सत्ता का स्वाद, नशा और हनक कई बार सत्ताधीश की जड़ हिलाने का काम करती है और वर्तमान में कुछ ऐसा ही केरल की वामपंथी सरकार के साथ हो रहा है। जहाँ एक ओर साम्यवादी और इस्लामवादी विचारधाराओं का मिलन हो रहा है तो वहीं इस कट्टरपंथी मिलन से जो अशांति और वैमनस्य का माहौल केरल में स्थापित हो रहा है। उससे यही कहा जा सकता है कि केरल में कम्युनिस्टों को केरल के ही इस्लामवादियों ने कुचल दिया है और अपना एकाधिकार और प्रभुत्व जमाने का निश्चय कर लिया है। हालिया घटनायें उन सभी बातों को प्रमाणित भी कर रही हैं।
ऐसे में जिस साम्यवाद ने पिछली सदी में कम से कम 90 मिलियन लोगों की हत्या की है। आज उसी साम्यवादी पर इस्लामवादी विचारधारा का दबाव आ गया है। जिससे अब हालात सामान्य नहीं रहे और किस प्रकार केरल की विजयन सरकार ने हाथ खडे कर दिए हैं, यह भी किसी से छुपा नहीं है। दरअसल, बीते कुछ समय में ऐसा देखने को मिला है कि जो पिनाराई विजयन सरकार अपने एक निर्णय को वापस नहीं लिया करती थी। ऐसा भी क्या हुआ कि एक माह के भीतर कई निर्णय झट से ऐसे वापस ले लिए और बाद में यह दर्शाने का प्रयास किया गया की ऐसा तो कोई निर्णय लिया ही नहीं गया था। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि विजयन सरकार ने अब इस्लामिक कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक दिए हैं।
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केरल की वामपंथी विजयन सरकार तीन विवादास्पद मुद्दों पर अपने हाल के कुछ फैसलों के कारण इस्लामवादियों के निशाने पर रही है। इन पर हुए विरोध के परिणाम स्वरुप अंततः माकपा के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार को अपने फैसले को उलटने के लिए मजबूर होना पड़ा और सभी निर्णयों को वापस लेना पडा।
लिंग तटस्थ वर्दी
पहला निर्णय वो था जो सभी को समान दिखने का अधिकार देने वाला था अर्थात स्कूली स्तर पर लड़के-लड़कियों में समानता का भाव बढे। इस परिप्रेक्ष्य में जब लिंग तटस्थ वर्दी अर्थात सभी छात्रों को समानता के साथ एक ही स्कूली पोशाक पहनने के निर्देश दिए गए तो कट्टरपंथियों का खून खौल उठा। नई यूनिसेक्स स्कूल की वर्दी को उच्च कक्षाओं, कक्षा 10 के बाद में लागू किया गया था पर चूंकि कट्टरपंथियों के अनुसार छात्राओं के लिए बुरखे से ज्यादा न कुछ महत्वपूर्ण था और न ही होगा।
इसके बाद इस निर्णय की मुस्लिम समुदाय ने कड़ी आलोचना की थी। इसका विरोध करने के लिए कई मुस्लिम समूह सामने आए। जैसे मुस्लिम छात्र संघ, मुस्लिम लीग की युवा शाखा और आलोचना के साथ ही विजयन सरकार को धमकी दी कि “विरोध का राज्य के अन्य हिस्सों में विस्तार किया जाएगा।” यहां तक कि मुस्लिम कॉर्डिनेशन कमेटी के तत्वावधान में कोझीकोड में भी रैलियां की गईं। समूहों ने दावा किया कि “यह मुस्लिम लड़कियों पर उदार विचारधारा थोपने का एक प्रयास था।” जहां कई महिला समूहों ने बदलाव की सराहना की, वहीं विजयन सरकार को सराहना से वोट नहीं मिल रहे थे तो सरकार अपने ही निर्णय से पीछे हट गई। माकपा के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने बुधवार को घोषणा की और यू-टर्न लेते हुए कहा कि “सरकार की स्कूलों में लिंग-तटस्थ वर्दी शुरू करने की कोई योजना नहीं है।”
वक्फ बोर्ड की नियुक्तियां पीएससी को सौंपना
अगला नंबर जिसे सरकार ने लागू करने के बाद बदला, वो निर्णय वक्फ बोर्ड की नियुक्तियां पीएससी को सौंपने से संबंधित था। इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग के साथ मुस्लिम संगठनों ने राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा की गई नियुक्तियों को लोक सेवा आयोग को सौंपने के फैसले को लेकर कम्युनिस्ट विजयन और उनकी सरकार पर निशाना साधा था। हालाँकि, मुस्लिम समुदाय द्वारा सरकार के खिलाफ अपना आक्रामक रुख सामने आने के बाद विजयन सरकार एक बार पुनः पीछे हट गई और कहा कि “योग्य उम्मीदवारों की भर्ती के लिए एक नई प्रणाली पेश की जाएगी।” विजयन ने इस मुद्दे पर अपना विचार तभी बदला जब वह आईयूएमएल समर्थक संगठन समस्त केरल जेम-इय्यातुल उलमा का विश्वास जीतने में कामयाब रहे जिसने विरोध का नेतृत्व किया।
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अलाप्पुझा के डीसी श्रीराम वेंकटरमन को हटाया गया
अगला और तीसरा निर्णय अफसरों के तबादले से संबंधित था। विजयन सरकार ने बमुश्किल नियुक्ति होने के एक हफ्ते बाद आईएएस अधिकारी श्रीराम वेंकटरमन को अलाप्पुझा जिला कलेक्टर के पद से हटा दिया। इसका कारण यह रहा कि इस क्षेत्र में मुसलमानों द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन किया गया था। क्योंकि श्रीराम वेंकटरमन नशे में गाड़ी चलाने वाले हादसे का आरोपी है, जिसके कारण 2019 में पत्रकार केएम बशीर की मौत हो गई थी। बशीर सुन्नी के एक समाचार पत्र “सिराज” के साथ एक रिपोर्टर था। जैसे ही वेंकटरमन की नियुक्ति हुई मुस्लिम संगठनों ने उन्हें बर्खास्त करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। माकपा समर्थक केरल मुस्लिम जमात ने भी इस मामले में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया और रैली के दो दिन बाद सरकार ने उक्त अधिकारी को हटा दिया।
इस्लामवादियों के दबाव में विजयन ने घुटने टेके
गुरुवार को पार्टी के दैनिक “देशाभिमानी” के एक लेख में, माकपा के राज्य सचिव कोडियेरी बालकृष्णन ने वेंकटरमण को हटाने के फैसले को सही ठहराया। उन्होंने लिखा, ‘जन भावनाओं को देखते हुए वेंकटरमण को जिला कलेक्टर पद से हटा दिया गया।’ बाकी जानते तो सब ही हैं कि कितनी जनभावना और कितना दबाव, वरना जिस विजयन सरकार ने आज तक अपने निर्णयों को कितने भी सही और कितने भी गलत होने के बाद नहीं हटाया या उसमें संशोधन नहीं किया।
ऐसे में यह कौन सा हृदय परिवर्तन था जो विजयन सरकार ने पल भर में सारा खेल ही बदल दिया और एक के बाद एक निर्णय पलटते हुए यह जता दिया कि आज साम्यवादी पर इस्लामवादी विचारधारा हावी हो गई और जिस मुस्लिम वोट बैंक ने आज तक विजयन का साथ न देते हुए कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का समर्थन किया हो उसके समक्ष विजयन सरकार साष्टांग दंडवत प्रणाम की आभा में आ गई।
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