किसी भी राजा का उत्तराधिकारी हमेशा तय होता है, सबको पता होता है कि उसका बेटा ही उसके राज्य का प्रभार संभालेगा। वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र में किसी भी संवैधानिक पद का उत्तराधिकारी किसी भी मौजूदा पदासीन व्यक्ति के परिवार का कोई सदस्य नहीं होगा इस पद्धति पर भाजपा पहले ही चल पड़ी है। चाहे राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद हो या मंत्री पद, भाजपा हर निर्णय में परिवारवाद पर चोट करती हुई ही दिखी है। इसी क्रम में भाजपा की एक और नीति है जो उसका मूल रही है, वो नीति है 75+ की श्रेणी में आते ही सभी पदों का त्याग करना हर एक व्यक्ति के लिए अनिवार्य है।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे भाजपा के द्वारा 2024 के आम चुनाव पीएम मोदी के नेतृत्व में तो लड़े जाएंगे पर वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं करेंगे। जानेंगे कि “मोदी के बाद कौन?” का उत्तर कौन-कौन से नेता हो सकते हैं।
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पीएम मोदी नियमों के पालनकर्ता के रूप में जाने जाते हैं
दरअसल, इस वर्ष सितंबर माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 72 साल के होने जा रहे हैं और आगामी 2025 को वो 75 साल के हो जाएंगे। ऐसे में भाजपा की नीतियों और पार्टी के संविधान के अनुसार पीएम मोदी को अपने पद से इस्तीफा देकर किसी अन्य को आगे आने की लिए कहना होगा। यह शास्वत सत्य है कि पीएम मोदी नियमों के पालनकर्ता के रूप में बड़े सख्त जान पड़ते हैं। जरा सी चूक भी पीएम मोदी को न संघ का प्रचारक रहते हुए पसंद थी, न ही गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए और न ही प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने अपने स्वाभाव को बदला। यही स्वाभाव आज उन्हें विश्व के सबसे बड़े राजनेताओं में से एक का तमगा देता है।
ऐसे में यदि 2025 में 75 वर्ष के होने के पश्चात यदि पीएम मोदी इस्तीफा देते हैं तो उनके उत्तराधिकारी के रूप में उनसे और अधिक प्रभावी या फिर उनके समकक्ष नेता जो भारत की छवि उसी प्रभावी ढंग से वैश्विक मानचित्र पर रख सके उसका चयन होना आवश्यक है।
योगी आदित्यनाथ
जो नेता इस क्रम में सबसे आगे हैं वो हैं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। अपनी वाक-शैली से सबको नियंत्रित करने और अपनी ओर आकर्षित करने में योगी का कोई सानी नहीं है। “पीएम मोदी के बाद कौन?” चर्चाओं में हमेशा पहला नंबर इन्हीं योगी आदित्यनाथ का रहता है। 2017 के बाद अपने निर्णयों से देशभर में संपूर्ण ख्याति बटोर लेने वाले योगी आदित्यनाथ ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनकी चर्चा यूपी के बाहर भी होती है। “योगी मॉडल” एक ब्रांड बन चुका है जिसको चैलेंज करना अब आसान नहीं रहा। इसलिए यदि पीएम मोदी के बाद किसी का चयन होता है तो सबसे पहला नाम “योगी आदित्यनाथ” का ही होगा।
हिमंता बिस्वा सरमा
दूसरा, वो पूर्व कांग्रेसी चेहरा जो भाजपा में आकर योगी पार्ट 2 बन गए। जी हाँ, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही उनके निर्णयों ने पूर्वोत्तर की राजनीति को भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु पर लाकर खड़ा कर दिया था। ये आसान प्रतीत होता है पर इतना भी आसान नहीं था। हिमंता ने इस संदर्भ में जमीनी स्तर पर काम किया, लोकप्रियता से अधिक जनप्रियता कमाई और आज आलम यह है कि यदि युवा मुख्यमंत्रियों की बात करें तो हिमंता का नाम स्वाभाविक रूप से सबके सामने आता है। सरकार की योजनाएं हों या नए कानून सभी को अपने राज्य में लागू करने में हिमंता सबसे आगे होते हैं।
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देवेंद्र फडणवीस
तीसरा नाम वो है जिसे भाजपा का बाजीगर कहा जाता है। फ़िल्मी डायलॉग हार के जीतने वाले को बाज़ीगर कहते हैं, यह इन्हीं देवेंद्र फडणवीस के लिए कहा जाता है। 2019 में सबसे अधिक वोट पाने के बाद भी सरकार न बना पाने वाले फडणवीस ने आस नहीं छोड़ी और निरंतर महाराष्ट्र में सक्रिय रहे। फडणवीस की रणनीति ही थी जो 2022 में उन्होंने अंततः भाजपा की सरकार बनायी और राजनीतिक रूप से “बड़े भाई” होने का भान भी करा दिया। स्वयं उपमुख्यमंत्री बन एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर देवेंद्र फडणवीस ने सिद्ध कर दिया कि जन-जन के नेता के रूप में फडणवीस आज भी कार्यरत हैं, कल भी थे और आगे भी रहेंगे।
चौथा नाम वो यह जो वर्तमान में पीएम मोदी के सबसे अधिक विश्वासपात्रों में से एक हैं, जो गुजरात की राजनीति से पीएम मोदी जोड़ीदार रहे और वर्तमान में भारत के गृह मंत्री हैं। इस नाम से न कोई अनभिज्ञ है और न ही ये नाम नया है, अमित शाह नाम ही काफी है। यदि गुजरात मॉडल को ही बढ़ावा देते हुए अगले पीएम का चयन होता है या निर्णय लेने की चेष्टा को देखा जाता है तो निश्चित रूप से अमित शाह के नाम पर ही मुहर लगेगी क्योंकि धारा 370, 35ए, ट्रिपल तलाक, CAA और NRC यह सब अमित शाह की ही देखरेख में तैयार हुए। ऐसे में अमित शाह को यदि भावी पीएम कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
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बाकी काल के गाल में क्या छिपा हुआ है, किसके भाग्य में प्रधानमंत्री बनना लिखा है वो समय बताएगा पर “मोदी के बाद कौन?” इसका उत्तर अब उक्त संभावित नामों के साथ थोड़ा सरल हो गया है।
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