब से कुछ वर्ष पूर्व अगर हम कहते कि UN को हम उसकी औकात बता सकते हैं, तो आप भी बोलते, मज़ाक चल रहा है क्या? परंतु लगता है हमारे शत्रु स्वयं ही आतुर है कि आइए मालिक, हमारी भी तनिक खातिरदारी कर ही दीजिए। गुजरात दंगों पर दुष्प्रचार फैलाने और तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने वाले एक एनजीओ की कर्ताधर्ता कथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ अब ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है। ऐसे में मानवाधिकार के कथित रक्षकों को इस कार्रवाई से काफी दिक्कत ह़ो रही है। वामपंथी संगठनों से लेकर भारत के विपक्षी दलों तक ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने के प्रयास किए हैं। हालांकि उनके इन विऱोधों से सरकार को ढेले भर का अंतर नहीं पड़ता है, बल्कि तीस्ता के खिलाफ जांच और तेज हो रही है। वहीं तीस्ता सीतलवाड़ को बचाने में संयुक्त राष्ट्र भी उतर आया है जिसके बाद अब भारत ने पलटकर संयुक्त राष्ट्र की क्लास लगा दी है।
भारत को बहुत ज्ञान देने का प्रयास किया गया
दरअसल, तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी को लेकर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने भारत को बहुत ज्ञान देने का प्रयास किया था और तीस्ता सीतलवाड़ की जल्द से जल्द रिहाई की मांग भी की थी लेकिन अब इस मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर संयुक्त राष्ट्र को अपनी सीमा में रहने की चेतावनी दे दी है। विदेश मंत्रालय ने इस टिप्पणी को ‘पूरी तरह अवांछित’ करार देते हुए स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह देश की स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने बयान में कहा कि एजेंसियों ने स्थापित न्यायिक नियमों के तहत कानून के उल्लंघन के विरुद्ध कार्रवाई की है इसलिए किसी विदेशी शख्स या संस्थान को इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने का कोई अधिकार नहीं है।
तीस्ता सीतलवाड़ के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) की टिप्पणी पर बागची ने कहा कि ओएचसीएचआर की सीतलवाड़ मामले पर टिप्पणी पूरी तरह से अवांछित है और भारत की स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ऐसी कानूनी-कार्रवाई को उत्पीड़न बताना, गुमराह करने वाला और अस्वीकार्य है।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने ली खबर
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने कहा कि हमने तीस्ता सीतलवाड़ एवं दो अन्य लोगों के विरुद्ध कानूनी-कार्रवाई को लेकर ओएचसीएचआर की टिप्पणी को देखा है। उन्होंने कहा, “ओएचसीएचआर की टिप्पणियां पूरी तरह से अवांछित हैं और भारत की स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करती है।“
ध्यान देने वाली बात है कि ओएचसीएचआर ने तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार किए जाने पर छाती पीटना शुरू कर दिया था। साथ ही उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग की है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने मंगलवार को ट्वीट किया, “भारत : हम तीस्ता सीतलवाड़ एवं दो पूर्व पुलिस अधिकारियों की हिरासत और गिरफ्तारी को लेकर काफी चिंतित हैं और उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग करते हैं। उनकी सक्रियता एवं 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए उनका उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए।”
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टीएफआई ने आपको तब ही बता दिया था कि भारत को संयुक्त राष्ट्र के इस बयान से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है और अब कुछ ऐसा ही हुआ है क्योंकि भारत के आंतरिक मामले में बोलने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र की धज्जियां उड़ा दी हैं। लेकिन लगता नहीं कि UN अपनी हरकतों से बाज़ आएगा, क्योंकि अब UN के महासचिव के प्रवक्ता ने अब फेक न्यूज शिरोमणि, मोहम्मद ज़ुबैर के गिरफ़्तारी पर घड़ियाली आंसू बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ऐसे में एक ही प्रश्न उठता है कि “संयुक्त राष्ट्र है कौन जो हमें बताए कि हमें क्या करना चाहिए?
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