एक कहावत है, जब-जब किसी व्यक्ति की महत्वकांशा अपने पद और फायदे के लिए बढ़ी है तब-तब उस व्यक्ति का बंटाधार हुआ है, लेकिन एक ऐसा भी व्यक्ति है जिसकी महत्वकांक्षा ने देश में फुटबॉल के भविष्य का बंटाधार कर दिया है। जिसके चलते अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी करने का मौका भारत के हाथों से चूक सकता है। हम बात भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) के अध्यक्ष रहे और एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल की कर रहें हैं। दरअसल, फेडरेशन इंटरनेशनल डी फुटबॉल एसोसिएशन (FIFA) ने भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को नियमों के उल्लंघन पर निलंबित कर दिया है।
फीफा के नियमों के मुताबिक सदस्य संघों को अपने-अपने देशों में कानूनी और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए। यह निलंबन 85 साल के इतिहास में पहली बार AIFF पर लगा है। AIFF के अध्यक्ष रहे एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल पर ऐसे आरोप लग रहें हैं कि FIFA ने AIFF पर निलंबन उनके कारण ही लगाया है। क्योंकि प्रफुल्ल पटेल ने विश्व फुटबॉल को चलाने वाली संस्था FIFA और एशियाई फ़ुटबॉल परिसंघ AFC से भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दिलवाई थी। कहा जा रहा है कि वो कैसे भी भारत में फुटबॉल को बैन करवाना चाहते थो।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की एक समिति (CoA) ने बुधवार को एक अवमानना याचिका दायर की थी।
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2004 में कांग्रेस की सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल को 2009 में AIFF का अध्यक्ष बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में जब तक उन्हें अध्यक्ष पद से हटा नहीं दिया तब तक वे अध्यक्ष बने रहे। भारत के खेल नियमों के अनुसार कोई भी व्यक्ति 3 बार से ज्यादा अध्यक्ष नहीं बन सकता।
अर्थात 12 साल से ज्यादा नहीं। बता दें, खुद को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद पटेल ने एक याचिका दायर करके मांग भी की कि जब तक नए संविधान को स्वीकार नहीं कर लिया जाता और नए अध्यक्ष को नहीं चुना जाता तब तक उनके AIFF के अध्यक्ष के कार्यकाल को बढ़ा दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग को ठुकराते हुए फुटबॉल के कामकाज को देखने के लिए एक कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (CoA) का गठन कर दिया। जब से सुप्रीम कोर्ट ने AIFF को भंग किया है तब से CoA ही देश में फुटबॉल का संचालन कर रही है।
मालूम हो प्रफुल्ल पटेल AIFF के अध्यक्ष तो थे ही साथ ही वो फीफा काउंसिल के सदस्य भी हैं। उनका कार्यकाल फीफा काउंसिल के सदस्य के रूप में 2019 से 2023 तक है। प्रफुल पटेल ने एक्जीक्यूटिव काउंसिल के चुनाव में जीत दर्ज की थी। एक्जीक्यूटिव काउंसिल फीफा की सबसे बड़ी कमेटी है। CoA ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि प्रफुल्ल पटेल को फीफा और एशियाई फ़ुटबॉल परिसंघ (AFC) से हटाया जाए।
प्रफुल्ल पटेल ने CoA को परेशान भी किया है
प्रफुल्ल पटेल राज्य फुटबॉल संघों के साथ मिलकर CoA को परेशान करने की कोशिश भी कर चुके हैं। यहां तक कि अदालत की कार्यवाही में हस्तक्षेप भी कर चुके हैं। उस समय हाईकोर्ट ने राज्य फुटबाल संघों को साफ-साफ चेतावनी दी थी। न्यायालय ने कहा कि अगर राज्य संघ अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल की बैठकों में भाग लेते हैं तो कोर्ट भी अपनी सख्त कार्यवाही करने से पीछे नहीं हटेगा। शीर्ष अदालत ने कहा था, यदि भारत में होने वाले फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी में रोड़ा डाला गया तो फिर न्यायालय भी हस्तक्षेप करेगा।
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जैसा कि ये तय था कि भारत में 11 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच भुवनेश्वर, गोवा और मुंबई में फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप आयोजित होने वाला था। इसकी सफल मेजबानी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जवाबदेही पत्र पर हस्ताक्षर कर अपनी मंजूरी पहले ही दे दी थी। लेकिन अब ये फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप भारत में स्थगित रह सकता है।
FIFA के AIFF पर निलंबन के बाद इसकी मेजबानी भारत से छीनी भी जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो ये देश में फुटबॉल के भविष्य पर ग्रहण का काम करेगा। वैसे भी भारत में फुटबॉल की क्या दुर्दशा है। ये किसी से छुपी नहीं है।
प्रफुल पटेल (AIFF) के 12 सालों तक अध्यक्ष रहें। लेकिन वो फुटबॉल को उस मुकाम पर नहीं पहुंचा सके जिसका ये खेल वास्तव में हकदार था। अब तो ऐसा लगता है कि प्रफुल पटेल का सिर्फ और सिर्फ अध्यक्ष पद के प्रति समर्पण था।
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