आज के समय में अपने साथ कैश लेकर चलने की झंझट ही खत्म हो गयी है। बस अपना स्मार्टफोन जेब से निकाला, QR कोड स्कैन किया और कुछ ही सेकेंड में भुगतान हो गया। किसी भी तरह का भुगतान करना आज बहुत सरल हो गया है। यह सबकुछ एकीकृत भुगतान इंटरफेस यानी UPI की वजह से ही संभव हो पा रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि UPI ने भारत के डिजिटल पेमेंट में क्रांति लाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। आज शहर से लेकर गांवों तक लोग UPI से परिचित हो चुके हैं और इसका उपयोग भी करते हैं। केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अब भारत के UPI को इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस लेख में जानेंगे कि कैसे जिस UPI को वैश्विक स्तर पर इतनी लोकप्रियता मिल रही है, उसे लेकर अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक ऐसा कदम उठाने जा रहा है जो आत्मघाती साबित होगा।
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UPI पेमेंट पर चार्ज लगाने की तैयारी
दरअसल, आरबीआई अब UPI पेमेंट पर चार्ज लगाने की तैयारी में है। आरबीआई द्वारा Discussion Paper on Charges in Payment Systems नाम से एक नया प्रस्ताव लेकर आया गया है जिस पर लोगों के सुझाव भी मांगे गए हैं। इस प्रस्ताव के अनुसार केंद्रीय बैंक UPI प्रणाली का उपयोग करके पैसे के हर लेनदेन के लिए शुल्क पर विचार कर रहा है। आरबीआई के अनुसार उसने नोट किया कि UPI भी तत्काल पेमेंट सेवा (IMPS) की तरह ही एक फंड ट्रांसफर सिस्टम है, जिस कारण UPI के लिए भी IMPS की तरह फंड ट्रांसफर ट्रांजेक्शन शुल्क लगना चाहिए। RBI के अनुसार अलग-अलग राशि के हिसाब से अलग-अलग चार्जेज निर्धारित किए जा सकते हैं।
यानी अब तक लोग जिस UPI के माध्यम से मुफ्त में भुगतान करते आ रहे थे, उसके लिए भी उन्हें अब चार्ज देना पड़ सकता है। रिजर्व बैंक यह कदम ऐसे वक्त में लेने की योजना बना रहा है, जब UPI लेनदेन का नया रिकॉर्ड बनाता चला जा रहा है। पिछले कुछ महीनों के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पता चलेगा कि कैसे देश में UPI के माध्यम से लेनदेन ऊंचाईयों पर पहुंच रहा है। मई 2022 से लगातार भारत में UPI लेनदेन के आंकड़े 10 लाख करोड़ के पार पहुंच रहे हैं। जुलाई महीने में इसके जरिए 10.62 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। जुलाई में UPI के जरिए 6 अरब से अधिक ट्रांजेक्शन हुए। 2016 में UPI लॉन्च होने के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब एक महीने में लेन-देन का आंकड़ा 6 अरब पर पहुंच गया।
सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि देश से बाहर भी UPI का जलवा दिखना शुरू हो चुका है। हाल ही में यह खबर आई कि जल्द ही ब्रिटेन में भी UPI की मदद से लेनदेन संभव होने वाला है। इसके लिए NIPL, जो कि NPCI की अंतरराष्ट्रीय ईकाई है, उसने ब्रिटेन के पेमेंट्स सॉल्यूशंस प्रोवाइडर पेएक्सपर्ट (PayXpert) के साथ साझेदारी की। इसके अलावा फ्रांस, भूटान, सिंगापुर, यूएई और नेपाल जैसे देश भी UPI को स्वीकार कर चुके हैं।
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चार्ज लगाने पर क्या–क्या बदल सकता है?
ऐसे वक्त में जब अपना देसी UPI देश-विदेश में यूं डंका बजवा रहा है, तो इसके उपयोग पर शुल्क लगाना आत्मघाती कदम ही लगता है। वो UPI ही है, जिसने वीजा और मास्टरकार्ड के दबदबे का अंत किया था। परंतु ऐसे में अगर आरबीआई UPI के माध्यम से भुगतान करने पर चार्ज लगा देता है, तो उसका यह कदम लोगों को वीजा और मास्टरकार्ड की तरफ दोबारा रूख करने को विवश कर सकता है।
इसके अतिरिक्त UPI ट्रांजेक्शन पर अगर चार्ज लगाया जाता है, तो लोग दोबारा कैश पेमेंट को बढ़ावा दे सकते हैं और इससे डिजिटल ट्रांजेक्शन में कमी देखने को मिल सकती है। देखा जाए तो आज UPI ने अपनी सुगमता के कारण अपना एकाधिकार कायम कर लिया है। हर छोटी बड़ी पेमेंट के लिए लोग इसका उपयोग करते हैं। वर्तमान में तो इसे टक्कर में कोई दूसरा नजर नहीं आता। परंतु UPI भुगतान पर शुल्क लगाने से UPI का एकाधिकार खतरे में पड़ सकता है।
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एक समय ऐसा था जब भारत में इस तरह ऑनलाइन भुगतान करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। परंतु कुछ ही वर्षों में भारत ने इसमें नये कीर्तिमान स्थापित किए। इस दौरान भारत की भुगतान व्यवस्था में बहुत बदलाव आया है। आज लेनदेन का स्वरूप एकदम बदल चुका है। सिक्कों से लेकर कागज के नोट और अब मोबाइल के डिजिटल पेमेंट के जरिए हमने एक रोमांचक सफर तय किया है। भारत को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने का अभियान वैसे तो वर्षों पहले ही शुरू हो गया था, परंतु कोविड काल के दौरान इसमें जबरदस्त रफ्तार पकड़ते हुए देखने को मिला। भारत आज UPI के जरिए भुगतान में रिकॉर्ड स्थापित करता चला जा रहा है। ऐसे में आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास को यह समझने की आवश्यकता है कि UPI पर चार्ज लगाने का कदम आत्मघाती साबित होगा और इससे नुकसान हमें ही होगा।
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