फ़ेक न्यूज़ किसी महामारी से भी ज़्यादा ख़तरनाक होती है. फ़ेक न्यूज़ संक्रमणकारी रोग से भी अधिक तेजी से प्रसारित होती है. ऐसी ही एक फ़ेक न्यूज़ इन दिनों सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है. सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि अंतिम संस्कार से संबंधित सेवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी बढ़ा कर 18 फीसदी कर दिया गया है.
जयराम रमेश ने फैलाई फ़ेक न्यूज़
इस झूठी ख़बर को किसी सोशल मीडिया ट्रोलर ने नहीं बल्कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने फैलाया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री की इस ‘आपराधिक हरकत’ का आज हम पर्दाफ़ाश करने जा रहे हैं. जयराम रमेश ने 19 जुलाई को एक ट्वीट थ्रेड की. इस थ्रेड के एक ट्वीट में उन्होंने तीन बिंदु लिखे हैं. तीसरे बिंदु में वो कहते हैं, ‘सूची को पढ़िए, अंतिम संस्कार पर जीएसटी बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया गया है।’
तो यह जयराम रमेश का ट्वीट है. जयराम रमेश के इस ट्वीट का हम फैक्ट चेक करेंगे लेकिन उससे पहले आप यह जान लीजिए कि अकेले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ही नहीं हैं जो यह फ़ेक न्यूज़ सोशल मीडिया पर फैला रहे हैं. बल्कि उनके जैसे धूर्त और भी कई हैं. और भी कई सोशल मीडिया यूजर्स लिख रहे हैं कि अंतिम संस्कार पर सरकार ने जीएसटी बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया है. नीचे हमने उन धूर्तों के ट्वीट लगाए हैं जिनमें यह लोग फ़ेक न्यूज़ फैला रहे हैं.
यह तो कुछ स्क्रीनशॉट हैं ऐसे तमाम यूज़र सोशल मीडिया पर यह फ़ेक न्यूज़ फैला रहे हैं.
https://twitter.com/kappansky/status/1549671575158673410
कांग्रेस नेता और कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया कॉर्डिनेटर शैलेंद्र चौधरी ने भी ट्विटर पर यही फ़ेक न्यूज़ फैलाई है.
शमशान पर 18 प्रतिशत जीएसटी टैक्स को आप क्या कहेंगे?
आपदा में अवसर, निर्दयी सरकार या दोनो?
18% GST on crematorium. #GST pic.twitter.com/50lVbvzbV2
— Shailendra Choudhary (@shailendra489) July 20, 2022
और पढ़ें: अहमद पटेल तो गुजर गए लेकिन ‘चाटुकारिता के कई साक्ष्य’ छोड़ गए
पोर्टल पर पड़ताल
तो चलिए अब इस दावे की सच्चाई जान लेते हैं। इसकी सच्चाई पता करने के लिए सबसे पहले हम GST के आधिकारिक पोर्टल www.gst.gov.in पर पहुंचे. यहां हमने अंतिम संस्कार पर कितने फीसदी जीएसटी लगता है यह ढूंढने की कोशिश की. हमने यह भी पता लगाने की कोशिश की कि अंतिम संस्कार से संबंधित क्रियाओं पर कितने फीसदी जीएसटी लगता है. जीएसटी की सूची में हमें इससे संबंधित कुछ भी नहीं मिला. इसके बाद हमने और आगे बढ़ने की ठानी.
कानून में क्या लिखा है?
इसके बाद हमने केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर कानून-2017 को पढ़ा. कानून में, ‘शवयात्रा, दफनाने की प्रक्रिया, अंतिम संस्कार की प्रक्रिया और मुर्दाघर की दूसरी सेवाओं को अलग वर्गीकृत किया गया है. कानून में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि उपर्युक्त क्रियाओं को और लेन-देन को न तो माल की आपूर्ति के तौर पर और ना ही सेवाओं की आपूर्ति के तौर पर माना जाएगा.’ इसका अर्थ यह हुआ कि अंतिम संस्कार से संबंधित सभी कार्य जीएसटी से बाहर हैं.
अंतिम संस्कार और इससे संबंधित सेवाओं को तो जीएसटी से छूट दे गई है लेकिन अंतिम संस्कार, दफनाने या फिर दाह संस्कार के लिए संरचना का निर्माण, कमीशनिंग और स्थापना, मरम्मत, रख-रखाव, नवीनीकरण से आपूर्ति की जाने वाली कार्य अनुबंध सेवाओं को जीएसटी से छूट नहीं है. कार्य अनुबंध को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर कानून-2017 की धारा 2 (119) में परिभाषित किया गया है.
और पढ़ें: विपक्षी पार्टियों ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया और फिर स्वयं ही हरवा दिया
इसके अनुसार, ‘कार्य अनुबंध’ का अर्थ भवन के लिए कॉन्ट्रैक्ट, निर्माण कार्य, फिटिंग, मरम्मत, रखरखाव, नवीनीकरण, परिवर्तन, संशोधन के लिए एक अनुबंध है।’
शुरुआत में अंतिम संस्कार के मैदान और श्मशान घाट बनाने पर 12 फीसदी जीएसटी लगाया गया था.
PIB का फ़ैक्ट चेक
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो यानी PIB ने भी इस दावे का फैक्ट चेक करते हुए- वही कहा है जो हमने कानून को पढ़ने के बाद निष्कर्ष निकाला है.
पीआईबी ने कहा है कि यह दावा भ्रामक है. अंतिम संस्कार, दफनाने या फिर मूर्दाघर से संबंधित सेवाओं पर कोई जीएसटी नहीं लगता है. इसके साथ ही पीआईबी ने बताया है कि 18 फीसदी जीएसटी सिर्फ कार्य अनुबंध पर लगता है सेवाओं पर नहीं.
Claim: There will be 18% GST on Crematorium Services.#PIBFactCheck
▶️This claim is #Misleading.
▶️There is no GST on funeral, burial, crematorium, or mortuary services.
▶️In this reference GST @ 18% is only applicable for work contracts and not the services. pic.twitter.com/7HE2MPMs1s
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) July 20, 2022
इन दो पड़तालों से यह साफ हो जाता है कि अंतिम संस्कार और इससे संबंधित सेवाओं पर कोई जीएसटी नहीं लगता है बल्कि 18 फीसदी जीएसटी श्मशान घाट से संबंधित कार्य अनुबंध पर लगता है. इससे यह साफ होता है कि जो अफवाह फैलाई जा रही है, दरअसल वो फ़ेक न्यूज़ है. दुखद यह है कि इसे फैलाने में सबसे बड़ी भूमिका कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने निभाई है. जयराम रमेश ऐसे कई कारनामे पहले भी कर चुके हैं.
और पढ़ें: क्या हिंदू होना अपराध है? नम्बी नारायणन ने वामपंथी कुनबे में ‘रॉकेट’ घुसा दिया है
फ़ेक न्यूज़ से स्वयं को बचाइए
पीएम मोदी के लिए इन्हीं जयराम रमेश ने बहुत ही घटिया शब्दों का इस्तेमाल किया था. जयराम रमेश जैसे वयोवृद्ध कांग्रेसी नेताओं के पास जनता ने और कोई काम तो छोड़ा नहीं तो यह लोग ट्विटर पर फ़ेक न्यूज़ फैलाकर ही किसी ना किसी तरह से मीडिया में बने रहते हैं. लेकिन आपको देश के एक सजग नागरिक के तौर पर इन भ्रामक दावों से- इन अफवाहों से- इन धूर्त चालों से- इन धोखेबाजों से स्वयं को बचाकर रखना है. इसलिए हमने आपके सामने फैक्टचेकर वेबसाइट factcrescendo से तथ्य लेकर यह पड़ताल पेश की है. जिससे कि आप फ़ेक न्यूज़ से अपने आप को बचाकर रखें. देवभाषा संस्कृत का एक श्लोक भी है-
भूमिः कीर्तिः यशो लक्ष्मीः पुरुषं प्रार्थयन्ति हि।
सत्यं समनुवर्तन्ते सत्यमेव भजेत् ततः।।
इस श्लोक का अर्थ है सत्य का अनुसरण करने वाले से भूमि, कीर्ति, यश और लक्ष्मी प्रार्थना करते हैं. इसलिए सत्य की पूजा करनी चाहिए.
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।