UPSC की तैयारी के नाम पर हिंदू देवी देवताओं के विरुद्ध विष उगलने वाले ‘ओझा’ न जाने और कितने हैं

हिंदू देवी-देवताओं के विरुद्ध विष उगलने वाले ओझा जैसे शिक्षक भारत पर बोझा हैं

Awadh Ojha

आपातकाल लगाने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तानाशाही के दम पर देश के संविधान में एक शब्द जोड़ा था, सेकुलरिज्म… और आज यह शब्द देश के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गया है। वामपंथियों की स्वीकारोक्ति पाने के लिए धड़ल्ले से सेकुलरिज्म का ढोंग रचा जाता है और हिन्दू देवी-देवताओं के विरुद्ध विष उगला जाता है। सेकुलरिज्म, यह शब्द इतना विषयुक्त हो गया है कि इसका विष अब UPSC की तैयारी कराने वाले शिक्षकों से लेकर अधिकारियों के रवैये में भी दिखने लगा है जिसमें कुछ जानेमाने लोग भी शामिल हैं।

इस लेख में जानेंगे कि कैसे देश की सेवा करने के लिए तैयार होने वाले छात्रों को UPSC की परीक्षा की तैयारी करवाने के नाम पर कुछ एजेंडाधारी शिक्षक और संस्थान रात-दिन हिंदुओं के विरुद्ध विष उगल रहे हैं, ऐसा लगता है जैसे हिंदू विरोधी लॉबी ही तैयार की जा रही है।

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तैयारी के नाम पर ये क्या हो रहा है?

दरअसल, IQRA कोचिंग सेंटर जो कि UPSC की परीक्षा के लिए छात्रों की तैयारी करवाता है, छात्र यहीं से तैयारी करके देश की सेवा के लिए IAS, PCS, IPS बनने का सपना देखते हैं।‌ इस कोचिंग सेंटर के ही एक अध्यापक हैं जिनका नाम है अवध ओझा। ये एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में लगातार विवादित बयान दिए हैं और हाल ही में इन अध्यापक महोदय ने भगवान श्री कृष्ण का अपमान करते हुए यह तक कह दिया कि ब्रज के पुरुष पहले भगवान श्रीकृष्ण पर उनकी पत्नियों के साथ नृत्य करने का आरोप लगाते थे और जब भगवान श्री कृष्ण ने  गोवर्धन पर्वत उठाकर अपनी ताकत दिखायी तो यही पुरुष कृष्ण से डर गए और यह तक कहने लगे कि कृष्ण उनकी पत्नियों के अलावा उनकी बहनों और सालियों के साथ भी नृत्य करने के लिए स्वतंत्र हैं।

अपने इस बयान के माध्यम से अवध ओझा ने बड़ी ही ढिटई के साथ यह दर्शाने का प्रयास किया है कि भगवान श्री कृष्ण अपनी ताकत के दम पर सभी कुकृत्य करते थे। ओझा सर का यह रवैया केवल हिन्दू देवी देवता के विरुद्ध ही होता है जबकि जैसे ही उनके अधरों पर इस्लाम का जिक्र आता है वे भक्ति में लीन हो जाते हैं और मोहम्मद साहब का गुणगान करने लगते हैं। यही ओझा सर भगवान श्री कृष्ण के अपमान की बातें करते हैं और इन्हीं ओझा की ज़ुबान से मुगल शासक और नरसंहारक औरंगजेब से लेकर इल्तुतमिश के लिए सम्मान के फूल झड़ते हैं।

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यह केवल एक अवध ओझा की बात नहीं है बल्कि कई ऐसे अध्यापक हैं जो समय-समय पर सेकुलरिज्म पढ़ाते-पढा़ते कभी इस्लाम की प्रशंसा करने लगते हैं तो कभी हिन्दुओं द्वारा अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार का उल्लेख करते हैं, जो कभी हुआ ही नहीं। ओझा सर की तरह ही विजन आईएएस नामक कोचिंग संस्थान की एक अध्यापिका हैं जो कि बच्चों को यह सिखाती पायी गयी हैं कि कैसे लोगों के मन पर हिन्दू राष्ट्र का ख्याल डाला गया है जिससे लोगों में यह एक भावनात्मक मुद्दा बन चुका है जिसके नाम पर अल्पसंख्यकों पर सर्वाधिक अत्याचार होता है‌।

यह ऑनलाइन कोचिंग प्लेटफॉर्म भी विष घोलने में लगा है

इसी तरह अन एकेडमी नाम के एक आनलाइन कोचिंग प्लेटफॉर्म के एक प्रैक्टिस पेपर में अजीबोगरीब सवाल पूछा गया जिससे साफ पता चलता है कि कैसे हिन्दुओं के विरुद्ध विष उगला जा रहा है। यह प्रश्न था, “किसी शहर में मुस्लिम समाज के लोग अपना कोई त्योहार सड़कों पर मना रहे हैं और वहां नारेबाजी और जश्न हो रहा है। यही काफिला जब किसी हिन्दू बहुल इलाके से गुजरा तो मुस्लिमों के जुलूस पर पत्थरबाजी हुई क्या यह सही है?”  यह सवाल बिल्कुल ही विरोधाभासी है क्योंकि ऐसी कोई घटना कभी हुई ही नहीं बल्कि हिन्दुओं के तीज-त्योहारों में मुस्लिम बहुल इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा फैलाई जाती है। यह प्रश्न ही इस बात को स्पष्ट करने के लिए काफी है कि UPSC के छात्रों को हिन्दू धर्म के खिलाफ एकतरफा ज्ञान का जहर घोला जा रहा है।

इसे समझना कठिन नहीं है कि कैसे सेकुलरिज्म और बुद्धिजीवी बनाने के नाम पर कोचिंग संस्थान छात्रों के मन में हिन्दू देवी-देवताओं के प्रति विष घोल रहे हैं। उन्हें यह सिखाया जा रहा है कि कैसे हिन्दुओं के कारण ही देश में सारी दिक्कतें हैं जबकि इस्लाम विश्व में शांति का प्रकाश ला रहा है। इसी का नतीजा है कि आज के दौर में अधिकारियों द्वारा कुछ इलाकों में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति में भेदभावपूर्ण रवैया आपनाने की घटना सामने आती है, क्योंकि इन अधिकारियों के दिमाग में कोचिंग सेंटर का अजीबोगरीब सेकुलरिज्म वाला घोल पिलाया गया है।

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सारगर्भित बात ये है कि इस तरह के मामलों में सरकारें स्पष्ट संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करें जिससे ऐसे शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों के एजेंडे पर रोक लगायी जा सके। UPSC की परीक्षा पास करने वाले छात्रों का व्यक्तित्व किसी एक धर्म के प्रति पक्षपाती या भेदभावपूर्ण न हो।

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