मुश्किल समय में जो साथ निभाए वही सच्चा दोस्त होता है। जब यूक्रेन के विरुद्ध रूस ने युद्ध छेड़ा तो भारत उसके साथ सच्चे दोस्त की तरह खड़ा रहा। पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने रूस के साथ संबंधों को ध्यान में रखते हुए न केवल व्यापार जारी रखा बल्कि इसे नयी ऊंचाईयों तक भी पहुंचाया। युद्ध के बीच भारत और रूस के संबंध और गहरे हुए है। परंतु दोस्ती दोनों तरफ से चलती है, जब एक पक्ष दूसरे पर हावी होने का प्रयास करने लगे तो इसकी नींव कहीं ना कहीं डगमगाने लगती है।
मीर भुगतान प्रणाली पर बोले रूस के उप विदेश मंत्री
दरअसल, रूस चाहता है कि भारत व्यापार के लिए उसके मीर भुगतान प्रणाली का उपयोग करें। यह जानते हुए भी कि विश्व में भारत के रुपे कार्ड की उपयोगिता उसके मीर कार्ड से कहीं अधिक है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रूस के उप विदेश मंत्री एलेक्जेंडर पैंकिन ने अपने एक बयान में कहा कि मॉस्को अपनी मीर भुगतान प्रणाली के इस्तेमाल के लिए भारत के साथ बातचीत कर रहा है। भारत के अलावा अन्य देशों से भी मीर भुगतान प्रणाली का उपयोग करने के लिए रूस की बातचीत जारी है।
रूसी समाचार एजेंसी TASS को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा– “सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय कार्ड भुगतान प्रणालियों को रूसी ग्राहकों को अनुचित रूप से अवरुद्ध करने के चलते मीर कार्ड के विस्तार की प्राथमिकता बढ़ गयी है। इस पर हम सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।“ आगे उन्होंने कहा- “अजरबैजान, चीन, भारत, बहरीन, मिस्र, क्यूबा, म्यांमार, नाइजीरिया और थाईलैंड सहित कई देशों के साथ रूस अपने मीर भुगतान प्रणाली के उपयोग के लिए बातचीत कर रहा है। हम इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।“
दरअसल, यूक्रेन के विरुद्ध युद्ध छेड़ने के बाद विश्व के कई देश रूस पर टूट पड़े और प्रतिबंधों के माध्यम से उसे दुनिया में अलग थलग करने में जुट गए। अमेरिका और यूरोप के देशों ने रूस को अपनी भुगतान प्रणाली स्विफ्ट (SWIFT) से प्रतिबंधित कर दिया। स्विफ्ट ऐसी वैश्विक भुगतान प्रणाली है, जिसके माध्यम से दो अंतरराष्ट्रीय पक्षों के बीच वित्तीय लेन-देन काफी आसान हो जाता है। SWIFT से प्रतिबंधित किए जाने के बाद से ही रूस अन्य देशों के साथ व्यापार जारी रखने के लिए एक बेहतर विकल्प की तलाश में जुटा है। इसके लिए वो अपनी घरेलू भुगतान प्रणाली का विस्तार भी कर रहा है।
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11 देश मीर भुगतान प्रणाली का उपयोग करते हैं
वीजा और मास्टरकार्ड की तरह मीर कार्ड भुगतान का सिस्टम है। हालांकि मीर स्वयं कार्ड जारी नहीं करता है, क्रेडिट नहीं बढ़ाता और उपभोक्ताओं के लिए दरें और शुल्क निर्धारित नहीं करता है, बल्कि यह वित्तीय संस्थानों को मीर-ब्रांडेड भुगतान उत्पाद प्रदान करता है, जिसका उपयोग वो अपने ग्राहकों को क्रेडिट, डेबिट या अन्य कार्यक्रमों की पेशकश करने के लिए करते हैं। मीर कार्ड अधिकतर रूस स्थित कंपनियों द्वारा स्वीकार किए जाते हैं। वर्तमान समय में 11 देश ऐसे हैं जो मीर भुगतान प्रणाली का उपयोग करते हैं, जिनमें अबखाजिया, आर्मीनिया, बेलारूस, वियतनाम, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की, उज्बेकिस्तान, दक्षिण कोरिया और दक्षिण ओसेशिया शामिल है।
परंतु यहां प्रश्न यही है कि आखिर भारत को रूस की भुगतान प्रणाली का उपयोग करने की आवश्यकता ही क्यों है? जब भारत के पास उसका स्वयं का रुपे (Rupay) नाम का कार्ड है, जो विश्व के 195 देशों में मान्य है। रुपे ने अपनी एक आपूर्ति श्रृंखला स्थापित की है। मीर कार्ड में हर रूसी की जरूरत को पूरा करने के लिए इतना बड़ा बुनियादी ढांचा नहीं है। जब इस साल की शुरुआत में इसकी मांग बढ़ी, तो रूस के लोगों को चिप्स की कमी का सामना करना पड़ा था जबकि रुपे कार्ड में अब तक ऐसी कोई समस्या नहीं आयी।
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इसके अतिरिक्त रुपे कार्ड को यूपीआई से जोड़ने की तैयारी भी चल रही है, जिससे भुगतान करना और आसान होने वाला है। भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ समय पहले इसको लेकर बड़ा ऐलान किया था। भारत में तो देखने को मिल ही रहा है कि यूपीआई किस तरह से डिजिटल अभियान में क्रांति लेकर आया। आज के समय में बड़ी संख्या में मौजूद लोग भारत यूपीआई के माध्यम से पैसों का लेन-देन कर रहे हैं। जुलाई 2022 में यूपीआई के जरिए सबसे अधिक लेनदेन करके नया रिकॉर्ड बनाया। इस माह में UPI लेनदेन का आंकड़ा 6 बिलियन यानी 600 करोड़ पार कर गया, जो कि एक रिकॉर्ड है।
यूपीआई को अब अन्य देशों में स्वीकृति दिलाने के प्रयास भी चल रहे हैं। 29 जुलाई 2022 को संसद में विदेश राज्य मंत्री राजकुमार सिंह ने जानकारी दी कि NIPL, जो कि NPCI की इंटरनेशनल ईकाई है, वो रुपे आधारित क्रेडिट कार्ड और यूपीआई को विदेशों में मंजूरी दिलाने के लिए करीब 30 देशों के संपर्क में है। वर्तमान में इसका उपयोग यूके, फ्रांस, यूएई, सिंगापुर, नेपाल और भूटान सहित देशों में किया जा रहा है। इसके अलावा अन्य देशों में यूपीआई आधारित क्यूआर कोड लॉन्च करने के लिए तैयारी चल रही है।
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इससे स्पष्ट हो जाता है कि भारत का रुपे कार्ड का बोलबाला बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में रूस द्वारा भारत के रूप कार्ड का उपयोग करना अधिक समझदारी वाला कदम नजर आता है क्योंकि वैश्विक स्तर पर रुपे कार्ड की स्वीकार्यता रूस के मीर कार्ड से कहीं अधिक है। रूस को यहां यह समझने की आवश्यकता है कि भारत ने ऐसे वक्त में अपनी ऊंगली पकड़ाई जब उसे सबसे अधिक जरूरत है, ऐसे में वो अब पूरा हाथ पकड़ने का प्रयास न करें और वो काम करे जो दोनों देश की बेहतरी के लिए हो।
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