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रॉकेट्री की सफलता के महीनों बाद, इसरो के पूर्व वैज्ञानिकों ने नंबी नारायणन की फिल्म के दावों को बताया झूठ

एकाएक कुछ पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन के विरोध में क्यों उतर आये हैं ?

TFI Desk द्वारा TFI Desk
28 August 2022
in चर्चित
nabi narayan

Source- TFIPOST.in

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कहते हैं कि किसी को सम्मान न दे सको तो उसे अपमानित भी मत करो लेकिन यह कहावत आज के समय में लोग लगभग भूल गए हैं। इतना ही नहीं जिन लोगों को सम्मान मिला है उन्हें भी अपमानित करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के एक दिग्गज साइंटिस्ट को पिछले लंबे वक्त से अपमानित किया जाता रहा है जो कि एक आपत्तिजन‌क स्थिति है। वहीं मोदी सरकार ने उन्हें सम्मान किया और पद्म भूषण दिलाया तब भी विपक्षी दलों ने हंगामा किया। आज भी उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है।

पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म रॉकेट्री ने एक सत्य घटना पर आधारित थी जिसमें बताया गया कि आखिर कैसे लेफ्ट और वामपंथी वर्ग ने एक देशप्रेमी अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन को बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाया गया था। इतना ही नहीं इसमें नंबी नारायणन के संघर्ष की कहानी से लेकर उनकी राष्ट्रपति के प्रति समर्पण की भावना को भी व्यक्त किया गया था। नंबी नारायणन की यह भूमि दिग्गज अभिनेता आर माधवन ने निभाई थी।

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रॉकेट्री ने सारे एजेंडे को किया ध्वस्त 

वहीं इस फिल्म ने उस एजेंडे को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। जिसमें यह दावा किया जाता रहा कि नंबी ने भारत के खिलाफ जाकर मिशन की  जानकारी और एक्विपमेंट पाकिस्तान के साथ साझा किए थे। सीबीआई जांच में भी नंबी बाइज्जत बरी होती हैं। वहीं जिन लोगों ने उस दौरान प्रोपेगेंडा फ़ैलाया था उन सभी का मन आज भी नहीं भरा है। अब इसरो के ही कुछ तत्कालीन वैज्ञानिकों ने नंबी पर हमला बोला है और उनके द्वारा किए गए योगदान की कहानियों को गलत बताया है।

दरअसल, इसरो के पूर्व वैज्ञानिकों के एक समूह ने आरोप लगाया कि इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन द्वारा फिल्म ‘रॉकेटरी: द नांबी इफेक्ट’ और कुछ टेलीविजन चैनलों के माध्यम से किए गए दावे झूठे हैं। अंतरिक्ष एजेंसी को बदनाम करने के बराबर हैं। डॉ ए.ई. मुथुनायगम, निदेशक, एलपीएसई, इसरो; प्रो ईवीएस नंबूथिरी, परियोजना निदेशक, क्रायोजेनिक इंजन और डी शशिकुमारन, उप निदेशक, क्रायोजेनिक इंजन, और इसरो के अन्य पूर्व वैज्ञानिकों ने नंबी के योगदान के दावों को खारिज किया है।

इन वैज्ञानिकों का कहना है कि हम जनता को कुछ मामलों के बारे में बताने के लिए मजबूर हैं क्योंकि नंबी नारायणन इसरो और अन्य वैज्ञानिकों को फिल्म ‘रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट’ और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से बदनाम कर रहे हैं। उनका दावा है कि वह कई परियोजनाओं के पिता हैं। उन्होंने यहां तक कहा ​​​​कि फिल्म में दावा किया गया है कि उन्होंने एक बार एपीजे अब्दुल कलाम की भी मदद की थी जबकि यह गलत है।

और पढ़ें: Rocketry: The Nambi Effect :कांग्रेस के सताये देशभक्त नंबी नारायणन की कहानी को अब आर माधवन ने Silver Screen पर उतारा

नारायणन दांवों को झूठ बताने पर तुले कुछ वैज्ञानिक

इसके साथ ही पूर्व वैज्ञानिकों के समूह ने यह भी दावा किया कि इसरो के संबंध में फिल्म में उल्लिखित कम से कम 90 प्रतिशत मामले झूठे हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह भी पता चला है कि नारायणन ने कुछ टेलीविजन चैनलों में दावा किया है कि फिल्म में जो कुछ कहा गया वह सच था। कुछ वैज्ञानिकों ने यहां तक ​​चिंता जताई है कि नारायणन उनकी कई उपलब्धियों का श्रेय ले रहे हैं। उनका कहना है कि क्रायोजेनिक इंजन के प्रोजेक्ट में नंबी की कोई भूमिका नहीं थी।

वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने इसरो के वर्तमान अध्यक्ष एस सोमनाथ से फिल्म में किए गए झूठे दावों पर निर्णय लेने के लिए कहा है। वैज्ञानिकों ने कहा कि फिल्म में नारायणन का यह दावा कि उनकी गिरफ्तारी के कारण भारत में क्रायोजेनिक तकनीक हासिल करने में देरी हुई, यह दावा गलत था। भले ही यह वैज्ञानिक लगातार बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं जो कि बेबुनियाद प्रतीत होते हैं क्योंकि नंबी की गिरफ्तारी के बाद उनके केस की सीबीआई जांच में ही यह सामने आया था कि उन्हें संभवत इस लिए देशद्रोह के मामले में फंसाया गया था क्योंकि वे इसरो के सबसे अहम प्रोजेक्ट्स के सूत्रधार थे और यह प्रोजेक्ट क्रायोजेनिक इंजन का ही था।

Inaugurated the annual general body meeting of the ISRO Pensioners' Joint Forum, with Dr A E Muthunayagam & Dr N Narayana Murthy as guests of honour. Hats off to the women and men of Indian space science, who have achieved so much for our country with so little! pic.twitter.com/3RE6anIWjP

— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 8, 2019

ऐसे में इन वैज्ञानिकों का दावा फर्जी प्रतीत होता है क्योंकि जब नंबी नारायणन के खिलाफ इतनी बड़ी साज़िश रची गई तो कोई भी वैज्ञानिक उनके समर्थन में खड़ा नहीं हुआ था। अहम बात यह है कि संभवत ये सभी वैज्ञानिक अपनी निजी विचारधारा में ऐसे विवश हो चुके हैं कि वे नंबी पर आरोप लगाने के लिए मजबूर हों क्योंकि इनकी विचारधारा कांग्रेसी मानी जा रही है।

कांग्रेस नेता शशि थरूर से डॉ ए.ई. मुथुनायगम की करीबी इस बात का उदाहरण है कि वैज्ञानिक महोदय का मकसद कुछ और ही है। संभवत ही ये कांग्रेस को खुश करना चाहते हैं या फिर कांग्रेस के इशारे पर इस तरह के बयान दे रहे हैं जिससे राजनीतिक तौर पर इनकी प्रासंगिकता बने और सस्ती लोकप्रियता हासिल हो। रॉकेट्री फिल्म के सामने आने के बाद से ही नंबी चर्चा का केंद्र है और उनके कुछ विरोधी वैज्ञानिक उनके खिलाफ फर्जी बातें करके चर्चा में आना चाहते हैं।

और पढ़ें: भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में नंबी नारायणन के योगदान को आखिरकार मोदी सरकार ने दी मान्यता

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Tags: इसरोनंबी नारायणनवैज्ञानिकोंशशि थरूर
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