दक्षिणपंथी समर्थकों द्वारा “किंग बीबी” और “मिस्टर सिक्योरिटी” के रूप में प्रिय और उनके आलोचकों द्वारा “क्राइम मिनिस्टर” के रूप में जाने जाने वाले बेंजामिन नेतन्याहू लंबे समय से इजरायल की राजनीति में प्रमुख व्यक्ति रहे हैं। 12 वर्षों तक इज़राइल के पीएम के रूप में कार्य करने वाले नेतन्याहू 2021 में चुनाव हार गए क्योंकि संसद ने उनके पूर्व सहयोगी, दक्षिणपंथी यहूदी राष्ट्रवादी नफ्ताली बेनेट के नेतृत्व वाली एक नई सरकार के पक्ष में मतदान किया।
लोगों का झुकाव फिर नेतन्याहू की तरफ
नेतन्याहू ने उस समय कसम खायी थी कि “अगर विपक्ष में रहना हमारी नियति है, तो हम अपने सिर को ऊंचा करके ऐसा करेंगे जब तक कि हम इस खराब सरकार को नहीं हटाते और अपने तरीके से देश का नेतृत्व करने के लिए वापस नहीं आते।”
उस समय भले ही लोगों ने नेतन्याहू को छोड़कर किसी दूसरी पार्टी को मौका दिया हो लेकिन अब लोगों का झुकाव एक बार फिर नेतन्याहू की तरफ होने लगा है। नेतन्याहू इस समय विपक्ष के नेता के रूप में मौजूद हैं। कारण है इज़राइल में इसरायली लोगों पर बढ़ते हमले जिनके खिलाफ मौजूदा सरकार सख्त कदम नहीं उठा रही है। इसरायली जनता वाकई में नेतन्याहू को फिर से पीएम की गद्दी पर न ले आये इसके लिए मौजूदा सरकार ने अपनी चाल चल दी है।
इज़राइल के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि ‘राज्य उन लोगों की नागरिकता रद्द कर सकता है जो आतंकवाद, जासूसी या देशद्रोह सहित राज्य के खिलाफ विश्वास का उल्लंघन करने वाले कार्यों को अंजाम देते हैं।’ सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि जो नागरिक आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देते हैं उनके पास भले ही कोई अन्य नागरिकता हो या न हो उनकी इज़राइली नागरिकता रद्द कर दी जाएगी। लेकिन आंतरिक मंत्री उस व्यक्ति को निवास परमिट प्रदान करने के लिए बाध्य होंगे। ऐसे में व्यक्ति के पास Israel में हो रहे चुनावों में मतदान करने का अधिकार नहीं रहेगा।
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सत्तारूढ़ का यह फैसला इज़राइल में 2008 के नागरिकता कानून को संबोधित करता है जो राज्य के प्रति “वफादारी का उल्लंघन” करने वाले कार्यों के आधार पर राज्य को किसी की नागरिकता रद्द करने का अधिकार देता है। इस फैसले के पीछे का कारण है इजरायल के दो फिलिस्तीनी नागरिक जिन्होंने इजरायली नागरिकों को मौत के घाट उतारा था। दोनों दोषियों को लंबी सजा सुनायी गयी लेकिन अब जनता के गुस्से को देखते हुए राज्य ने उनकी नागरिकता छीनने पर विचार किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने “गंभीर प्रक्रियात्मक खामियों” के आधार पर इन दो मामलों में नागरिकता को हटाने से इनकार कर दिया, लेकिन फैसला सुनाया कि राज्य के विरुद्ध कार्य करने वाले की नागरिकता छीनना संवैधानिक है, भले ही कोई व्यक्ति इसके परिणामस्वरूप स्टेटलेस हो जाए।
इज़राइल में नागरिक अधिकारों के लिए एसोसिएशन और एक अरब अधिकार समूह, अदलाह ने फैसले के जवाब में कानून को भेदभावपूर्ण कहा और कहा कि यह “इज़राइल के फिलिस्तीनी नागरिकों के खिलाफ विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाएगा”। ऐसी कई आवाज़ें इसके खिलाफ उठीं लेकिन अदालत के बयान में न्यायाधीशों ने स्वीकार किया कि एक व्यक्ति की नागरिकता छीन लेना अंतरराष्ट्रीय कानून मानकों के खिलाफ है लेकिन बहुमत की राय यह थी कि “अपने आप में यह अभ्यास असंवैधानिक नहीं है”।
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इज़राइल के वित्त मंत्री ने क्या ट्वीट किया?
इज़राइल के वित्त मंत्री और धुर दक्षिणपंथी इज़राइल बेइटेनु पार्टी के प्रमुख एविगडोर लिबरमैन ने इस फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, “आखिरकार, न्याय हुआ.” उनके अनुसार यदि कोई व्यक्ति आतंकवाद जैसे क्रूर कृत्यों को अंजाम देते हैं और उन्हें फिर भी इज़राइल का नागरिक कहा जाये तो यह गलत और बेतुका है.
1996 में 46 की उम्र में नेतन्याहू ने पहली बार इज़राइल के पीएम की गद्दी संभाली थी जिसके बाद वे 2009 से जून 2021 तक लगातार पीएम की कुर्सी पर बने रहे। उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण था कि वे इस्लामिक कट्टरपंथ के सख्त खिलाफ रहने वाले और आतंकवादियों के खिलाफ कड़े फैसले लेने वाले नेता के रूप में उभरे। नेतन्याहू फिर से पीएम की गद्दी तक न पहुंच जाएं इसके चलते इज़राइल की सत्तारूढ़ सरकार ने यह कदम उठाया है पर कारण चाहे जो भी हो विपक्ष और इज़राइली जनता दोनों ने इस फैसले का स्वागत किया है।
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