साल 2014 से पहले जब भारत से प्रधानमंत्री विदेश दौरों पर जाते थे तो उनके लौटने पर यह प्रश्न उठता था कि आखिर भारत को इस यात्रा से क्या मिला? आपके मन में देश के भूतकाल को लेकर ऐसी ही तस्वीर होगी लेकिन असल में अब यह तस्वीर बदल चुकी है क्योंकि आज की स्थिति में भारत की कूटनीतिक ताकत के आगे अमेरिका को भी अपने घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ रहा है। भारत किसी देश से आर्थिक मदद मांगता नहीं बल्कि कमजोर देशों की सहायता का बीड़ा उठाकर वैश्विक स्तर पर मददगार राष्ट्र साबित हो रहा है जिसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा श्रीलंका है।
छोटे देशों के लिए सहायक साबित हो रहा है भारत
दरअसल, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में श्रीलंका को 1850.64 मिलियन अमरीकी डालर की 8 लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) प्रदान की हैं। विदेश मंत्री जयशंकर ने एक लिखित उत्तर में कहा, “भारत सरकार ने पिछले 10 वर्षों में रेलवे, बुनियादी ढांचे, रक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, पेट्रोलियम और उर्वरक सहित क्षेत्रों में श्रीलंका को 08 लाइन ऑफ क्रेडिट (LOCs) का विस्तार किया है, जो 1850.64 मिलियन अमरीकी डालर है।”
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ध्यान देने वाली बात ये है कि भारत नेबरहुड फर्स्ट यानी पड़ोसी पहले वाली नीति पर काम कर रहा है। ऐसे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि भारत ने अपनी ‘पड़ोसी पहले’ नीति के तहत अपनी आर्थिक चुनौतियों को दूर करने के लिए श्रीलंका के आर्थिक विकास में सहायता करना जारी रख रहा है। एस जयशंकर ने बताया कि श्रीलंका की मदद के लिए लगातार मदद की राशि को बढ़ाया जाता रहा है। विदेश मंत्री ने बताया कि जनवरी 2022 में भारत ने सार्क फ्रेमवर्क के तहत श्रीलंका को 400 मिलियन अमरीकी डॉलर की मुद्रा अदला-बदली की। इसके अलावा भारत से तेल के आयात पर 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता भी की गयी है जिससे श्रीलंका अपनी आर्थिक स्थिति से लड़ सके।
एस जयशंकर ने बताया कि कैसे यूरिया उर्वरक की खरीद के लिए पैसे के साथ लगभग 6 करोड़ रुपये की आवश्यक दवाएं, 15,000 लीटर मिट्टी का तेल और 55 मिलियन अमरीकी डालर की एलओसी उपहार में देकर श्रीलंका को मानवीय सहायता भी प्रदान की गयी। जयशंकर ने कहा, “तमिलनाडु सरकार ने बड़े भारतीय सहायता प्रयास के तहत 16 मिलियन अमरीकी डालर मूल्य के चावल, दूध पाउडर और दवाओं का योगदान दिया है।”
Details of India's line of credit LOC to neighbouring countries & Africa.
Neighborhood
37 LOC worth $14.27 bn covering 162 projects in 5 neighbouring countries
Africa
222 LOC worth $14.07 Bn covering 357 projects in 42 African countriesParliament Question: pic.twitter.com/1HdGzfqLUZ
— Sidhant Sibal (@sidhant) July 22, 2022
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कई परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाया जा रहा है
इसके अलावा यह भी सामने आया है कि भारत ने 42 अफ्रीकी देशों को भी $14.07 बिलियन का लाइन आफ क्रेडिट दिया हुआ है। जिसके तहत वहां 357 परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। इस परियोजनाओं में अफ्रीकी देशों की मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने और समस्याओं को हल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा यह भी सामने आया है कि भारत ने 14.27 बिलियन डॉलर का लाइन आफ क्रेडिट अपने पड़ोसी देशों को भी 5 बड़ी परियोजनाओं के संबंध में दे रखा है।
एक तरफ चीन है जिसने श्रीलंका को आर्थिक तौर पर चूसने और उसे कंगाली के रास्ते की तरफ ले जाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। चीन का मकसद था कि श्रीलंका को माध्यम बनाकर भारत को निशाने पर लिया जा सके लेकिन यह दांव अब फेल होता दिख रहा है क्योंकि भारत अपनी सुरक्षा के मुद्दे पर तो पूरी तरह सक्षम है ही, साथ ही अपने पड़ोसी देशों को मुश्किलों से उबारने पर भी काम कर रहा है।
खास बात यह है कि भारत केवल अपने पड़ोसी देशों की स्वार्थ के लिए मदद नहीं कर रहा है बल्कि अफ्रीका के गरीब देशों को भी मदद के नाम पर अपना दान पहुंचा रहा है जो दिखाता है कि कैसे मदद के लिए हाथ फैलाने वाला राष्ट्र अब कैसे मोदी सरकार में वैश्विक दानदाता के रूप में उभरा है जो कि भारत की वैश्विक ताकत को दर्शाता है।
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