‘लुलु मॉल में हिंदुओं ने पढ़ी थी नमाज’, आरजे सायमा समेत वामपंथियों ने ऐसे फैलाई फ़ेक न्यूज़

वामपंथियों के झूठ का ढोल फट गया है.

Lulu Mall

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झूठ का पहाड़ जब ढहने लगे, क्रूरता के क़िले की दीवार में सेंध लग जाए, रंगे सियार का रंग उतरने लगे, तो वामपंथी उनके सबसे बड़े हितैषी के रुप में उभरते हैं। इस्लामिस्टों ने देश में क्या गदर मचाया है इससे सभी परिचित हैं। इन कट्टरपंथियों की जिहादी मानसिकता से देश की जनता अवगत हो चुकी है लेकिन इन चंट वामपंथियों ने बेड़ा उठाया है कि कुछ भी हो जाए, ये कट्टरपंथी देश को हिंसा की आग में झोंक दे, कानून व्यवस्था को ताक पर रख कर अपने शरिया के हिसाब से चलने लगे, उसके बावजूद भी ये उनका ही समर्थन करेंगे। हिंदुओं के नाम पर झूठ फैलाने में वामपंथियों ने पहले से ही महारत हासिल कर रखी है। यह आए दिन किसी न किसी मुद्दे को लेकर हिंदुओं को बदनाम करने का प्रयास करते ही रहते हैं जिसके लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में लुलु मॉल (Lulu Mall Controversy) को लेकर हो रहे विवाद में वामपंथियों ने हिंदुओं को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा। परंतु इस बार भी वही हुआ, जो हर बात होता है। सच सामने आया और वामपंथियों के झूठ की पोल खुल गई।

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 10 जुलाई को लुलु मॉल का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन किया था। इसके बाद से ही लुलु मॉल अलग-अलग कारणों की वजह से विवादों में बना हुआ है। विवाद की शुरुआत तब हुई जब मॉल के परिसर में नमाज पढ़ने का मामला सामने आया। मामले ने तूल पकड़ा और एक समुदाय द्वारा मॉल का उपयोग धर्म के नाम पर करने को लेकर हिंदू समुदाय ने अपना रोष प्रकट किया। साथ ही साथ हिंदू समुदाय द्वारा चेताया गया कि अगर मॉल में नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई तो वे भी वहां सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे।

यह विवाद अभी थमा भी नहीं था कि इसी बीच वामपंथियों ने पूरे मामले पर अपना एजेंडा चलाते हुए इसे अलग ही एंगल देने का प्रयास किया, जिसके जरिए एक बार फिर हिंदुओं को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा गया। वामपंथियों द्वारा यह थ्योरी चलाई गई कि मॉल में नमाज पढ़ना एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा था और नमाज अदा करने वाले लोग मुस्लिम थे ही नहीं बल्कि यह काम हिंदू समाज से जुड़े लोगों ने किया था। वामपंथियों द्वारा दावा किया गया कि लखनऊ पुलिस ने गौरव गोस्वामी, सरोज नाथ योगी और कृष्ण कुमार पाठक को मॉल में नमाज पढ़ने के आरोप में गिरफ्तार किया। कांग्रेस समर्थकों से लेकर लिबरल लॉबी से जुड़े तमाम लोगों ने इस थ्योरी को हवा देने का खूब प्रयास किया।

परंतु झूठ तो झूठ होता है और यह ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता। ऐसा ही कुछ इस बार भी हुआ। लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस ने वामपंथियों के उस दावे का खंडन कर उनकी पूरी की पूरी पोल पट्टी ही खोलकर रख दी। इस दौरान बताया गया कि कैसे चंट वामपंथियों ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर लोगों को भ्रमित करने का काम किया। लखनऊ कमिश्नरेट द्वारा स्पष्ट किया गया कि सोशल मीडिया पर लुलु मॉल प्रकरण के संबंध में कुछ युवकों का नाम लेकर भ्रामक खबरें प्रसारित की जा रही हैं जो पूर्णतया असत्य है। दरअसल, पुलिस द्वारा सुंदरकांड का पाठ करने के लिए इन तीनों युवकों को हिरासत में लिया गया था न कि मुस्लिम बनकर नमाज पढ़ने के आरोप में। यानी वामपंथियों द्वारा चलाया गया एजेंडा सरासर झूठ था।

देखा जाए तो लिबरल लॉबी हमेशा से ही इस्लामिस्टों को अपने माथे पर बैठाते आया है। वो हर वक्त इन्हीं प्रयासों में जुटे रहते हैं कि किस तरह से इस्लामवादियों के अपराध पर पर्दा कर दें और पूरा का पूरा ठीकरा हिंदू समाज पर फोड़ दें। आतंकवाद को हिंदुओं से जोड़कर हिंदू आतंकवाद और भगवा आतंकवाद जैसी बातें भी प्रसारित करने के हमेशा ही प्रयास किए जाते रहे है। वो कांग्रेस पार्टी ही है जिसने भगवा आतंकवाद की झूठी थ्योरी गढ़ी थी। समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के दौरान भी आतंकवादियों को बचाकर हिंदुओं को बदनाम करने की कोशिश हुई थी और इसी दौरान हिंदू आतंकवाद का जुमला इजाद किया गया था।

वहीं, 26/11 मुंबई आतंकी हमले के दौरान पकड़े गए एकमात्र आतंकी अजमल कसाब के हाथों में कलावा दिखने पर वामपंथियों द्वारा हिंदू आतंकवाद की थ्योरी का खूब प्रचार प्रसार किया गया था। परंतु बाद में यह साफ हुआ था कि हमले को “हिंदू आतंकवादियों” की करतूत के रूप में पेश करने के लिए फर्जी हिंदू पहचान और हिंदू प्रतीकों को जानबूझकर आतंकवादियों से जोड़ा गया था। परंतु इसके बाद भी कांग्रेस ने आतंकवाद से हिंदुओं को जोड़ना जारी रखा। दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेस नेता सरेआम हिंदू आतंकवाद की झूठी बातों को बढ़ावा देते रहे। अब लुलु मॉल प्रकरण में भी वामपंथियों द्वारा हिंदुओं से जोड़कर इस पूरे मामले को अलग एंगल देने के प्रयास किए गए परंतु इस बार भी लिबरल लॉबी अपने एजेंडे में असफल साबित हुई और उनके झूठ का ढोल फट गया है।

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