क्या कांग्रेस देशविरोधी है? क्या कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए देश के हितों से समझौता किया? क्या कांग्रेसी नेताओं के देशविरोधी तत्वों के साथ संबंध रहे हैं? क्या कांग्रेसियों ने संवैधानिक पदों पर रहते हुए देश के विनाश की परिकल्पना की है? ऐसे कई तरह के सवाल पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर जोर शोर से उठ रहे हैं। जब से ISI के एजेंट नुसरत मिर्जा ने हामिद अंसारी के साथ अपने गंठजोड़ की बातें सार्वजनिक की, तब से ही कांग्रेसियों के अंग विशेष में लहर सी उठ गई और वे इसके लिए किसे बलि का बकरा बनाए इस पर विमर्श शुरु हो गया और मिल गए- मनमोहन सिंह!
कांग्रेस पार्टी का इतिहास रहा है कि वह हमेशा से अपने कर्मकांडों का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने का प्रयास करती रही है। कांग्रेस किसी भी कांड की जिम्मेदारी स्वयं नहीं लेती बल्कि इसकी जगह बलि का बकरा ढूढ़ने में जुटी रहती है। मनमोहन सिंह को पहले तो कांग्रेस ने रिमोट कंट्रोल से चलने वाला प्रधानमंत्री बनाए रखा और इसके बाद अब पार्टी ने उन्हें अपना बलि का बकरा बनाकर रख दिया है। कुछ भी होता है, किसी घोटाले या किसी अन्य कांड से कांग्रेस पार्टी का नाम जुड़ता है तो उसके नेता स्वयं पतली गली से बचकर निकल जाते हैं और मनमोहन सिंह को आगे खड़ा कर दिया जाता है। इसी बीच आश्चर्यजनक रुप से मिर्जा अपने बयान से पलट गया है और मनमोहन सिंह के कनपटी पर आरोप की बंदूक तान दी गई है।
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अपने बयान से पलटा नुसरत मिर्जा
दरअसल, पाकिस्तानी पत्रकार और ISI के एजेंट रहे नुसरत मिर्जा के एक खुलासे के बाद पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पिछले कुछ समय से विवादों में घिरे हुए हैं। नुसरत मिर्जा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) का एक जासूस रह चुका है। उसने हाल ही में एक बड़ा दावा करते हुए कहा कि वह भारत आकर कई बार पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से मिला था। यही नहीं, उसने तो यहां तक बताया कि इस दौरान उसने जो भी जानकारियां हासिल की थी, वो सब उसने ISI को सौंपी थी। हामिद अंसारी की जब पोल खुली तो उन पर चौतरफा हमले शुरू हो गए।
अपने पद का दुरुपयोग करते हुए देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप हामिद अंसारी पर लगने लगे। ऐसे में जब हामिद अंसारी का काला चिट्ठा सबके सामने आने लगा तो पहले तो लिब्रांडुओं ने सोशल मीडिया पर विधवा विलाप किया। उसके बाद हामिद अंसारी ने अपना मुंह खोला और तत्कालीन यूपीए सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। अब अंसारी को बचाने के लिए बड़े ही सुनियोजित तरीके से इस पूरे मामले का ठीकरा मनमोहन सिंह पर फोड़ने की कोशिश होने लगी है।
ध्यान देने वाली बात है कि हामिद अंसारी का पर्दाफाश करने वाले पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा ने अपने बयान से पलटी मार ली। जहां पहले नुसरत मिर्जा ने स्वयं यह बात कही थी कि वह भारत आकर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से मिला था। वहीं, अब उसने अपने इस बयान से यू-टर्न लेते हुए दावा किया है कि वो निजी तौर पर कभी हामिद अंसारी से मिला ही नहीं। केवल इतना ही नहीं, नुसरत मिर्जा ने तो यह भी कहा है कि उसने भारत में हामिद अंसारी नहीं बल्कि मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी।
दैनिक भास्कर को दिए हालिया साक्षात्कार में ताजा विवाद पर बात करते हुए नुसरत मिर्जा ने कहा कि “हामिद अंसारी से मेरी कभी निजी मुलाकात नहीं हुई। मैं एक सेमिनार का हिस्सा बना था, जिसके मुख्य अतिथि हामिद अंसारी थे।” उसने कहा कि जो दस्तावेज ISI को दिए थे उनका भारत से कोई लेना-देना नहीं था। नुसरत मिर्जा ने आगे दावा करते हुए कहा कि उस दौरे के दौरान मेरी मुलाकात मनमोहन सिंह जी से जरूर हुई थी। उन्होंने मुझसे मिलकर मेरा हाल-चाल भी जाना था। हामिद अंसारी से तो कोई बात तक नहीं हुई थी।
क्या अंसारी को बचाने के लिए रचा गया षड्यंत्र?
ज्ञात हो कि इससे पहले पाकिस्तानी यूट्यूबर को दिए गए इंटरव्यू में नुसरत मिर्जा ने दावा किया था कि वर्ष 2005 से 2011 के बीच वो कई बार भारत के दौरे पर आया था और अपने इन दौरों के दौरान एकत्रित की गई जानकारी उसने ISI को सौंपी थी। इस दौरान मिर्जा ने अपनी 2010 की यात्रा का जिक्र करते हुए कहा था कि वो भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के निमंत्रण पर आतंकवाद पर एक सेमिनार में भाग लेने के लिए भारत आया था। उसने कहा था कि वो अंतिम बार वर्ष 2011 में भारत की यात्रा पर आया था और तब उसने भारत में मिल्ली गजट के प्रकाशक जफरुल इस्लाम खान से मुलाकात की। उसके इन बयानों के बाद देश में जमकर बवाल मचा और यूपीए सरकार पर कई तरह के सवाल उठ रहे थे। देशविरोधी ताकतों के साथ कांग्रेस की मिलीभगत की भी चर्चा होने लगी थी लेकिन इसी बीच अब आश्चर्यजनक रूप से ISI का एजेंट नुसरत मिर्जा अपने बयान से पलट गया है।
अब अंसारी से उलट मनमोहन सिंह की कनपटी पर आरोपों की बंदूक तान दी गई है। हालांकि, यह कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस हमेशा से ही अपने घटिया कृत्यों का चिट्ठा अन्य लोगों पर फोड़ते आई है और अब जब अंसारी पर सवाल उठें तो उन्हें बचाने हेतु कथित तौर पर इस पार्टी ने मनमोहन सिंह को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया है। ध्यान देने वाली बात है कि कांग्रेस के कर्मकांडों की सजा आज तक मनमोहन सिंह भुगतते आ रहे है। जब जब कांग्रेस को मौका मिला है या पार्टी पर सवाल उठा है, तब-तब पार्टी ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं और मनमोहन सिंह पर दोष मढ़ते हुए उन्हें आगे कर दिया है। अब हामिद अंसारी पर लगे आरोपों को लेकर भी यही प्रयास किए जा रहे है कि किसी भी तरह मनमोहन सिंह जो अब अस्पताल में हैं उन्हें बलि का बकरा बनाकर हामिद अंसारी को बचा लिया जाए!
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