अगर देश के प्रधानमंत्री को ऊर्जा के विषय पर राज्य सरकारों की क्लास लगानी पड़े तो समझ लीजिए कि सब कुछ बढ़िया नहीं है। परंतु कुछ सरकारों की हेकड़ी और कुछ प्रशासकों की कुंठा के कारण आज इस मामले में स्वयं प्रधानमंत्री मोदी को कमान संभालनी पड़ रही हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे फ्री बांटने के मद में चूर राज्य सरकारें देश के भविष्य को अंधकार की ओर ले जा रही हैं और कैसे इस कारण से प्रधानमंत्री मोदी को स्वयं मोर्चा संभालने को विवश होना पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे बिजली कंपनियों के बकाया पैसे का भुगतान जल्द करें। उन्होंने कहा कि राज्यों को बिजली वितरण कंपनियों और बिजली उत्पादन कंपनियों के बाकी पैसे जल्द दे देना चाहिए।
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दरअसल, हाल ही में पीएम मोदी ने राज्य सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें मुफ्तखोरी के लिए लताड़ा है। आप बस इस क्लिप के अंश को देखिए –
उधार पर चल रही कई राज्य सरकारें, बिजली कंपनियां बदहाली में pic.twitter.com/m4Ahhyisa1
— Political Kida (@PoliticalKida) July 31, 2022
यहां पीएम मोदी कहते हैं, “आंकड़े बताते हैं कि बिजली कंपनियां बिजली पैदा तो करती हैं परंतु उनके पास जरूरी फंड नहीं है। बिजली मंत्रालय के डाटा के अनुसार 31 मई 2022 तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर बिजली उत्पादन कंपनियों के 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक और बिजली वितरण कंपनियों के 1.3 लाख करोड़ रुपए से अधिक बकाया है। भुगतान में देरी होने से बिजली कंपनियों को पैसों का नुकसान हो रहा है।”
पीएम मोदी वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे यह भी बताया कि “महाराष्ट्र सरकार ने 21,500 करोड़ रुपए के बिल का भुगतान नहीं किया है। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है। वहां की सरकार ने 20,990 रुपए नहीं दिए हैं। 10,109 करोड़ रुपए के बकाया के साथ आंध्र प्रदेश तीसरे नंबर पर है। 7,388 करोड़ के साथ तेलंगाना चौथे नंबर पर है, 5,043 करोड़ के बकाया के साथ राजस्थान पांचवें और 3,698 रुपये के साथ झारखंड इस सूची में छठे नबंर पर है।”
इसके अलावा बिजली वितरण कंपनियों का अनेक सरकारी विभागों पर 62,931 करोड़ रुपये बकाया है। इस सूची में तेलंगाना के सराकरी विभाग 11,935 करोड़ के साथ पहले स्थान पर हैं, महाराष्ट्र 9,131 करोड़ के साथ दूसरे स्थान पर, आंध्र प्रदेश 9,116 करोड़ के साथ तीसरे स्थान पर, तमिलनाडु 3,677 के साथ चौथे स्थान पर, पंजाब 2,612 करोड़ के बकाया के साथ पांचवे स्थान पर है। इसके अलावा पीएम मोदी ने यह भी बताया कि अलग-अलग राज्यों में बिजली पर सब्सिडी का जो कमिटमेंट किया गया है वो पैसा भी इन कंपनियों को समय पर और पूरा नहीं मिल पाता और यह भी 76,337 करोड़ बकाया बताया जा रहा है।
देश को बर्बाद कर रहा है रेवड़ी कल्चर
ध्यान देने वाली बात है कि जब मई में ‘ऊर्जा संकट’ का बवाल मचा था, तब इन्हीं राज्यों में सबसे अधिक संकट भी उत्पन्न हुआ था क्योंकि तब इन लोगों ने बकाया देने में स्पष्ट तौर पर आनाकानी की और सारा ठीकरा केंद्र के मत्थे फोड़ने का प्रयास किया था। परंतु महाराष्ट्र में तब उद्धव ठाकरे की महा विकास आघाडी गठबंधन सरकार थी और तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में एमके स्टालिन एवं जगन मोहन रेड्डी की सरकारें अब भी विद्यमान हैं। इन सब में एक बात कॉमन है कि ये सभी मुफ्तखोरी की राजनीति के उपासक हैं, जिसके पीछे हाल ही में श्रीलंका की लंका भी लगी थी।
इसी चक्कर में अभी कुछ ही समय पूर्व पीएम मोदी ने एक जन सम्मेलन में ‘रेवड़ी कल्चर’ के प्रति जनता को चेताते हुए कहा था कि “हमारे देश में मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की कोशिश हो रही है। ये रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है। इस रेवड़ी कल्चर से देश के लोगों को बहुत सावधान रहना है। रेवड़ी कल्चर वाले कभी आपके लिए नए एक्सप्रेसवे नहीं बनाएंगे, नए एयरपोर्ट या डिफेंस कॉरिडोर नहीं बनाएंगे। रेवड़ी कल्चर वालों को लगता है कि जनता जनार्दन को मुफ्त की रेवड़ी बांटकर, उन्हें खरीद लेंगे। हमें मिलकर उनकी इस सोच को हराना है, रेवड़ी कल्चर को देश की राजनीति से हटाना है। हम कोई भी फैसला लें, निर्णय लें, नीति बनाएं, इसके पीछे सबसे बड़ी सोच यही होनी चाहिए कि इससे देश का विकास और तेज होगा। हर वो बात, जिससे देश को नुकसान होता है, देश का विकास प्रभावित होता है, उसे हमें दूर रखना है।”
ऐसे में देश में मुफ्तखोरी की राजनीति पर लगाम लगाने के लिए पीएम मोदी ने स्वयं मोर्चा संभालने का निर्णय लिया है। उन्होंने राज्य सरकारों को दर्पण दिखाने का प्रयास किया है और ये बताया है कि कैसे उनके कार्य देश के भविष्य हेतु खतरनाक हैं और यदि वे अब भी नहीं रुके तो आगे चलकर यह देश के लिए बहुत खतरनाक सिद्ध होगा।
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