स्वदेशी तकनीक तब तक सफल नहीं मानी जाती जबतक उसका अनुसरण न कर लिया जाए, वो तबतक परीक्षण के तंत्र से गुजरती है जबतक उसपर अंतिम स्वीकृति की मुहर नहीं लग जाती। वहीं, आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए भारत ने दिखा दिया कि वो आत्मनिर्भरता के मंत्र को मात्र मंत्र तक ही सीमित नहीं रख रहा है बल्कि उस दिशा में द्रुत गति से आगे भी भागते जा रहा है। इसी परिप्रेक्ष्य में पहली बार, लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान औपचारिक 21 तोपों की सलामी के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत विकसित घरेलू होवित्जर तोप, उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) प्रोटोटाइप, इस्तेमाल किया गया। यह पहली बार था जब किसी स्वदेशी तोप से 21 तोपों की सलामी दी गई।
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दरअसल, इस स्वतंत्रता दिवस को कई मायनों में खास बनाने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा डिजाइन और विकसित पूरी तरह से स्वदेशी बंदूक, ब्रिटिश तोपों के साथ औपचारिक रूप से 21-बंदूक की सलामी दी गई जो अब तक पारंपरिक रूप से दागी जाती थी। आम तौर पर, 21 तोपों की सलामी में 21 शॉट्स के लिए सात तोपों का उपयोग किया जाता है। ध्यान देने वाली बात है कि विशेष रूप से स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए तकनीकी विशिष्टताओं के साथ स्वदेशी बंदूक को अनुकूलित किया गया था।
आर्टिलरी गन सिस्टम प्रोटोटाइप अर्थात् ATAGS एक 155 मिमी कैलिबर गन सिस्टम है जिसमें 48 किलोमीटर की फायरिंग रेंज और उच्च गतिशीलता, त्वरित तैनाती, सहायक पावर मोड, उन्नत संचार प्रणाली, स्वचालित कमांड और नियंत्रण प्रणाली जैसी उन्नत सुविधाएं हैं। यह एक विश्व स्तरीय प्रणाली है जो जोन 7 में द्वि-मॉड्यूलर चार्ज सिस्टम को फायर करती है। दुनिया में किसी अन्य बंदूक में अभी तक यह क्षमता नहीं है।
यह एकमात्र उदाहरण नहीं है जो भारत की बढ़ती शक्ति को प्रदर्शित कर रहा है। भारत का डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के प्रति संकल्पबद्ध होना पहले ही दर्शा चुका है कि चाहे वो तेजस फाइटर जेट की बात हो या ब्रह्मोस की, सभी का निर्माण करना 2014 के बाद से आम हो गया था। इससे पहले कभी भी सैन्य उपकरणों के स्वदेशी निर्माण की बात ही नहीं हुई थी और यदि अन्य देशों पर आश्रित रहने वाली सरकारें कायम रहती तो स्वदेशी निर्माण की बात कभी आगे भी नहीं आ पाती।
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आपको बताते चलें कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने वर्ष 2001 में सबसे पहले सार्वजनिक कंपनियों तक सीमित रहने वाले भारत के रक्षा निर्माण क्षेत्र में निजी भागीदारी को सुनिश्चित किया था, जिसमें 100 प्रतिशत घरेलू निजी क्षेत्र की भागीदारी और 26 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति थी। सितंबर 2020 में इससे संबंधित नीति में संशोधन के बाद भारत को रक्षा क्षेत्र में लगभग 494 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ। पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। वर्ष 2020 में सरकार ने स्वचालित मार्ग के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत और रक्षा क्षेत्र में सरकारी मार्ग के माध्यम से 100 प्रतिशत तक बढ़ाने की घोषणा की थी, जिसके परिणाम आज सबके सामने हैं। ऐसे में जबतक करेंगे नहीं, तब तक कैसे सार्थक परिवर्तन के सार्थक लाभ हासिल कर पायेंगे? इसलिए ज़रुरी है कि कैसे भी हो पर शुरुआत अवश्य हो। आज नई शुरुआत का परिणाम है कि एक घरेलू होवित्जर तोप ने अमृत महोत्सव के पूर्ण होने पर स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर 21 तोपों की सलामी दी।
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