प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के बाद द्रौपदी मुर्मु दूसरी महिला हैं जो देश के राष्ट्रपति पद की कुर्सी पर बैठने की अधिकारी हुई हैं। स्वतंत्रता के बाद ऐसा पहली बार है जब सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर आदिवासी जनजाति से कोई पहुंचा हो और इसका श्रेय जाता है भाजपा को। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि भाजपा की यह जीत केवल इस चुनाव तक ही सीमित नहीं रह गयी है बल्कि यह चुनाव तो आने वाले चुनावों का एक ट्रेलर मात्र रहा है। एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मु और विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति चुनाव के लिए खड़े हुए थे लेकिन इस चुनाव में दोनों प्रत्याशियों के बीच का टक्कर दूर-दूर तक नहीं था।
किसको कितने वोट?
गुरुवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों में द्रौपदी मुर्मु ने तीसरे राउंड में ही विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को मात दे दी जब एनडीए उम्मीदवार मुर्मु ने कुल 6,76,803 मतों के साथ जीत दर्ज की। वहीं विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को कुल 3,80,177 वोट मिले। इसी के साथ मुर्मु ने 64.03 फीसदी मतों के साथ चुनाव में अपनी ऐतिहासिक जीत दर्ज की लेकिन बलवान विपक्ष होते हुए मुर्मु को इतने वोट कैसे मिले? कारण है- भाजपा की श्रेष्ठ रणनीति।
विपक्ष ने पहले ही अपनी ओर से यशवंत सिन्हा की राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में घोषणा कर दी और फिर भाजपा ने आदिवासी जनजाति से मुर्मु को अपना उम्मीदवार बनाकर खड़ा दिया। यहीं भाजपा अपनी आधी लड़ाई जीत चुकी थी। आज तक आदिवासी जनजाति से कोई इतना आगे नहीं बढ़ सका था, लिहाज़ा जब मुर्मु इस स्थान तक पहुंची तो कोई नहीं चाहता था कि वे हारें। विशेषकर विधायक जो सीधा जनता से जुड़े होते हैं वे जानते थे कि जनता किसे राष्ट्रपति की कुर्सी पर देखना चाहती है। यही कारण है कि मुर्मु का नाम राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में सामने आते ही विपक्षी दलों में से कई पार्टियों ने द्रौपदी मुर्मु का समर्थन किया। उद्धव ठाकरे ने घोषणा की कि शिवसेना मुर्मु का समर्थन करेगी। कांग्रेस के साथ मिलकर सत्ता चलाने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी द्रौपदी मुर्मु का विरोध नहीं कर पाए। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बुलंद आवाज़ भी मुर्मु के समर्थन में बुदबुदाईं। बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, अकाली दल, तेलगु देशम पार्टी समेत कई ऐसे दलों ने द्रौपदी मुर्मु का समर्थन किया। ये सभी पार्टियां भाजपा की कट्टर विपक्षी हैं लेकिन इनमें से भारी संख्या में इन्होंने मुर्मु का समर्थन किया।
विपक्षी समर्थन का यह नतीजा रहा कि विपक्ष के 17 सांसदों और 126 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। क्रॉस वोटिंग का मतलब है कि उन्होंने अपनी पार्टी के नेता और दल के विरुद्ध जाकर वोटिंग की है। यह क्रॉस-वोटिंग विपक्षी दलों की एकता और उनके दावों पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न खड़ा करती हैं।
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भाजपा और जनजाति समूह
भाजपा वैसे तो काफी समय से जनजाति समूह को अपने पक्ष में करने के प्रयास करती रही है लेकिन उसके प्रयास कभी इतने सफल नहीं हो सके। हालांकि इस बार भाजपा ने देश की राष्ट्रपति की कुर्सी पर एक आदिवासी जनजाति की महिला के लिए जिस तरह जगह बनायी और उनके समर्थन में कार्य किया उससे भाजपा कस्बाई लोगों का दिल काफी हद तक जीत चुकी है।
2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद से भाजपा के कई ऐसे फैसले हैं जिनका तोड़ ढूंढते-ढूंढते विपक्ष खुद टूटता चला गया। किसी ने अपनी पार्टी के सांसद और विधायक खोये (ज्योतिरादित्य और शिंदे गुट) तो किसी ने अपने राज्य (कोन्ग्रेस्स के हाथों से गया असम)। अब द्रौपदी मुर्मु की जीत यह साबित करती है कि जिस जीत की गाड़ी पर भाजपा सवार है उसे रोकना मुमकिन नहीं है। साथ ही द्रौपदी मुर्मु की जीत इसलिए भी बड़ी है क्योंकि सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्षी दलों की ओर से भी वोट मिले हैं।
भाजपा की जीत क्यों है 2024 का ट्रेलर?
अब द्रौपदी मुर्मु की जीत के बाद भाजपा ने उन राज्यों के क्षेत्रों में द्रौपदी मुर्मु की चुनावी जीत का जश्न मनाने की योजना बनायी है जहां आदिवासियों की अधिक आबादी है। उन्होंने इस तथ्य को उजागर करते हुए पोस्टर लगाने और समारोह आयोजित करने की योजना बनायी है कि आदिवासी समुदाय का कोई व्यक्ति पहली बार देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठने जा रहा है और यह भाजपा सरकार के कारण संभव हुआ है। मुर्मु को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित करने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए कई राज्यों में पोस्टर सामने आए हैं।
जहां आदिवासी कभी खुलकर भाजपा के समर्थन में नहीं आये थे आज भाजपा ने द्रौपदी मुर्मु की इस ताजपोषी के साथ उन आदिवासियों के एक बड़े गुट को भी जीत लिया है।
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ऐसे में 2024 के चुनावों को लेकर यह आंकलन करना कि भाजपा अद्वितीय विजेता बनकर उभरेगी गलत नहीं होगा। साथ ही क्या विपक्ष जो इस समय राष्ट्रपति चुनावों को लेकर ही तितर-बितर बिखर गया, क्या वह एकजुट होकर आगामी चुनावों में भाजपा के विरुद्ध खड़ा हो पायेगा? खैर, भारत के राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मु का चुनाव आने वाले समय का ट्रेलर है, पूरी पिक्चर तो 2024 में आएगी जो इन्हीं चुनावों की तरह धमाकेदार होगी।
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