आज अन्य देशों की तुलना में भारत के लोग बेहद ही सस्ते इंटरनेट का लुफ्त उठा रहे है और इसका श्रेय अगर किसी को देना चाहिए तो वो वास्तव में रिलायंस जियो के संस्थापक मुकेश अंबानी ही हैं। जियो को मार्केट में उतारकर अरबपति मुकेश अंबानी टेलीकॉम जगत में क्रांति लेकर आए। जियो ने लोगों को सस्ते दाम पर इंटरनेट उपलब्ध कराए और अन्य कंपनियों को भी ऐसा करने के लिए मजबूर करके रख दिया। इसके साथ ही मुकेश अंबानी और उनकी कंपनी जियो दूरसंचार विभाग में शीर्ष खिलाड़ी बनकर उभरी। देखा जाए तो आज के समय में एक तरह से अंबानी ने इस क्षेत्र पर अपना एकाधिकार बनाया हुआ है।
हालांकि अब अंबानी के इस एकाधिकार को टक्कर मिलती हुई दिखने लगी है और उनका मुकाबला किसी ऐसे-वैसे व्यक्ति से नहीं बल्कि यह दुनिया के सबसे अमीरों व्यक्ति की सूची में चौथे नंबर पर शामिल गौतम अडानी से होने जा रहा है। अडानी सूमह ने भी हाई-स्पीड 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में बोली लगाई है। जबसे गौतम अडानी ने 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में उतरने की घोषणा की थी, तब से ही यह काफी सुर्खियों में छाई हुई है। अब देश के दो सबसे अमीर व्यक्ति अगर किसी क्षेत्र में आमने-सामने आएंगे, तो जाहिर तौर पर इसका खबरों में आना तो तय है। यही कारण है कि पिछले कई दिनों से 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी पर हर किसी की नजरें टिकी हुई है।
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टेलीकॉम क्षेत्र में भी अडानी ने दी दस्तक
हालांकि इस बीच एक खबर यह भी आ रही है कि गौतम अडानी के इस कदम ने मुकेश अंबानी समूह में खलबली बढ़ा दी थी। एक रिपोर्ट के अनुसार जून के माह में मुकेश अंबानी और उनके सहयोगी रिलायंस साम्राज्य के लेन-देन का विस्तार करने से जुड़ी चर्चा को लेकर दुविधा में पड़ गए थे। ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया कि जून में रिलायंस इंडस्ट्रीज विदेश की एक दिग्गज टेलीकम्युनिकेशन कंपनी को खरीदने पर विचार-विर्मश पर कर रही थी। उसी दौरान उनको यह पता चला कि अडानी समूह 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए बोली लगाने की योजना पर काम कर रहा है। अडानी के इस कदम ने अंबानी खेमे में हलचल पैदा कर दी थी।
रिपोर्ट आगे बताती है कि इस दौरान अंबानी के कुछ सहयोगियों द्वारा उनको सलाह दी गई कि वो भारतीय बाजारों से हटकर विदेशी मार्केट के लक्ष्य पर अपनी नजर रखें और वहां अपने कारोबार का विस्तार करें। जबकि अन्य सहयोगियों ने उन्हें घरेलू मैदान पर ही खड़ी होनी वाली चुनौतियों को देखते हुए अपना फंड बचाकर रखने की सलाह दी। सूत्रों के अनुसार अंत में अंबानी ने निर्णय लिया कि वो किसी विदेशी कंपनी में पैसा नहीं लगाएंगे। उन्होंने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि अगर अडानी दूरसंचार क्षेत्र में उतरते है और उनके सामने कोई चुनौतियां पैदा होती है, तो उनका सामना करने के ले उनको वित्तीय क्षमताएं तैयार रखनी चाहिए। यानी अडानी के महज टेलीकॉम क्षेत्र में दस्तक देने की खबर ने अंबानी को डराकर रख दिया था और वे उनका सामना करने के लिए पहले से ही योजना बनाने में जुट गए थे।
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अंबानी और अडानी ग्रुप आमने सामने
यहां ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि जहां एक ओर मुकेश अंबानी है, जिनकी रिलायंस जियो आज के वक्त में देश में मोबाइल नेटवर्क बना हुआ है। मार्केट में जियो की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। वहीं दूसरी ओर अडानी ग्रुप है, जिसने टेलीकॉम सेक्टर में अभी तक दस्तक तक नहीं दी। उनके पास वायरलेस टेलीकम्युनिकेशन सेवाएं देने के लिए लाइसेंस तक नहीं है। अभी केवल 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए अडानी ने बोली ही लगाई है, तब भी मुकेश अंबानी को उनसे चुनौती मिलने का खतरा सता रहा है। अंबानी का यह डर वाजिब भी लगता है। अडानी जिस तेजी से अपने कारोबार का विस्तार कर रहे हैं, वे मुकेश अंबानी के लिए बड़ा खतरा बनते चले जा रहे है। उन्होंने अंबानी से देश के सबसे अमीर व्यक्ति का तमगा तो छीन ही लिया। इसके साथ ही दुनिया की अमीर लोगों की ऊपर चले जा रहे है, जबकि अंबानी इसमें काफी पिछड़ रहे हैं। वर्तमान समय की बात करें तो विश्व के अमीर व्यक्तियों की सूची में अडानी चौथे नंबर पर है, जबकि अंबानी इस लिस्ट में शीर्ष 10 से भी बाहर हो गए।
मुकेश अंबानी और गौतम अडानी दो सबसे बड़े अरबपति हैं। जो देश की अर्थव्यवस्था के बड़े स्तंभ माने जाते हैं। वैसे तो यह दोनों ही कई सालों से अलग-अलग क्षेत्रों में अपने कारोबार का विस्तार करते आए हैं। हालांकि अब विभिन्न क्षेत्रों में इनमें टक्कर भी देखने को मिलने लगी है। परंतु ऐसा पहली बार हो रहा है, जब अंबानी और अडानी के बीच किसी क्षेत्र में यूं सीधी टक्कर हो रही है। दोनों ही 5G की नीलामी में हिस्सा ले रहे हैं। ऐसे में अगर इसके बाद अडानी टेलीकॉम सेक्टर में एंट्री लेने का फैसला करते हैं, तो दोनों दिग्गजों के बीच इस क्षेत्र में बेहद ही दिलचस्प जंग देखने को मिल सकती है। हालांकि देखा जाए तो इस प्रतिस्पर्धा से सबसे अधिक जिसको फायदा होगा वो जनता ही है। दोनों अरबपतियों की बीच की लड़ाई का फायदा भारतीय ग्राहकों को मिल सकता है। इससे इंटरनेट सस्ता होने की उम्मीद है। इससे भारतीय टेलीकॉम जगत में ट्रैफिक वॉर भी शुरू हो सकता है।
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