भारत ने अपनी वैश्विक कूटनीतिक को इतना सशक्त कर लिया है कि अमेरिका जैसे देशों की तरफ से आने वाले बयान भी सौ बार सोच के दिए जाते हैं। इसी का नतीजा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरू होते ही जब अमेरिका रूस का बहिष्कार कर चुका है और उस पर कई प्रतिबंध भी लगाए हैं इतने पर भी भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया बल्कि डंके की चोट पर रूप से साथ व्यापार जारी रखा। अब भारत का नया प्लान एक साथ दो बड़े देशों को झटका देने का है और इसके केंद्र में गैस की खरीद है। यह खरीद जहां कतर को परेशान करेगी तो दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए एक नया झटका होगी।
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गैस के आयात को लेकर रूस से बातचीत
दरअसल, भारत सरकार द्वारा संचालित गेल इंडिया और रूस की गैस के आयात को लेकर बातचीत चल रही है। इस मामले से वाकिफ लोगों ने कहा कि गज़प्रोम भारत में गैस के आयात पर बातचीत कर रहा है क्योंकि दोनों देशों के बीच विकसित भुगतान तंत्र आसान व्यापार की सुविधा प्रदान करता है। जानकारी के मुताबिक यह बातचीत शुरुआती चरण में है, इन आयातों की लागत अंतरराष्ट्रीय कीमतों से कम हो सकती है क्योंकि रूस के पास ज़रूरत से कहीं अधिक गैस है और यूरोप में उसका निर्यात घटा है।
सेंट पीटर्सबर्ग स्थित गज़प्रोम रूस की एक बहुराष्ट्रीय ऊर्जा कंपनी है। कंपनी ने भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को प्रस्तावित किया है कि वह गज़प्रोम सिंगापुर से ईंधन खरीदेगी और भविष्य के व्यापारों में यूरो में भुगतान का निपटारा करेगी। पारंपरिक रूसी बैंक जो विश्व स्तर पर तेल और गैस कारोबार में संलग्न हैं वो डॉलर में व्यापार करने में अक्षम है इसलिए दोनों देश यूरो में व्यापार को लेकर सहमति जता चुके हैं।
अहम बात यह है कि भारत यदि रूस से यह गैस खरीदता है तो यह भारत के लिए एक बड़ा फायदा होगा क्योंकि फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ी गैस की कीमतों के चलते भारत में गैस की कीमतें बढ़ी हैं। वहीं इस डील से भारत में गैस की कीमतें तेजी से नीचे आ सकती है। दूसरी ओर इस खरीद से सबसे बड़ा झटका कतर को लगेगा जहां से भारत अब तक अपनी गैस की जरूरतें पूरी कर रहा था। कतर समेत सभी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गैस की कीमतें आसमान छू रही हैं, ऐसे में भारत रूस से सस्ते में यह गैस खरीदकर फायदे में रहेगा।
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भारत को लेकर कतर का रवैया हमेशा नकारात्मक रहा है
अहम बात यह भी है कि कतर का इतिहास भारत को लेकर हमेशा नकारात्मक रहा है विशेषकर इस्लामिक मुद्दों को लेकर। इसके अलावा आतंकी फंडिंग जैसे मामलों में भी कतर की सक्रियता सामने आती रही है क्योंकि यहां से आतंकियों के लिए अपने नेटवर्क को मजबूत करना आसान होता है। ऐसे में कतर से गैस ख़रीदना एक तरह से अपने लिए ही गड्ढा खोदने के समान है। अब जब रूस के साथ भारत गैस के संबंध में बात बनाने में लगा है तो यब समझना जटिल नहीं है कि भारत की ऐसी योजनाओं से कतर बिलबिला जाएगा।
कतर से भारत का गैस व्यापर कम होना कतर को तो झटक देगा ही लेकिन दिलचस्प यह है कि एक दो दिन में ही कतर के मीडिया संस्थान अल जजीरा द्वारा इस मुद्दे पर विलाप शुरू हो जाएगा। वहीं दूसरी ओर जोर का झटका पश्चिमी देशों समेत अमेरिका को भी लगेगा। भारत ने प्रतिबंधों के बावजूद रूस से कच्चा तेल खरीदा था जिससे अमेरिका आग बबूला हो गया था। वहीं अब गैस की खरीद भी अमेरिका को परेशान कर सकती है जिसकी हास्यास्पद प्रतिक्रिया जल्द ही हम सभी के सामने आएगी।
अमेरिका हो या कतर, आज का भारत हर किसी को अपनी छोटी अंगुली पर नचा सकता है। आज का भारत अपनी विदेश नीति को लेकर इतना सशक्त हो चुका है कि किसी को भी इससे पंगा लेने से पहले एक हजार बार तो सोचना ही होगा।
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