गज़वा-ए-हिंद का सपना देखने वाली दो और आंखें हमेशा के लिए बंद हो गई हैं। वर्ष 2011 में ओसामा बिन लादेन के मरने के बाद आतंकवाद की कमान संभालने वाले अल-कायदा के नेता नंबर 2 अयमान अल-जवाहिरी को अमेरिका ने 31 जुलाई रविवार सुबह मार गिराया। काफी लंबे समय से अमेरिकी खुफिया विभाग उस पर नज़र गड़ाए बैठी थी और मौका मिलते ही उसका काम तमाम कर दिया। मंगलवार सुबह 2 अगस्त को संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक संबोधन में इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “अयमान अल-जवाहिरी नाम का आतंकवादी नेता अब नहीं रहा।”
अमेरिका जो भले ही कई बार आतंवादियो को पनाह देने वाले पकिस्तान को सहायता प्रदान करता आया है लेकिन अल-जवाहिरी नाम के इस आतंकवादी को मार गिराने के पीछे अमेरिका का कारण निजी भी था। ध्यान देने वाली बात है कि अल-जवाहिरी वह आतंकवादी था जिसने 9/11 के हमलों की साजिश रची थी। मिस्र में जन्मे अरबी और फ्रेंच भाषा को जानने वाला जवाहिरी एक सर्जन था, जिसने मिस्र के इस्लामिक जिहाद का गठन किया और उसे बाद में अल-कायदा में मिला दिया गया ताकि दोनों संगठन एक साथ अपने नापाक एजेंडे को आगे बढ़ा सकें। जवाहिरी 9/11 हमले के बाद से 20 वर्ष से फरार चल रहा था। उसके सिर पर 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम था।
अल-कायदा की पश्चिम के प्रति घृणा किसी से छिपी नहीं है लेकिन पिछले कुछ समय से इस आतंकी संगठन का ध्यान केवल पश्चिम तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि भारत पर अपनी कुदृष्टि डालने में भी यह आतंकी संगठन सबसे आगे रहा। समय-समय पर अल-क़ायदा नेता जवाहिरी नए नए वीडियो जारी कर दुनिया के मुसलामानों को जिहाद के लिए प्रोत्साहित करता था। अयमान अल-जवाहिरी ने अपनी नई वीडियो में दुनिया के मुस्लिमों से प्रमुख जिहादी नेताओं को अपना रोल मॉडल बनाने की बात कही थी। इस संगठन की ओर से अधिकतर वीडियो पहले केवल पश्चिमी शक्तियों के खिलाफ बनाये जाते थे और भारत का उल्लेख कभी कभार ही देखने को मिलता था लेकिन वर्ष 2014 और 2022 में अल-कायदा नेता द्वारा जारी किए गए वीडियो पूरी तरह से भारत पर केंद्रित थे। यह भारत केंद्रित वीडियो अल-जवाहिरी के अनुयायियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण संदेशों में से एक था और उसमें उपमहाद्वीप में जिहाद फैलाने हेतु उसके दृष्टिकोण के बारे में महत्वपूर्ण घोषणाएं थी।
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2014: ‘भारतीय उपमहाद्वीप में जिहाद’
2014 में जारी एक वीडियो में जवाहिरी ने “जमात क़ैदत अल-जिहाद फ़िशिभी अल-क़रत अल-हिंडिया” यानी “भारतीय उप-महाद्वीप में जिहाद के आधार का संगठन” के गठन की घोषणा की और अल-कायदा के अभियानों का पूरे क्षेत्र में विस्तार करने का वादा करते हुए कहा कि अल-कायदा भारत में अपने मुस्लिम भाइयों को नहीं भूला है। वर्ष 2020 में कई खबरें सामने आईं जिनमें कहा गया कि अल-जवाहिरी की प्राकृतिक कारणों से मृत्यु हो गई। हालांकि, उन रिपोर्ट के बाद अल-कायदा ने जवाहिरी के कई वीडियो जारी किये जिनमें उन्होंने केवल पुराने मुद्दों के ऊपर बात की थी। सभी वीडियो में जिहाद की ही बात होने के कारण यह कह पाना असंभव था कि वीडियो वर्तमान समय में शूट किए गए थे या अल-कायदा अपने नेता को जीवित दिखाने के लिए केवल पुरानी वीडियो को ही बार बार चला रहा था।
2022: कर्नाटक हिजाब विवाद पर प्रतिक्रिया
भारत के कर्नाटक राज्य में एक कॉलेज में हिजाब पर विवाद बढ़ा क्योंकि विद्यार्थियों की मांग थी कि सभी विद्यार्थी स्कूल की पोशाक पहनें और स्कूल की पोशाक में हिजाब शामिल नहीं है। मुस्कान खान नाम की एक मुस्लिम छात्रा ने इसके विरोध में ‘अल्लाह हु अकबर’ के नारे लगाए थे। इसी घटना के बाद अप्रैल 2022 में अल-जवाहिरी ने एक वीडियो जारी किया जिसमें उसने भारत में हिजाब विवाद की बात की और उपमहाद्वीप में मुसलमानों से इस्लाम पर कथित हमले को लेकर “सोशल मीडिया पर बौद्धिक रूप से और युद्ध के मैदान में हथियारों के साथ” लड़ने को कहा। इसके आलावा नूपुर शर्मा के मामले में भी जारी किये एक वीडियो में जवाहिरी ने पैगंबर मोहम्मद को लेकर विवादास्पद बयान दिए जाने के बाद भारत के खिलाफ जिहाद की अपील करते हुए प्रमुख भारतीय शहरों में आत्मघाती हमले शुरू करने की धमकी दी थी और गजवा-ए-हिंदी की बात कही थी। इस वीडियो के बाद यह पुष्ट हो गया था कि अल कायदा का यह नेता अभी भी जीवित है और यह बात केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता की बात थी।
अल-कायदा फैला रहा पांव
रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से अल-कायदा मजबूती से उभरता जा रहा था। अमेरिकी सेना द्वारा पीछे छोड़े गए आधुनिक हथियारों, विस्फोटकों और नाइट विजन इक्विपमेंट्स के साथ अल-कायदा खुद को और मजबूत करने में जुट गया था। इस आतंकी संगठन को कतर और तुर्की जैसे देशों से फंड भी मिले जबकि पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देश इसे लड़ने के लिए लड़ाके उपलब्ध करवाने लगे। वर्ष 2019 में अफ़ग़ानिस्तान में मारे गए एक आतंकी जिसे अल-जवाहिरी ने अल-कायदा के नए उपमहाद्वीप सहयोगी के प्रमुख के रूप में एक “मौलाना असीम उमर” को नामित किया था, यह आदमी वर्ष 2019 में अफगानिस्तान में मारा गया था। अफगान अधिकारियों का कहना था कि उमर पाकिस्तानी था। हालांकि, बाद में यह पता चला कि उमर वास्तव में भारतीय था, जिसका जन्म उत्तर प्रदेश के संभल में सनौल हक के रूप में हुआ था। इस एक प्रसंग से पता चलता है कि अल-कायदा भारत में अपनी पहुंच बनाने की पूरी कोशिश में था।
यह भारत के लिए एक सबक था कि भारत को अपनी खुफिया एजेंसी और सेना को और मजबूत करने की आवश्यकता है क्योंकि अब आतंकवादियों के आने का खतरा केवल पाकिस्तान से ही नहीं बल्कि अफ़ग़ानिस्तान से भी था। साथ ही जिस तरह भारत का व्यक्ति इस संगठन का हिस्सा पाया गया, उससे यह साफ़ था कि अब इन संगठनों की “ब्रेन वाशिंग तकनीक” केवल कश्मीरी युवाओं तक ही सीमित नहीं रही बल्कि भारत के अंदर भी पहुंच बना रही है। भले ही इस आतंकवादी को मार गिराने का श्रेय अमेरिका को जाता है लेकिन उसकी मौत भारत के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।
क्या है गज़वा-ए-हिंद?
आपको बता दें कि कट्टर विचारधारा को फॉलो करने वाले आतंकियों के मन में गज़वा-ए-हिंद का ख्वाब होता है। इस आतंकवादियों की मनपसंद फिलॉसफी माना जाता है। गज़वा-ए-हिंद के मतलब की बात करें तो कहा जाता है कि भारत से एक न एक दिन अंतिम युद्ध होगा और इस युद्ध में हिंद को हरा दिया जाएगा और इस जंग को ही गज़वा-ए-हिंद का नाम दिया गया है। गज़वा-ए-हिंद भारत से आखिरी लड़ाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह मोटे तौर पर गज़वा-ए-हिंद का मतलब भारत में युद्ध के जरिए इस्लामिक राज्य की स्थापना करने से है। माना जाता है कि इस्लाम की स्थापना का अर्थ सिर्फ इस्लामिक सरकार की स्थापना भर नहीं है, इस्लाम का विस्तार भी है।
गज़वा-ए-हिंद में इस्तेमाल किए गए शब्द गज़वा का मतलब है इस्लाम के प्रचार और विस्तार के लिए लड़ी जाने वाली जंग। हिंदुस्तान के लिए किया जाने वाला युद्ध ही गज़वा-ए-हिंद है। पाकिस्तान में एक बड़ा वर्ग गज़वा-ए-हिंद की विचारधारा का समर्थन करता है। गज़वा-ए-हिंद के नाम पर ही आतंकियों को लड़ने के लिए तैयार किया जाता है। इस रास्ते पर चलने वाले लोगों को गाजी कहा जाता है। गाजी वो होते हैं, जो इस्लाम के विस्तार के लिए युद्ध करते हैं। ऐसे में पाकिस्तान और आतंकियों के अड्डों पर आतंकियों को कहा जाता है कि एक दिन गज़वा-ए-हिंद होगा और गज़वा-ए-हिंद में मरने पर जन्नत का झांसा दिया जाता है और जवाहिरी भी अपने इसी सपने पर आगे बढ़ता जा रहा था। अयमान अल-जवाहिरी की मृत्यु भारत को गज़वा-ए-हिन्द बनाने का सपना देखने वालों के लिए एक संदेश है कि उनकी इच्छा उनके साथ ही उनकी कब्र में दफ़न होने वाली है!
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