11 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के राजौरी में भारतीय सेना के शिविर को तोड़ने की कोशिश करने वाले दो आतंकवादियों को देश के सुरक्षा बलों ने मार गिराया लेकिन इस ऑपरेशन में सेना के चार जवान भी शहीद हो गए, जबकि गोलीबारी में पांच जवान घायल हुए हैं. सुबह 2 बजे हुए इस हमले को आतंकवादी बिल्कुल उरी हमले जैसा बनाना चाहते थे. आतंकवादियों के पास से 300 राउंड के साथ दो एके -47 राइफलें, पांच ग्रेनेड आदि बरामद हुए.
खबरों के अनुसार, आतंकियों के पास से जब्त गोलियों में से कुछ गोलियां रंग-कोडित थीं जो यह दर्शाता है कि वे गोला-बारूद भेदी और आग लगाने वाली गोलियां थीं. पीटीआई ने जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह के हवाले से यह आशंका जताई थी कि दोनों आतंकवादियों का लिंक जैश-ए-मोहम्मद से हो सकता है. वहीं, राजौरी के एसएसपी मोहम्मद असलम का कहना था कि आतंकवादी विदेशी प्रतीत होते हैं. अभी तक इस हमले की ज़िम्मेदारी किसी ने नहीं ली थी.
लेकिन अब हाल ही में एक नए आतंकवादी संगठन ‘पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट’ ने एक वीडियो जारी किया है और हमले की जिम्मेदारी ली है. वीडियो में एक आतंकवादी, जिसका चेहरा धुंधला हो गया है यह दावा करते दिख रहा है कि “PAFF ने ईद पर एक विशेष संदेश में वादा किया था कि वह एक बड़े हमले को अंजाम देगा. राजौरी में हमने ऐसा ही किया.”
शनिवार शाम को जारी किए गए अपने नवीनतम वीडियो में आतंकवादी संगठन ने कहा है कि वह भारत को इस वर्ष के अंत में शुरू होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी नहीं करने देगा. ध्यान देने वाली बात है कि केंद्र ने जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों से कहा है कि वे दिसंबर 2022 और अगले वर्ष नवंबर के बीच होने वाली बैठकों के लिए अपने सुझाव भेजें. ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि जम्मू-कश्मीर भी इन बैठकों की मेजबानी कर सकता है जो भारत की अध्यक्षता में होंगी.
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वहीं, खुफिया एजेंसियों ने कहा कि ताजा वीडियो पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे दुष्प्रचार का हिस्सा था जो भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन को रोकना चाहता है. अपनी योजना के तहत पाकिस्तान नए आतंकी संगठनों का उपयोग कर रहा है जो जम्मू-कश्मीर में लक्षित हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं. ज्ञात हो कि अंग्रेज़ों से आज़ादी के बाद से ही भारत लगातार आतंकवाद का सामना कर रहा है. अब तो आतंकवाद से निपटने में भारत को महारथ भी हासिल हो गयी है. भारत ने आतंकियों की कमर तोड़ने के लिए कई बड़े कदम भी उठाए हैं. भारत ने कई आतंकवादी समूहों पर लगाम कसी है और इन आतंकवादी समूहों को दबोचने के पीछे जो दिमाग रहा है वह है भारत के वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 2016 के सर्जिकल लैंड स्ट्राइक और बालाकोट एरियल स्ट्राइक दोनों के ऑपरेशनल कॉकपिट में थे. डोभाल वर्ष 1968 में केरल कैडर में कोट्टायम जिले के एएसपी के रूप में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए. वो पूर्वोत्तर भारत और पाकिस्तान में सात-सात वर्ष के लिए तैनात थे. वो पंजाब में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल थे. यहां तक कि पाकिस्तान में जो सर्जिकल स्ट्राइक हुईं उनके पीछे का मास्टरमाइंड भी डोभाल ही थे. डोभाल की देखरेख में भारत ने कई बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया है. ऐसे में पाकिस्तान में जन्मे इस नए आतंकवादी संगठन को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे अजित डोभाल को अपना नया शिकार मिल गया है और जी-20 शिखर सम्मलेन से पहले इसे ख़त्म करना ही उनका लक्ष्य रहेगा.
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