चीन को इज़रायल से बाहर करने के लिए अडानी ने खरीद लिया बंदरगाह

9500 करोड़ में अडानी ने डील पक्की कर दी है, आगे क्या होगा?

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Source- TFIPOST.in

देश के जाने माने उद्योगपति गौतम अडानी जो भारत के सबसे अमीर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी को टक्कर दे रहे हैं आज उन्होंने एक बार फिर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस बार उन्होंने अंबानी या टाटा से नहीं बल्कि सीधे चीन को टक्कर देने का मन बना लिया है और पूरे जोर- शोर से इसकी तैयारी में भी लगे हैं।

हाल ही में खबर आई है कि अरबपति गौतम अडानी की फर्म अडानी पोर्ट्स ने 14 जुलाई को लोकल बिज़नेस पार्टनर केमिकल एंड लॉजिस्टिक्स ग्रुप गैडोट के साथ मिलकर इजराइल के हाइफा पोर्ट के निजीकरण का टेंडर जीता है। इजरायल का यह अहम बंदरगाह भू-मध्यसागर के तट (Mediterranean Sea Cost) पर स्थित है। साथ ही यह बंदरगाह व्यापार के सबसे बड़े और प्रमुख केंद्रों में से एक है।

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नवीनतम अपडेट के बारे में जानकारी स्वयं गौतम अडानी ने ट्विटर पर देते हुए कहा, “हमारे साथी गैडोट के साथ इज़राइल में हाइफ़ा बंदरगाह के निजीकरण के लिए टेंडर जीतकर प्रसन्नता हुई। यह दोनों देशों के लिए अत्यधिक सामरिक और ऐतिहासिक पल है. मुझे हाइफ़ा में होने पर गर्व है, जहां भारतीयों ने 1918 में सैन्य इतिहास में सबसे बड़ी सेना का नेतृत्व किया।”

रॉयटर्स के मुताबिक, अडानी और उनके पार्टनर ने यह टेंडर 4.1 अरब शेकेल (1.18 अरब अमेरिकी डॉलर) की कीमत पर जीता। इजरायल को उम्मीद है कि इससे आयात की कीमतें कम होंगी और इजरायल के बंदरगाहों पर अब लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

इजराइल में अडानी का यह पोर्ट एक निजी बंदरगाह के साथ प्रतिस्पर्धा करेगा जिसने पिछले साल खाड़ी में अपना बंदरगाह खोला था। यह प्रतिद्वंदी और कोई नहीं बल्कि चीन का शंघाई इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप (एसआईपीजी) है। तो अब यहाँ सवाल यह उठता है कि अडानी के सामने चीन का यह पोर्ट ग्रुप कितने समय तक टिक सकेगा?

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देश के हर क्षेत्र में अडानी का परचम

अडानी देश के वह उद्योगपति हैं जिन्होंने शून्य से शुरुआत कर आज तीन दशकों की मेहनत के बाद अपने बल पर सात सूचीबद्ध कंपनियां खड़ी कीं जो आज 153 बिलियन डॉलर का संयुक्त बाजार पूंजीकरण कमा रही है। अडानी के पास बिज़नेस की जो समझ और ज्ञान है वह शायद ही किसी के पास हो। वह हर तरह के क्षेत्र में पैर जमा रहे हैं और सफलता भी हासिल कर रहे हैं। फिर चाहे वह कोयले का व्यापार हो, हवाई अड्डे का संचालन, ग्रीन एनर्जी हो या फिर इंफ्रास्ट्रक्चर एम्पायर, ये अडानी की व्यावसायिक कौशल का एक छोटा सा नमूना हैं।

इतना ही नहीं, अडानी के स्वामित्व वाला ‘अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (APSEZ Ltd.)’ भारत का सबसे बड़ा निजी पोर्ट ऑपरेटर और एंड-टू-एंड लॉजिस्टिक्स प्रदाता है जिसके 13 पोर्ट और टर्मिनल देश के पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों पर स्थित हैं। दो दशकों से भी कम समय में, अडानी ने पूरे भारत में बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे और सेवाओं के एक अद्वितीय पोर्टफोलियो का निर्माण, अधिग्रहण और विकास किया है। अडानी के 13 रणनीतिक रूप से स्थित बंदरगाह और टर्मिनल देश की 24% बंदरगाह क्षमता का प्रतिनिधित्व करते हैं।

जिस तरह से अडानी भारत में कई प्रमुख बंदरगाहों का संचालन कर रहे हैं उन्हें भारत के बंदरगाहों का राजा कहना गलत नहीं होगा। साथ ही बंदरगाह का संचालन करने का जितना अनुभव अडानी के पास है उतना शायद ही किसी के पास हो। अडानी का सपना प्रमुख वैश्विक बंदरगाह समूह बनाने का है। ऐसे में साफ है कि चीन का बंदरगाह जिसका प्रतिद्वंदी, अडानी इस क्षेत्र में इतना मांझा हुआ कलाकार है उसके सामने शंघाई का यह पोर्ट अब अधिक दिन नहीं ठहरने वाला।

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