बॉलीवुड का तो मानो रचनात्मकता से मोहभंग हो गया है। ‘बॉलीवुडिया गैंग’ पहले जो तनिक मेहनत भी करती थी अब वह बिल्कुल भी नहीं करना चाहती। कॉपी पेस्ट को लेकर बॉलीवुड काफी पहले से ही अपनी भद पिटवाते आ रहा है और अब इस दिशा में भी हमारे खिलाड़ी कुमार यानी अक्षय कुमार ने कमान संभाल ली है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे बॉलीवुड में ओरिजिनालिटी तो मानो तेल लेने चली गई है और कैसे स्क्रिप्ट से लेकर गीतों तक में रचनात्मकता का अकाल पड़ गया है।
दरअसल, अक्षय कुमार इन दिनों फिर से चर्चा में बने हुए हैं। ‘बच्चन पाण्डे’ और ‘सम्राट पृथ्वीराज’ जैसे सुपर फ्लॉप देने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी है और आ गए हैं ‘रक्षा बंधन’ के साथ, वो भी सीधे 11 अगस्त को आमिर खान के ‘लाल सिंह चड्ढा’ से भिड़ने। परंतु इसके लिए अक्षय कुमार चर्चा में नहीं हैं और न ही वो इस बात से चिंतित हैं कि उनकी फिल्म की टक्कर आमिर खान के लाल सिंह चड्ढा से होने वाली है। अक्षय कुमार अपने फिल्म के लेटेस्ट गीत के लिए चर्चा में हैं जो ओरिजिनल तो कतई नहीं है। विश्वास नहीं होता तो इस गीत को सुनिए, जिसका क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है –
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FIRST KESARIYA NOW THIS.. WHAT HAPPENED TO BOLLYWOOD MUSIC COMPOSERS?? pic.twitter.com/AxxkQRrZcQ
— SALMAHI (@CinemaXCricket) July 28, 2022
आनंद एल राय द्वारा निर्देशित नई फिल्म ‘रक्षा बंधन’ में अक्षय कुमार एक बार फिर महिला हित रक्षक सिद्ध होंगे। उसी का गाना आया ‘धागों से बांधा’, जिसमें अरिजीत सिंह और श्रेया घोषाल के स्वर हैं और हिमेश रेशमिया का संगीत है लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि यह संगीत ‘तेरे नाम’ से टीपा गया है। मजे की बात तो यह है कि ‘तेरे नाम’ के एक संगीतज्ञ हिमेश रेशमिया भी थे। परंतु आपको क्या लगता है? क्या यह ऐसा प्रथम उदाहरण है? अक्षय कुमार की फिल्में इससे पूर्व भी कई बार कॉपी पेस्ट के लिए विवादों के घेरे में रही है और बॉलीवुड ने तो मानो ओरिजिनालिटी को खत्म, टाटा गुड बाय कहने का मन बना लिया है।
हाल ही में ‘ब्रह्मास्त्र’ के चर्चित ‘केसरिया’ गीत पर जितनी तालियां नहीं बजी, उससे अधिक तो उसपर गालियां पड़ी हैं। कई तो इस बात से चिढ़े हैं कि इस गीत में ‘लव स्टोरियां’ जैसा कबाड़ क्यों है तो कुछ लोगों ने इसपर पाकिस्तानी गीतों से संगीत चुराने का आरोप भी लगाया है। एक यूजर ने तो ‘धागों से बांधा’ विवाद पर दोनों की चुटकी लेते हुए कहा, “प्रीतम लोगों का संगीत चुराते हैं, लॉर्ड हिमेश खुद का संगीत खुद से चुराते हैं।” –
https://twitter.com/jaanekyabaathai/status/1552610139211169792
परंतु यह तो वो बॉलीवुड है, जो हमेशा से फिल्मों के अंधाधुंध रीमेक पर रीमेक करता आया है, उनसे हम संगीत और रचनात्मकता को लेकर क्या ही आशा रख सकते हैं। पिछले छह महीने में जितनी भी बड़ी बजट फिल्में आई हैं, उनमें कितनी ओरिजिनल फिल्में थी? स्वयं गणना कर लीजिए। ‘बच्चन पाण्डे’ तमिल फिल्म की रीमेक, ‘हिट’ तेलुगु फिल्म की रीमेक और यहां तक कि ‘लाल सिंह चड्ढा’ तो ‘फॉरेस्ट गम्प’ की रीमेक! सच पूछें तो बॉलीवुड से अब रचनात्मकता का आशा रखना, चीन से लोकतंत्र बहाल करने की आशा रखने के समान है और जैसे करण जौहर का वर्तमान व्यवहार है उससे यह तो तय है कि बॉलीवुड कभी भी सुधर नहीं सकता।
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