पढ़ लेना और कुछ अधिक ही पढ़ लेना कभी-कभी आफत को निमंत्रण दे देता है। भारत के तेजस्वी भविष्य की बागडोर जिस नौकरशाही तंत्र पर है जब वो ही भारतीय न होकर पश्चिमी हो जाएगा तो कैसे चलेगा?
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे आज की परिस्थिति ऐसी होती जा रही हैं कि अफसरशाही की लालफीताशाही का चश्मा बड़े-बड़े अधिकारियों की आंखों से उतरने का नाम नहीं ले रहा है।
हालिया प्रकरण बिहार के लखीसराय का है
अब हालिया प्रकरण बिहार के लखीसराय का है जहां एक विद्यालय के निरिक्षण के दौरान का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में वहां के जिलाधिकारी संजय कुमार विद्यालय के प्रिंसिपल निर्भय कुमार सिंह को हड़का रहे हैं और उनके पहनावे पर फब्तियां कस रहे हैं। बीते दिनों एक आईएएस दंपत्ति का भी मामला तूल पकड़ा था जो दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में खिलाडियों को प्रैक्टिस करने से वंचित कर कुत्ते को टहला रहे थे। इन घटनाक्रमों से प्रतीत होता है कि कैसे त्यागराज हो, या लखीसराय, “ब्राउन साहिब” एक मानसिकता है जिसे आज कुचलने की आवश्यकता है।
https://twitter.com/priyanka2bharti/status/1546513111938912257
दरअसल, एक डीएम का एक स्कूल के प्रधानाध्यापक को काम पर ‘कुर्ता पायजामा’ पहनने के लिए उनकी भर्त्स्ना करने का एक वीडियो सामने आया है। वायरल वीडियो में बिहार के लखीसराय जिले के डीएम संजय कुमार सिंह, विद्यालय के प्रधानाचार्य को उनके पहनावे को लेकर डांटते और उनके वेतन को रोकने और कारण बताओ नोटिस देने का काम कर रहे हैं।
वीडियो में डीएम संजय कुमार, प्रधानाचार्य निर्भय कुमार सिंह को ये कहते हुए दिखते हैं कि, “किसी तरीके से आप शिक्षक जैसा लग रहे हैं? मुझे तो लगा कि आप स्थानीय जनप्रतिनिधि हैं, शिक्षक हैं आप? अगर शिक्षक हैं तो इस वेशभूषा में मत रहिए। क्लास में आइए तो शिक्षक की तरह रहिए। क्लास के बाद आपको जैसे भी पहन के रहना है तो रहिये। आपको तो यह भी समझ नहीं आता है कि जब कोई निरीक्षण के लिए आ रहा है तो कैसी तैयारी रखनी चाहिए।”
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डीएम देने लगे एक के बाद एक आदेश
डीएम ने आगे कहा कि, “न हम उनकी कोई तत्परता देख रहे हैं कि वे बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उनको कारण बताओ नोटिस भेजिए कि उन्हें यहां से क्यों नहीं हटा दिया जाए, इनका वेतन तुरंत बंद कर दीजिए। वे प्रिंसिपल रहने लायक नहीं हैं।”
ऐसे घटनाक्रम प्रदर्शित करते हैं कि कैसे IAS बनने की राह में पढाई करते-करते अपने मूल को भूल जाते हैं। वरना बिहार के लखीसराय के विद्यालय में प्रधानाचार्य ने यदि कुर्ता-पायजामा पहना था तो इससे कौन सा बड़ा गुनाह हो गया? वर्षों तक तो विद्यालयों में यही पहनावा चलता आया है। डीएम का हड़काना और कार्रवाई करना तब वाजिब होता जब शिक्षक और प्रधानाचार्य के लिए एक तय पोशाक निर्धारित की गयी होती पर ऐसा तो हुआ नहीं था। अब डीएम साहब की बात पर ही आएं तो क्या केवल जनप्रतिनिधि और नेताओं पर ही कुर्ता-पायजामा पहनने का कॉपीराइट है, यह विचारणीय है।
ध्यान देने वाली बात है कि बीते दिनों एक प्रशासनिक सेवा अधिकारी जिस ध्येय के लिए स्टेडियम बने हैं उसको दरकिनार करते हुए अपने कुत्ते के साथ टहलने के लिए खिलाड़ियों को उनके अधिकार से वंचित कर रहे थे। दरअसल, दिल्ली के तत्कालीन प्रधान सचिव (राजस्व) संजीव खिरवार ने ‘कुत्ते को घुमाने’ के बाद नया विवाद छेड़ दिया था जिसके बाद आईएएस दंपत्ति का तबादला अलग-अलग जगह कर दिया गया था।
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नौकरशाहों के विवादों की लिस्ट लंबी है, वर्ष 2021 में त्रिपुरा के जिलाधिकारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में वो एक शादी हॉल पर छापेमारी कर रहे थे। वीडियो में डीएम शैलेश यादव बेहद गुस्से में मौजूद पुलिसकर्मियों को डांट लगा रहे थे। इतना ही नहीं उनके सामने जो आया उसमें थप्पड़ जड़ते चले गए। वीडियो वायरल होने के बाद डीएम शैलेश यादव ने शादी रुकवाने के लिए माफी मांग ली थी। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना नहीं था।
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नौकरशाहों का दिन प्रतिदिन नए विवादों से दोचार होना दिखाता है कि कैसे वो पश्चिमी सभ्यता को घोटकर ऐसा पी चुके हैं कि भारतीय सभ्यता, परिधान उनके लिए हीन भावना के अतिरिक्त कुछ नहीं है। इस पूरे प्रकरण में जिस प्रकार डीएम ने प्रधानाचार्य को छात्रों के सामने लताड़ा वो बेहद निंदनीय है। अहम में चूर अधिकारी को न तो अपने दायित्व का भान है न तो नैतिकता का बोध।
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