पुरी शंकराचार्य के विरुद्ध विष उगलने के लिए भाजपा सांसद ने लगाई मीडिया की क्लास

जानें क्या है पूरा मामला ?

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Source- TFIPOST.in

वामपंथी मीडिया ने मानो एक बात गांठ बांध ली है – फेक न्यूज परम धर्म है उनके लिए और इनके निशाने पर सदैव होते हैं सनातन धर्म एवं उनकी संस्थाएँ। परंतु कभी-कभी इनकी निर्लज्जता हर सीमा लांघ जाती और ऐसे में आवश्यकता है इन्हे कड़ा सबक सिखाने की। इस बार  भाजपा  सांसद ने न केवल मीडिया की क्लास लगाई अपितु उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई का प्रबंध करने की तैयारी भी कर रहे हैं।

सनातन धर्म के प्रति वामपंथियों की कुंठा किसी से छुपी नहीं है। कोविड की दूसरी लहर के समय ये किस प्रकार से एक विकराल रूप धारण की थी ये भी सबने देखा था। आज भी कुछ ढीठ ऐसे हैं जो देश का विभाजन का दोष सनातन धर्म पर ही डालते हैं। ऐसे ही महानआत्माओं ने आदि शंकराचार्य के पुरी धाम के प्रभारी स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के विरुद्ध ये खबर फैला दी कि उन्होंने एक पिछड़े वर्ग के नेता को अपने पाँव छूने देने से रोक दिया।

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हाँ जी आपने ठीक सुना परंतु यह विषबेल यहीं पर खत्म नहीं हुई । जनसत्ता ने अपनी रिपोर्ट के नाम पर भ्रामक तथ्यों को बढ़ावा देना प्रारंभ किया कि पुरी शंकराचार्य ने भाजपा सांसद एवं अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया को पाँव तक नहीं छूने दिए तो वहीं विवादित, घोर जातिवादी पत्रकार दिलीप मण्डल दो कदम आगे बढ़ते हुए पुरी शंकराचार्य को छुआछूत समर्थक बताते हुए ट्वीट किए,

“पुरी का शंकराचार्य आदतन अपराधी है। दलित और महिला विरोधी मानसिकता है। राँची में बयान दिया था कि शास्त्रों के मुताबिक़, दलित मंदिर में घुस नहीं सकते। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इसका संज्ञान लिया था और मीडिया में दर्ज है कि केस भी बना था। फिर बीजेपी सरकार आ गयी। वरना जेल जाता”।

 

परंतु रामशंकर कठेरिया को मीडिया की यह निर्लज्जता बिल्कुल नहीं जमी। ऐसे ही कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में से एक को घेरते हुए उन्हे इन वामपंथियों को आड़े हाथों लेते हुए ट्वीट किया, “मेरे यहां नगरिया-सरावा, इटावा में दिनांक – 15 से 22 मई 2022 तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया था, जिसमें वृन्दावन के डॉ. श्यामसुन्दर पाराशर जी कथावाचक थे। 16 मार्च 2022 को पुरी शंकराचार्य जी परम् पूज्य श्री निश्चलानन्द सरस्वती जी को मैं सादर आमन्त्रित करने गया था। उस दौरान 1 घण्टे मैं उनके सानिध्य में रहा। उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। जो मीडिया में दिखाया जा रहा है ऐसी कोई भी घटना नहीं हुई, यह पूरी तरह असत्य है। इसकी मैं घोर निन्दा करता हूँ और ऐसे लोगों पर कठोर कार्यवाही की मांग करता हूँ जो यह सब गलत दिखा रहे हैं”।

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परंतु रामशंकर कठेरिया का ऐसा प्रथम मामला नहीं है, जिसमें सनातन धर्म के प्रति ऐसी कुंठा दिखाई गई है। 2021 में जब कोविड की दूसरी लहर अपने चरमोत्कर्ष पे थी तो इसका सारा दोष सनातन धर्म पर डालने का पूरा प्रयास किया गया था और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया द्वारा भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करने में भारतीय मीडिया ने भरपूर सहायता भी की थी। चाहे कुम्भ के मेले को कठघरे में खड़ा करना हो, दही हांडी से लेकर गणेश चतुर्थी, दीपावली तक पर अनावश्यक पाबंदियाँ लगवानी हो, आप बस बोलते जाइए और इन लोगों ने वो सब किया, जो भारत की छवि शर्म से तार तार कर दे।

परंतु बात यहीं पर नहीं खत्म होती। कुछ ही माह पूर्व जब काशी विश्वनाथ परिसर का मूल स्थान जहां पर आज ज्ञानवापी का ढांचा स्थित है उससे जुड़े विवाद पर इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी औकात अनुसार और विवेकहीन बुद्धि के साथ हिंदुओं और उनकी मान्यताओं का मजाक उड़ाने के लिए एक दकियानूसी मीम प्रकाशित किया। जिसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र को एक कैप्शन के साथ दिखाया गया था, “बोम भोलेनाथ! आपको यकीन है कि यह भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र है”।

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ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि किसी भी चीज की अति बहुत हानिकारक होती है और यहाँ तो सनातन धर्म के विरुद्ध निर्लज्जता की मीडिया ने सारी पराकाष्ठा पार कर दी है, परंतु इस बार भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया भी तैयार थे। बस, अब इनकी नौटंकी और नहीं चलेगी।

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