दुनिया इस वक्त वैश्विक मंदी की आहट से सहमी हुई है। कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने विश्व को मंदी की ओर धकेल दिया है। इस कारण दुनिया की तमाम शक्तियां इस वक्त चिंता में है। परंतु बात अगर भारत के संदर्भ में करें तो मंदी का साया देश पर पड़ने की संभावना दूर-दूर तक नहीं है। तमाम विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि भारत मंदी से अछूता रह जाएगा। यही नहीं, अनुमान तो यह भी लगाया जा रहा है कि वैश्विक मंदी में भारत को नुकसान कम और फायदा अधिक हो सकता है। ध्यान देने वाली बात है कि जब पूरी दुनिया में चीजें तहस-नहस हो रही हैं, ऐसे वक्त में लाभ उठाकर भारत निर्यात बढ़ाने पर अधिक जोर दे रहा है।
भारत दुनिया के सबसे बड़े आयातकों में से एक रहा है। कच्चे तेल समेत कई मामलों में भारत अन्य देशों पर निर्भर है लेकिन कोरोना के बाद से स्थिति में जमीन-आसमान का अंतर देखने को मिला है। सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं ने कमाल कर दिखाया है। भारत मौजूदा समय में सैन्य उत्पादों का भी हब बनता जा रहा है। निर्यात की बात करें तो भारत 75 देशों को सैन्य उत्पादों का निर्यात करता है। अब सरकार का फोकस भी आयात से अधिक फोकस निर्यात पर ही दिख रहा है। भारत सरकार द्वारा सेवा निर्यात को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इस वर्ष यह 20 फीसदी अधिक बढ़कर 300 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 40 प्रतिशत की वृद्धि के बाद माल निर्यात का लक्ष्य 10-12% पर निर्धारित होने के आसार हैं। मई महीने के दौरान भी निर्यात में तेजी देखी गई थी, तब इसमें 15% से अधिक की वृद्धि हुई थी।
और पढ़ें: ईंधन पर निर्यात शुल्क लगाकर एक रक्षक की भूमिका निभा रही है मोदी सरकार
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार उच्च मुद्रास्फीति के परिणामस्वरूप अमेरिका समेत दूसरे विकसित देशों में बढ़ती ब्याज दरों के कारण निर्यात मांग बाधित होगी। रूस-यूक्रेन के बीच मौजूदा हालात का भी पूरी दुनिया में असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में भारत सरकार के द्वारा सेवा निर्यात को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार सर्विस सेक्टर का निर्यात बढ़ाने पर फोकस कर रही है जो पहले से ही मजबूत स्थिति में बना हुआ है। खास तौर पर पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों के साथ, जो कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों के समाप्त होने पर मजबूती से उभर रहे हैं। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया और यूएई ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं जिससे निर्यात बढ़ाने में और मदद मिलेगी। हालांकि, वाणिज्य विभाग द्वारा लक्ष्य की घोषणा करने से पहले पहली तिमाही के आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।
देखा जाए तो भारत की अर्थव्यवस्था में तीन सेक्टर प्रमुख हैं जिसमें पहला प्राइमरी सेक्टर है। यह अर्थव्यवस्था का वो क्षेत्र है जिसमें प्राकृतिक संसाधन को कच्चे तौर पर प्राप्त किया जाता है। इसमें कृषि से संबंधित क्रियाकलाप, खनन आदि आते हैं। द्वितीय क्षेत्र में लोहा इस्पात उद्योग और ऑटोमोबाइल से जुड़े सेक्टर आते हैं। वहीं, तृतीय क्षेत्र में आता है सर्विस सेक्टर। सर्विस सेक्टर का देश की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इसका योगदान करीब 55 फीसदी है। वैश्विक स्तर पर भी देखें तो सर्विस सेक्टर में भारत बहुत बड़ा निर्यातक है। मोदी सरकार अब सर्विस सेक्टर पर फोकस करने के साथ इसका निर्यात बढ़ाने के प्रयास में जुटी है और अपने इन कदमों के माध्यम से भारत को विकसित अर्थव्यवस्था बनाने की ओर बढ़ रही है।
वैसे देखा जाए तो भारत की अर्थव्यवस्था अभी के समय में अन्य देशों के मुकाबले काफी अच्छी स्थिति में है। ऐसे वक्त में जब अधिकतर देश मंदी को लेकर परेशान हैं तब भारत की अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से बढ़ती जा रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकीय संगठन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित की गई जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। अभी के समय में दुनिया के तमाम देश मंदी से निपटने के लिए समाधान निकालने में जुटी हुए हैं। तब भारत एक के बाद एक कदम उठाकर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के प्रयासों में लगा है जो देश के भविष्य के लिए बेहतर संकेत देता है।
और पढ़ें: पाम ऑयल के निर्यात पर इंडोनेशिया का प्रतिबंध भारत के लिए वरदान साबित हो सकता है
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।