सरकारें आती हैं, 5 साल में बदल जाती हैं। बस इस बार थोड़ा अलग है क्योंकि सरकार गिरने के बाद महाराष्ट्र को नई सरकार मिल गई है और नई सरकार आते ही नए निर्णय लेने और पुराने निर्णयों का तख्तापलट होना शुरू हो गया है। उद्धव ठाकरे की सरकार के दौरान पारित किए गए कई निर्णयों में नई एकनाथ शिंदे की सरकार ने पहली कैबिनेट मीटिंग के साथ ही बदलाव करने शुरू कर दिए हैं। जो निर्णय वर्ष 2019 में भाजपा-शिवसेना के कार्यकाल में पारित हुए थे उन्हें अघाड़ी सरकार बनते ही बदल दिया गया था। अब उसी को परिवर्तित कर पुराना रूप देने में जुटी शिंदे सरकार ने राज्य मेट्रो कार शेड को आरे कॉलोनी में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है।
दरअसल, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को शपथ लेने के तुरंत बाद सरकार की कानूनी टीम को बॉम्बे हाई कोर्ट को सूचित करने का आदेश दिया कि राज्य मेट्रो कार शेड को आरे कॉलोनी में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इससे पहले निवर्तमान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मेट्रो कार शेड को आरे से कांजुरमार्ग स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।
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2019 में अघाड़ी सरकार ने टेक दिए थे घुटने
ध्यान देने वाली बात है कि यह प्रोजेक्ट भाजपा-शिवसेना की मिली-जुली सरकार में ही शुरू हुआ था। संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से सटे 1,287 हेक्टेयर में फैली आरे कॉलोनी को मुंबई के प्रमुख हरित पट्टी (Major Green Lung) के रूप में जाना जाता है। वर्ष 2019 में भाजपा-शिवसेना सरकार यहां चल रही मेट्रो परियोजना के लिए साइट पर एक शेड का निर्माण करना चाह रही थी। इस कदम के खिलाफ नागरिकों और हरित कार्यकर्ताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन उच्च न्यायालय द्वारा पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग वाली इन याचिकाओं को खारिज करने के कुछ ही घंटों के भीतर, मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MMRCL) ने पेड़ काटना शुरू कर दिया था।
मुंबई नागरिक निकाय ने मेट्रो अधिकारियों को 2,700 पेड़ गिरने की अनुमति दी थी। मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने पेड़ों की कटाई का बचाव करते हुए कहा था कि यह केवल आरे कॉलोनी में एक छोटे से क्षेत्र तक ही सीमित है और मुंबईकरों के लिए एक आधुनिक परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। अटकलें तो यह भी थी कि मुंबई मेट्रो रेल के अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की थी कि मेट्रो लाइन-3 परियोजना में तीन साल की देरी हो सकती है और अगर लाइन के लिए कार शेड को आरे कॉलोनी से स्थानांतरित कर दिया गया तो इसकी लागत 2,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। लेकिन जब विरोध बढ़ता गया, तो वर्ष 2019 में सत्ता में आई महाविकास अघाड़ी सरकार ने घुटने टेक दिए और परियोजना को कांजुरमार्ग में स्थानांतरित करने का फैसला किया और लगभग 812 एकड़ भूमि यानी आरे कॉलोनी का हिस्सा एक आरक्षित वन के रूप में घोषित कर दिया गया।
पटरी पर लौटी आरे परियोजना
अब एक बार पुनः सत्ता परिवर्तन होने के बाद देवेंद्र फडणवीस की नीति कारगर सिद्ध हुई और शिंदे-फडणवीस के गठजोड़ ने आते ही एक बड़ा कदम उठाते हुए पिछले फैसले को बहाल कर दिया। इससे सरकार ने आर्थिक व्यय का भी बचाव किया और समय की और बर्बादी न हो यह भी सुनिश्चित किया। निश्चित रूप से सरकार के इस निर्णय से अघाड़ी गठजोड़ भले ही खिन्न नज़र आए और विरोध करे परंतु जो निर्णय पूर्व में शिवसेना को भाजपा के साथ सरकार में रहते हुए ठीक लगा वो अघाड़ी के साथ जाकर कैसे बदल गया, उद्धव ठाकरे को इसपर विचार करना चाहिए। बाकी शिंदे-फडणवीस सरकार के सत्ता में आने से आरे परियोजना पुनः पटरी पर लौट चुकी है।
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