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बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार कब तक? अब समय आ गया है कि भारत हस्तक्षेप करे

एक लंबे अरसे से बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार होता है और दुनिया देखती रहती है.

Ruchi Mehra द्वारा Ruchi Mehra
25 July 2022
in समीक्षा
Bangladesh Hindus

Source- TFIPOST HINDI

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भारत को हर कोई सेक्युलरिज्म और अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर ज्ञान देता रहता है, फिर चाहे वह वामपंथी गैंग हो, अमेरिका जैसे स्वयं को वैश्विक ठेकेदार मानने वाले देश हों या फिर संयुक्त राष्ट जैसे तमाम वैश्विक संगठन। परंतु जब किसी मुस्लिम बहुल देश में हिंदुओं या अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होते हैं तो यह सभी अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर बैठ जाते हैं। पाकिस्तान समेत दुनिया के तमाम मुस्लिम बहुल देशों में हिंदुओं पर लगातार हमले और अत्याचार की खबरें सुर्खियों में बने रहते हैं। बांग्लादेश में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर कट्टरपंथियों के हमलों में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। हमारे पड़ोसी देश में हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें मारा जा रहा है, उनके धार्मिक स्थल और प्रतीक चिह्नों को निशाना बनाया जा रहा है। यहां तक कि बलात्कार की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।

हाल ही में बांग्लादेश में ऐसी कई घटनाएं देखने को मिली हैं लेकिन क्या मजाल कि कोई ‘वैश्विक ठेकेदार’ इस मामले पर किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया दे दे। हाल ही में एक फेसबुक पोस्ट में इस्लाम का कथित अपमान करने को लेकर समुयाद विशेष के लोग भड़क उठे थे। जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया और हिंसा का रूप ले लिया। फेसबुक पोस्ट के विरोध में हिंदू समुदाय की दुकानों और पूजा स्थलों को निशाना बनाया गया। नारेल जिले के सहपारा गांव में हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़ की गई और कट्टरपंथियों ने एक मकान को आग के हवाले तक कर दिया।

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Hindu in Bangaladesh
Source- Google

और पढ़ें: ‘श्रीलंका’ बनने की कगार पर बांग्लादेश, विदेशी मुद्रा भंडार में घनघोर कमी

हिंदुओं के खिलाफ लगातार हो रही इन्हीं घटनाओं के विरोध में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े लोग सड़कों पर उतर आए। शुक्रवार को चटगांव में हिंदू समुदाय से जुड़े लोगों ने हिंदुओं पर हो रहे हमले, हत्याएं और बलात्कार के विरोध में एक विरोध रैली भी निकाली। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हमले के विरोध में चटगांव से एक भारी विरोध मार्च निकाला गया। वहीं, इस प्रदर्शन से पहले बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमले के संबंध में स्थानीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने गृह मंत्रालय को गहन जांच करने के निर्देश दिए थे। केवल इतना ही नहीं, NHRC ने यह भी कहा था कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में सांप्रदायिक हमले और दंगे किसी भी सूरत में स्वीकार्य करने योग्य नहीं हैं। आयोग ने गृह मंत्रालय से प्रश्न किया कि क्या इन हमलों को रोकने का प्रयास किया गया था या पुलिस ने इसके लिए कोई उचित कार्रवाई की थी?

परंतु यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हो। कुछ आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि बांग्लादेश में लगातार हो रहे हमलों के कारण हिंदुओं की जनसंख्या घटती चली जा रही है। वर्ष 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर जब बांग्लादेश एक अलग राष्ट्र बना तो उसके बाद से ही यहां हिंदू समुदाय के विरुद्ध अत्याचार की घटनाएं प्रारंभ हो गई थी। वर्ष 1974 में पहली बार बांग्लादेश में जनगणना हुई थी। उस दौरान वहां 13.5 फीसदी हिंदू थे परंतु जब वर्ष 2011 में जनगणना हुई तो बांग्लादेश में केवल 8.5 प्रतिशत हिंदू ही रह गए थे। वर्ष 2011 से 2021 के बीच इसमें तीन फीसदी के करीब की और गिरावट आ गई है। साल दर साल यहां हिंदुओं की जनसंख्या में कमी ही आ रही है। तमाम रिपोर्ट्स बताती है कि वर्ष 2013 से 2021 के बीच बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाते हुए 3600 हमले हुए।

Bangladesh
Source- Google

कुछ पूर्व की घटनाओं पर नजर डालें तो वर्ष 2021 में बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के मौके पर कट्टरपंथियों ने खूब हंगामा मचाया। कट्टरपंथियों ने हिंदू पांडालों और मूर्तियों के साथ तोड़फोड़ की। ध्यान देने वाली बात है कि इन घटनाओं में चार लोगों की मौत हुई थी जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। वहीं, बात वर्ष 2020 की करें तो उस वर्ष विभिन्न घटनाओं में कम से कम 149 हिंदुओं को मौत के घाट उतारा गया और इस दौरान 7036 हिंदू घायल भी हुए थे। जटिया हिंदू महाजोत संगठन के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में 94 हिंदुओं का अपहरण कर उन्हें निशाना बनाया गया। इसके साथ ही 2623 हिंदुओं को जबरन इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर किया गया।

उपर्युक्त घटनाओं से स्पष्ट हो जाता है कि किस तरह कई वर्षों से बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। तो ऐसे में कई प्रश्न भी उठते हैं कि आखिर बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं का दोष क्या है? आखिर वे कब तक यह सबकुछ सहते रहेंगे? क्या अब वो समय नहीं आ गया जब इस पूरे मामले में भारत को हस्तक्षेप करना चाहिए?

देखा जाए तो हिंदुओं के समर्थन में आवाज उठाने वाला एकमात्र देश भारत ही है और जब भारत के पड़ोस में ही इस तरह से हिंदुओं पर अत्याचार हो तो ऐसे में उसके लिए इन घटनाओं के विरोध में आवाज उठाना बेहद ही जरूरी हो जाता है। अब समय आ गया है कि भारत, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाए और साफ शब्दों में स्पष्ट करें कि अब बस बहुत हुआ- संभल जाओ, नहीं तो हमें कार्रवाई करने पर मजबूर होना पड़ेगा!

आज के समय में भारत वैश्विक मंच पर अपना स्थान मजबूत कर चुका है। दुनिया के तमाम देश हमारा अनुसरण कर रहे हैं। ऐसे में भारत बांग्लादेश के खिलाफ सख्त से सख्त कदम भी उठा सकता है। भारत कई तरह के प्रतिबंध लगाकर बांग्लादेश को सबक सिखाने का प्रयास भी कर सकता है। बांग्लादेश वो देश है जो अधिकतर चीजों के लिए भारत पर निर्भर है फिर चाहे वो निर्यात की बात हो या आयात परंतु भारत के साथ ऐसा नहीं है। इसके अलावा आज के समय में भारत के पास एस जयशंकर के रूप में कुशल और योग्य विदेश मंत्री भी हैं जो कड़े शब्दों के माध्यम से बांग्लादेश को सबक सिखाने का काम कर सकते हैं। ऐसे में अब समय आ गया है कि भारत को बांग्लादेश के मामले में हस्तक्षेप करते हुए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।

और पढ़ें: भारत हिजाब-हिजाब करता रह गया, बांग्लादेश ने गैर-मुस्लिम मेडिकल छात्राओं के लिए भी हिजाब किया अनिवार्य

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