ये फिल्म उद्योग भी गजब लोक है बंधु। कुछ को इस बात की समस्या है कि उनके फिल्मों को 100 करोड़ से अधिक क्यों नहीं मिलते, तो कुछ को इस बात से समस्या है कि उनके फिल्म में भाषा और संस्कृति के समीकरण ठीक बैठते हैं कि नहीं। परंतु इस बीच अभिनेता धनुष ने वैश्विक स्तर पर फूट डालने के प्रयास को निष्फल करते हुए उन्होंने भारतीय सिनेमा को एक नये सिरे से परिभाषित करने का प्रयास किया।
हाल ही में चर्चित अभिनेता धनुष की फिल्म ‘द ग्रे मैन’ नेटफ्लिक्स पर प्रदर्शित हुई। इसमें वे एक सीमित, पर महत्वपूर्ण रोल में सामने आए, जहां पर उनका परिचय ‘अविक सन के रूप में कराया गया, जो एक ‘आकर्षक तमिल मित्र’ हैं। परंतु जब धनुष से इस बारे में बातचीत की गई, तो वे इस चीज पर प्रसन्न नहीं थे, और उन्होंने स्पष्ट किया कि वे तमिल होने से पूर्व एक भारतीय हैं, और वे चाहते हैं कि उनका आधार वही हो।
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धनुष ने आगे ये भी कहा, “आज भारतीय सिनेमा भाषाई दायरे से निकलकर विश्व स्तर पर सराहा जा रहा है। डिजिटल प्लेटफार्म की वजह से हम विदेशों की फिल्में बड़ी आसानी से अपने स्क्रीन पर देख सकते है और हमारे यहां की फिल्में विदेशो में भी खूब देखी जा रही है। अगर साउथ की फिल्में हिंदी भाषी क्षेत्रों में चल रही है तो इसमें भाषा के अंतर के हिसाब से कभी किसी को एतराज नहीं होना चाहिए। धनुष ने कहा कि हमें साउथ वर्सेस बॉलीवुड के बजाय एक इंडस्ट्री बनानी चाहिए। सिनेमा की पहचान भारतीय सिनेमा के हिसाब से होनी चाहिए न की साउथ सिनेमा या बॉलीवुड सिनेमा के नाम से या अन्य किसी भाषा की सिनेमा के नाम से”
धनुष का ये संदेश केवल विश्व के लिए ही नहीं, अपितु उनके स्वयं के तमिल भाषी उद्योग के उन अभिनेताओं के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो बात-बात पर तमिल प्राइड का नारा बुलंद कर भारतीय सिनेमा को क्षेत्रवाद का अखाड़ा बना देते हैं। एक ओर जहां भारतीय सिनेमा बॉलीवुड के नौटंकियों से ऊपर उठकर बहुभाषीय सिनेमा के अनेकों विकल्पों को स्वीकारने को तैयार है, तो वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी महानुभाव हैं, जिन्हे भारतीयता को खुलेआम स्वीकारने से भी समस्या है। ज्यादा दूर क्यों जाए, अभी कुछ ही समय पूर्व प्रदर्शित ‘Rocketry’ में एक स्पष्ट अंतर था।
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जहां हिन्दी एवं अंग्रेज़ी संस्करण के लिए शाहरुख खान सूत्रधार हैं तो वहीं तमिल संस्करण के लिए यही काम सूर्या सिवाकुमार ने किया है। तो समस्या किस बात की है? असल में एक ट्विटर यूजर Cogito का ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें लिखा है, “Rocketry के हिन्दी संस्करण के अंत में दोनों शाहरुख खान और आर माधवन ने जय हिन्द कहा परंतु जब तमिल संस्करण में माधवन ने यही बात कही तो सूर्या बस मुस्कुरा दिए, ‘जय हिन्द’ नहीं बोले। कमाल है, जो व्यक्ति निर्भय होकर ‘जय भीम’ बोल सकता है उसे ‘जय हिंद’ बोलने में समस्या हो रही है।”
Rocketry's Hindi version ends with Madhavan & SRK saying 'Jai Hind'. In Tamil version, when Madhavan says 'Jai Hind', Surya just smiles & doesn't say it back. The guy who named a movie 'Jai Bhim' has problem saying 'Jai Hind'. Shows hold of Dravidian missionaries on Tamil Cinema.
— Cogito (@cogitoiam) July 5, 2022
ऐसे में इतना स्पष्ट है है कि धनुष ने एक ही बयान से जाने अनजाने कई निशाने साधे हैं। अब इनका उद्देश्य चाहे जो हो, परंतु इससे यदि भारतीय सिनेमा में एक सकारात्मक परिवर्तन आता है, तो समस्या क्यों होनी चाहिए किसी को भई?
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