संजय राउत की गिरफ्तारी हुई, लेकिन इसके अलावा और भी बहुत कुछ है

संजय राउत उद्धव के गले की फांस बन चुके हैं!

ED Sanjay Raut

Source- TFIPOST.in

​पात्रा चॉल स्कैम ये क्या हुआ, कैसे हुआ, कब हुआ, क्यों हुआ? यह सभी सवाल आज प्रत्येक भारतीय के मन में हैं क्योंकि इसके मूल अभियुक्त संजय राउत अब ईडी के शिकंजे में हैं। मुंबई पात्रा चॉल के पुनर्विकास में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रविवार को शिवसेना के सांसद संजय राउत को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया था। उनकी गिरफ्तारी से पहले ईडी ने उनके आवास पर 9 घंटे की तलाशी ली थी। जहां 11.5 लाख रुपये नकद जब्त किए गए थे। इसके बाद उन्हें सोमवार को मुंबई की विशेष अदालत ने शिवसेना सांसद संजय राउत को चार अगस्त तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया। ऐसे में सवाल आता है कि यह पात्रा चॉल भूमि घोटाला है क्या जो अब राउत समेत उद्धव ठाकरे गुट की गले की फांस बन चुका है।

दरअसल, पात्रा चॉल में 47 एकड़ भूमि म्हाडा (महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास प्राधिकरण) की है और उक्त भूखंड पर 672 किरायेदार थे। परियोजना के लिए गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन (पहले गिरफ्तार आरोपी प्रवीण राउत, एक व्यवसायी, रियल एस्टेट फर्म के निदेशकों में से एक था) द्वारा पुनर्विकास और अतिरिक्त एफएसआई के लिए विभिन्न अनुमतियाँ/अनुमोदन प्राप्त किए गए थे। इसके बाद शुरू हुआ असल घोटाला।

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इस संबंध में सभी बिंदुओं को क्रमवार समझना आवश्यक

1) यह सब वर्ष 2007 में तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) ने गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को गोरेगांव, मुंबई में स्थित पात्रा चॉल के पुनर्विकास के लिए एक कांट्रैक्ट दिया। उस वक्त संजय राउत के घनिष्ठ प्रवीण राउत समेत राकेश वधावन और सारंग वधावन गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक पद पर थे।

2) इसके बाद गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को सबसे पहले की पात्रा चॉल के 672 किरायेदारों के लिए फ्लैट निर्मित करने थे। ताकि उन सभी का पुनर्वास हो सके। उसके बाद इस फर्म को यह अधिकार थे कि तब पुनर्वास करवाने के बाद वे शेष क्षेत्र को निजी डेवलपर्स को बेच सकते थे।

3) हालांकि, उक्त अनुबंध के सभी नियमों को ताक पर रखते हुए संजय राउत के करीबी सहयोगी प्रवीण राउत ने गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के अन्य निदेशकों के साथ 672 किरायेदारों के लिए कोई घर नहीं बनाया। उन्होंने पूर्ण रूप से सभी को धोखा देने के साथ-साथ उन्होंने एफएसआई या फ्लोर स्पेस इंडेक्स को नौ निजी डेवलपर्स को बेच दिया। आरोप है कि इसके लिए उन्हें 901.79 करोड़ रुपये मिले।

4) तदुपरांत, गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड पर एक नई परियोजना शुरू करने और बुकिंग राशि के रूप में फ्लैट खरीदारों से 138 करोड़ रुपये इकट्ठा करने का आरोप है। ईडी के अनुसार इससे मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 2010 और 2014 के बीच 1039.79 करोड़ रुपये की राशि अर्जित हुई।

5) बता दें, गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) की सहायक कंपनी है। आरोप है कि गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक प्रवीण राउत ने एचडीआईएल से 100 करोड़ रुपये लिए और फिर इसे संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत के खाते समेत कई खातों में जमा कर दिया।

6) वर्ष 2010 में, 83 लाख रुपये जो उक्त 100 करोड़ रुपये का हिस्सा थे। प्रवीण राउत की पत्नी माधुरी राउत के माध्यम से वर्षा राउत को दिए गए थे। उस पैसे से संजय राउत की पत्नी वर्षा ने दादर में एक फ्लैट खरीदा। उसके बाद उनके बीच इस तरह के कई लेन-देन हुए।

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7) इसके अतिरिक्त अलीबाग के किहिम बीच पर आठ प्लॉट वर्षा राउत और सुजीत पाटकर की पत्नी स्वप्ना पाटकर के नाम नकद भुगतान के जरिए खरीदे गए। सुजीत संजय राउत के करीबी और उनके विश्वासपात्र सहयोगी माने जाते हैं।

8) फिर इस वर्ष अप्रैल में, ईडी ने इस जांच को बढ़ाते हुए के संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत और उनके दो सहयोगियों की 11.15 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया। यही नहीं जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया और अदालत को यह भी बताया कि प्रवीण राउत ने पीओसी से संजय राउत के परिवार द्वारा किए गए घरेलू और विदेशी दौरों पर पैसा खर्च किया है। राज्यसभा सांसद को उक्त अवधि (2010 और 2014) के दौरान प्रवीण राउत से प्रति माह 2 लाख रुपये नकद भी मिले।

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इन सभी दावों के बीच संजय राउत अब 4 अगस्त तक ईडी की गिरफ़्त में हैं। इससे सबसे पहले यह साफ़ होगा कि जेल से बाहर भगवा पटका लहराने वाले राउत कितना सच उगलते हैं क्योंकि जिस प्रकार बड़ी भयंकर रणनीति के साथ संजय राउत ने ये खेला किया और ज़रूरतमंदों के आवास नहीं बनने दिए उससे देरसवेर ही सही पर संजय राउत को उसका भुगतान अब करना पड़ रहा है। तथ्याधारित, सबूतों के साथ जिस तरह संजय राउत इस बार अपने भ्रष्टाचार के दलदल में फंसते ही जा रहे हैं उससे यह तो साफ़ है कि यह कहानी इस बार 4-5 दिन की गिरफ़्तारी तक नहीं सिमटने वाली कहानी लंबी चलने का अनुमान है।

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