चाटुकारिता की सीमा को पार करने वाला कौन? अशोक गहलोत! वंशवादी राजनीति का हितैषी कौन? अशोक गहलोत! हर वक्त मैडम-बाबा करने वाला कौन? अशोक गहलोत! जी हां आज अशोक गहलोत ने फिर से साबित कर दिया कि वो कल भी मानसिक रूप से गुलाम थे, आज भी हैं और जीवनपर्यन्त रहेंगे। इन दिनों कांग्रेस के नये और अमूमन गैर-गांधी अध्यक्ष बनाए जाने की बात राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। ऐसे में नहीं मैडम नहीं हम तो क्षणभंगुर हैं, अध्यक्ष तो राहुल बाबा को ही बनना चाहिए ऐसी बात अशोक गहलोत ने कहकर सोनिया का पासा ही उलटकर रख दिया।
नये अध्यक्ष का चयन फिर चर्चाओं में हैं
दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष का चयन होना काफी समय से टलता ही चला आ रहा है, वहीं इस बार चयन करना आलाकमान की विवशता हो गयी है। लंबे समय से अधर में लटकी चयन प्रक्रिया को आगामी सितंबर माह में पूर्ण कर लेने की बात चली थी और लगभग यह होना तय भी है। ऐसे में कौन बनेगा अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष यह अटकलें शुरू हो गयी हैं। क्या वो गैर-गांधी होगा या फिर से वंशावली के अनुरूप नये अध्यक्ष का चयन कर लेगा। बात तो यह भी कही जा रही है कि मौजूदा अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात की और उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष का पदभार संभालने के लिए कहा। इस पर जब अशोक गहलोत पर सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा कि, “क्या किसी ने आपको एआईसीसी में जानकारी दी है? ऐसा किसी ने नहीं किया है। मीडिया कयास लगाता रहता है। जब तक कोई फैसला नहीं हो जाता, न तो आप और न ही मैं इस पर कोई टिप्पणी कर सकता हूं।”
गहलोत ने आगे कहा कि वह उन्हें दी गयी दो जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, ‘पहली आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक और दूसरा राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी ज़िम्मेदारी।’
अब यह हर कोई जानता है कि कयास तब ही लगाए जाते हैं जब उनका कोई आधार होता है। यह खबर जिसमें गहलोत को इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी दे देना ऐसे ही बाहर नहीं आ गयी है बल्कि इसके पीछे वो आधार हैं जिससे कोई अनभिज्ञ नहीं है। सोनिया गांधी ने जब से कांग्रेस की बागडोर अपने हाथों में ली है उनका एकमात्र लक्ष्य यही रहा है कि सरकार हो तो भी उन्हीं के कहे मुताबिक चले और पार्टी हो तो भी। इन बातों में उन्हें कोई IF और BUT नहीं चाहिए होता है। अब चूंकि वर्ष 2014 से लगातार कांग्रेस हर एक चुनाव बुरी तरह हारती आ रही है तो उसके लिए मजबूरी बन गयी है कि और फजीहत हो उससे पहले एक गैर-गांधी को अध्यक्ष बना दिया जाए।
और पढ़ें- अशोक गहलोत बलात्कार और हत्या के विरुद्ध हैं, लेकिन ‘बलात्कार’ के नहीं?
सोनिया की पहली पसंद अशोक गहलोत
ऐसे में सोनिया का मानना है कि कुछ भी हो जाए कुर्सी पर बैठे कोई भी पर नियंत्रण सदा सर्वदा की भांति उन्हीं के हाथों में रहे। इस परिप्रेक्ष्य में सोनिया की पहली पसंद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत हैं। सोनिया को पता है कि वो उनके दिशा-निर्देशों के इतर एक कदम आगे नहीं बढ़ाऐंगे पर गहलोत के मन में क्या है उसे भांपना भी ज़रूरी है। उनका ऐसे इन अटकलों को फ़िज़ूल बताना, उसके बाद वो कह देना जिसको कहना और सुनना हर कांग्रेसी के लिए सुलभ हो चुका है कि राहुल को ही बनाया जाए ठीक वैसा ही गहलोत ने कहा।
अशोक गहलोत ने कहा कि, राहुल गांधी को फिर से पार्टी की बागडोर संभालने के लिए मनाने के लिए अंतिम क्षण तक प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा, “हम राहुल गांधी जी को कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के लिए अंतिम क्षण तक मनाने की कोशिश करेंगे। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक 28 अगस्त को हो रही है। हम उन्हें अध्यक्ष बनाना चाहते हैं।” गहलोत ने कहा, “अगर राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं बनते हैं तो बहुत से लोग निराश होंगे और घर बैठे रहेंगे।”
यहां यह समझना दुविधा की बात नहीं है कि कैसे अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी को कलाजंग दांव से पटक दिया है। वही कलाजंग दांव जिसमें पहलवान को काफी चतुराई और फुर्ती की आवश्यकता होती है। इस दांव में एक पहलवान दूसरे पहलवान को पेट के बल अपने कंधे पर उठाता है। इसके बाद वो अखाड़े में पीठ के बल उसे पटकता है। ये कलाजंग दांव भारत का एक प्राचीन दांव है। जिसका राजनीतिक प्रदर्शन फिलहाल अशोक गहलोत ने किया है।
और पढ़ें- क्या गहलोत सरकार ने इस्लामिस्टों से हाथ मिला लिया है?
पहले तो यह जानना ज़रूरी है कि गहलोत ने ऐसा क्यों कहा? गहलोत को पता है कि कांग्रेस के आलाकमान का हाल जैसा आज है, ज्यों का त्यों बाद में भी वही रहने वाला है। ऐसे में सत्ता की मलाई ज़्यादा फायदेमंद है बजाय कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी के। अशोक गहलोत उस कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं जहां वो सीएम ऑफ़ राजस्थान कहलाए जाते हैं। अध्यक्ष बनने से उन्हें कोई विशेष लाभ होता दिख नहीं रहा है। और इस तरह वृद्ध लोमड़ी की भांति अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी को जो राजनीतिक पटखनी दी है उसे देखना मनोरंजन से कम नहीं।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।