भारतीय नौसेना खरीदने जा रही है फाइटर जेट, राफेल और सुपर हार्नेट में चल रही है टक्कर

जानिए, किसमें है कितना दम?

RAFEL M

Source- TFIPOST.in

भारत आज हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के प्रयासों में जुटा है। इसके तहत ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों को भी खूब बढ़ावा दिया जा रहा है। भारतीय सेनाओं में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। हथियारों से लेकर लड़ाकू विमान तक ‘मेक इन इंडिया’ योजना के तहत देश में ही इन्हें बनाया जाने लगा है।

इसी दिशा में कदम आगे बढ़ते हुए भारतीय नौसेना के लिए पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत भी तैयार किया है। इस युद्धपोत का फिलहाल समुद्र में ट्रायल चल रहा है। अगस्त माह तक भारतीय नौसेना से जुड़ने की संभावनाएं है। इस विमान वाहक युद्धपोत पर 36 से 40 लड़ाकू विमान तैनात किए जा सकते है। भारतीय नौसेना आईएनएस विक्रांत पर तैनात करने के लिए अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की तलाश में है। जिसके लिए फ्रांस की कंपनी द सॉल्ट की राफेल मरीन (Rafale M) और अमेरिकी कंपनी बोइंग के एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट (F/A-18 Super Hornet) के बीच प्रतियोगिता चल रही है। माना जा रहा है कि इन दोनों में से किसी एक को भारतीय नौसेना चुन सकती है।

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भारतीय नौसेना

हालांकि नौसेना ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह एक अस्थायी व्यवस्था ही होगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(DRDO) दो इंजन वाले डेक आधारित लड़ाकू जेट पर काम कर रहा है और जब तक यह तैयार नहीं हो जाते, नौसेना को राफेल या एफ/ए-18 पर निर्भर रहना पड़ेगा।वर्तमान में भारतीय नौसेना आईएनएस विक्रांत से रूसी लड़ाकू विमान मिग-29 के को संचालित करती है। परंतु इसके परिचालन में कई मुद्दे है। जिसके चलते अब भारतीय नौसेना विकल्प की तलाश में है। भारतीय नौसना को वर्तमान में 26 लड़ाकू विमानों खरीदने है। इसके लिए फ्रांस के राफेल मरीन और अमेरिका के F/A-18 लड़ाकू विमानों रेस में सबसे आगे है। नौसेना को ऐसे विमानों की आवश्यकता होती है जो वाहक से उड़ान भर सकें। इस साल फरवरी में भारत ने गोवा में एक तट-आधारित सुविधा में फ्रांस निर्मित राफेल मरीन फाइटर जेट का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। वहीं मई 2022 में ही अमेरिका के F/A-18 का भी परीक्षण किया गया था।

ऐसे में दोनों लड़ाकू विमानों की तुलना करके यह जानने के प्रयास करते है कि आखिर कौन-सा लड़ाकू विमान भारतीय नौसेना के लिए बेहतर साबित हो सकता है? साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश करते है की भारतीय नौसेना के लिए दोनों में से किस लड़ाकू विमान को चुनने की संभावना अधिक है? सबसे पहले बात करते है दोनों फाइटर जेट्स की गति की। राफेल मरीन की अधिकतम गति मैक 2 यानी 2469.6 किलोमीटर प्रतिघंटा है। वहीं एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट की गति मैक 1.8 यानी 2222.4 किलोमीटर प्रतिघंटा है। सुपर हॉर्नेट 228 मीटर प्रति सेकेंड की गति से ऊपर जाता है, वहीं राफेल 304.8 मीटर प्रति सेकेंड की गति से आसमान की ओर जाता है। बात इन लड़ाई विमानों की रेंज की करें, तो राफेल की रेंज 3700 किलोमीटर से अधिक है और सुपर हॉर्नेट की रेंज 3300 किलोमीटर है।

सर्विस सीलिंग का अर्थ होता है कि विमान आसमान में कितनी ऊंचाई पर उड़ सकता है। इस मामले में राफेल, F/A-18 पर भारी पड़ता नजर आता है। राफेल मरीन 55 हजार फीट और एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट 50 हजार फीट पर उड़ सकता है। वजन की तुलना करें तो F/A-18 अधिक वजनी है। राफेल मरीन का वजन 10,300 किलोग्राम और F/A-18 लड़ाकू विमान का वजन 14,552 किलोग्राम है। राफेल मरीन में एक पायलट की आवश्यकता होती है। एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट में 1 या 2 पायलट बैठ सकते हैं। राफेल पर MBDA मेटियोर बेयोंड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल लग सकती है। वही सुपर हॉर्नेट में AIM-120 AMRAAM मिसाइल लगाई जा सकती है। राफेल में 30 मिमी कैलिबर की GIAT 30M/719B तोप, तो वहीं हॉर्नेट में 20 मिमी कैलिबर की M61A1 वल्कैन तोप लगी है।

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कौन-सा लड़ाकू विमान कैसे है?

यह बताने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई तरह की रेटिंग्स भी दी जाती है। इसमें सबसे प्रमुख BVR रेटिंग होती है। BVR रेटिंग राफेल मरीन की 90 फीसदी और F/A-18 की 83 फीसदी है। इसके अलावा तकनीक के मामले में हॉर्नेट आगे निकलता है, परंतु हथियारों के मामले में राफेल आगे नजर आता है। तकनीक के मामले में राफेल को 10 में से 8.5 और हॉर्नेट को 10 में से 8.9 अंक मिलते हैं। वही हथियारों के मामले में राफेल को 10 में से 8.6 अंक और हॉर्नेट को 10 में से 7.9 अंक दिए गए।

F/A-18 लड़ाकू विमान भारतीय नौसेना के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। F/A-18 को अमेरिकी नौसेना की ताकत की रीढ़ माना जाता है। विमान में 11 हॉर्ड पॉइंट दिए गए हैं, जिसके माध्यम से यह 4000 किलोग्राम के एयर टू एयर और एयर टू ग्राउंड मिसाइलों को लेकर उड़ान भरने में सक्षम है। विमान में लगे रडार इससे और खतरनाक बना देते है। बोइंग ने भारत में F/A18 के लिए उत्पादन सुविधा स्थापित करने की पेशकश की है। इसके अलावा अगर भारत यह सौदा करता है, तो यह अमेरिका के साथ उसके संबंधों को और बेहतर करने में मदद कर सकता है।

वर्तमान में भारत वैश्विक शक्तियों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में रूस से S-400 की खरीद को लेकर अमेरिका द्वारा भारत को उसके सख्त कानून CAATSA से विशेष छूट देने के प्रयास कर रणनीतिक संबंधों को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में भारत भी इस दिशा में कदम उठा सकता है और नौसेना के लिए अमेरिका के F/A-18 लड़ाकू विमान को चुन सकता है।

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