देश के किसी भी प्रमुख नेता, व्यक्ति, या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की सुरक्षा उतनी ही ज़रूरी है जितनी इस देश की सीमाओं की सुरक्षा। उस पद पर बैठे व्यक्ति की देश के प्रति कई जवाबदेही होती हैं जिनकी पूर्ति के लिए उन्हें हर समय देश के प्रति समर्पित रहना होता है। कभी उसी व्यक्ति की सुरक्षा में इरादतन चूक हो जाए तो आरोपी पर कार्रवाई होनी आवश्यक हो जाती है। कुछ ऐसा ही अब होने जा रहा है। इस साल की शुरुआत में जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान कानून और व्यवस्था में चूक होने से उन्हें एक ही जगह पर 20 मिनट तक ऐसे रुकना पडा था कि न वो आगे जा पा रहे थे और न ही पीछे। ऐसी स्थिति में उनकी जान को खतरा दोगुना बढ गया था। इस संबंध में एक जांच समिति का गठन किया गया था जिसकी रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि उस दिन पीएम की सुरक्षा में चूक का सबसे बडा ज़िम्मेदार कौन था।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक सेवानिवृत्त शीर्ष अदालत की न्यायाधीश, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति द्वारा दायर एक रिपोर्ट पढ़ी। रिपोर्ट के अनुसार पंजाब यात्रा के दौरान कानून और व्यवस्था बनाए रखने के अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहने वाले व्यक्ति के रूप में की गलती पाई गई। जिसके कारण 5 जनवरी को पंजाब दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में इतनी भारी चूक हुई कि उस दिन उनके काफिले के सामने असंख्य प्रदर्शनकारी आ गए और विरोध शुरू कर दिया।
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पंजाब में पीएम की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई थी
यह सर्वविदित है कि उस दिन बहुत विभत्स घटना भी घट सकती थी पर यह समय का ही खेल था जो उस दिन कोई भी अनहोनी घटने से बच गई। क्योंकि मामला गंभीर था तो उसकी तह तक जाना ज़रूरी था। इसके बाद मामले की जांच के लिए 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा को दी गई थी और साथ ही कमेटी में और राज्य सरकार के भी अधिकारियों को रखा गया था। इस कमेटी से यह भी आग्रह किया गया था कि पीएम की सुरक्षा में हुई चूक के सभी पहलुओं की पड़ताल करने के अलावा भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने के उपाय भी सुझाए जायें।
जब उक्त कमेटी ने जांच पूरी कर उसे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया तो चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, “रिपोर्ट कहती है कि एसएसपी फिरोजपुर कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में विफल रहे, हालांकि उन्हें पता था कि उस स्थान पर लोग इकट्ठा हो गए थे।” यह बताने के बावजूद कि पीएम उस रास्ते से होकर निकलेंगे, एसएसपी फिरोजपुर उस पर कार्रवाई करने में विफल रहे। रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन एसएसपी, फिरोजपुर हरमनदीप सिंह हंस को राज्य के एडिशनल डीजीपी जी. नागेश्वर राव ने सुबह 10.20 पर पीएम का रूट बदलने की सूचना दे दी थी। राव ने हंस को कई निर्देश भी दिए थे और एसएसपी हंस के पास लगभग 2 घंटे का पर्याप्त समय था। उनके पास उस समय भरपूर मात्रा में सुरक्षाकर्मी भी थे फिर भी उन्होंने पीएम के यात्रा मार्ग में उचित सुरक्षा व्यवस्था नहीं की और परिणाम यह रहा कि उस फ्लाईओवर पर पीएम को 20 मिनट तक रुकना पडा और उनकी सुरक्षा में चूक हुई।
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राज्य की पुलिस और अधिकारियों का नाकारापन
काफिला फंसा का फंसा रहा और निजी कारों को आते-जाते भी देखा गया था, जो एक बड़ा सुरक्षा उल्लंघन था। चूक के कारण जब पीएम मोदी बठिंडा के एयरपोर्ट लौट गए तो उन्हें एयरपोर्ट में सुरक्षा अधिकारियों से यह कहते सुना गया कि- “सीएम को धन्यवाद कहना, मैं जिंदा लौट पाया।” यह तंज था तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के प्रति क्योंकि राज्य की पुलिस तब उनके हाथ में थी।
आगामी भविष्य में ऐसी घटना की कभी भी कहीं भी पुनरावृत्ति न हो इसको लेकर जस्टिस इंदु मल्होत्रा कमेटी ने पीएम की सुरक्षा से जुड़ी ‘ब्लू बुक’ की समय-समय पर समीक्षा की सिफारिश की है। कमेटी ने देश के पुलिस अधिकारियों को अति विशिष्ट व्यक्तियों (VVIP) की सुरक्षा को लेकर बेहतर ट्रेनिंग देने की भी सिफारिश की है। तो इस प्रकार यह तो प्रमाणित हुआ कि उस दिन जो हुआ वो राज्य की पुलिस और उसके अधिकारियों की चूक का परिणाम था और चूंकि पुलिस का जिम्मा स्वयं राज्य सरकार और मुख्यमंत्री के अंतर्गत आता था तो चरणजीत सिंह चन्नी को भी खरी-खोंटी सुनने को मिलनी ही थी।
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