अगर आपसे पूछा जाए कि आपका रोल मॉडल यानी प्रेरणास्रोत कौन है? तो अधिकतर लोग इस सवाल के जवाब में किसी मशहूर हस्ती का नाम लेंगे, फिर चाहे वो मनोरंजन जगत से जुड़ा कोई सेलिब्रिटी हो या फिर कोई स्पोर्ट्स पर्सन या कोई अन्य। आज के समय में कई लोग खेल जगत से जुड़े तमाम खिलाड़ियों को अपना मार्गदर्शक मानकर उनके जैसा बनने या फिर यूं कहें कि उनकी राह पर आगे बढ़ने की कोशिश करते रहते हैं। परंतु यह आवश्यक तो नहीं कि हर महान खिलाड़ी एक अच्छा रोल मॉडल भी हो। दिग्गज टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स के मामले में तो कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है।
दरअसल, सेरेना विलियम्स टेनिस से दूरी बना रही हैं और हाल ही में उन्होंने संन्यास को लेकर बड़ी घोषणा भी की। वो यूएस ओपन के बाद टेनिस करियर को अलविदा कहने की तैयारी में हैं। अमेरिका की सेरेना विलियम्स टेनिस की महानतम खिलाड़ियों में से एक रही हैं और जब कोई दिग्गज खिलाड़ी यूं अचानक संन्यास लेने का ऐलान करता है तो इसका असर उनके फैन्स पर भी देखने को मिलता है। सेरेना विलियम्स के संन्यास लेने की घोषणा करने के बाद से ही उनको चाहने वाले करोड़ों चेहरे मायूस हो गए हैं।
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इसमें कोई दो राय नहीं है कि सेरेना विलियम्स एक दिग्गज खिलाड़ी हैं परंतु इसके साथ ही उनमें ऐसी महिला भी नजर आती है, जो हर मामले में लैंगिक समस्या को जिम्मेदार ठहराने और विक्टिम कार्ड खेलने का प्रयास करती है। सेरेना विलियम्स का 27 साल का करियर कई उपलब्धियों से भरा रहा है परंतु इसके साथ ही ऐसे भी कई मौके आए, जब वो विवादों में घिरी। कई मौकों पर सेरेना अंपायर से भिड़ती नजर आई हैं। वो अंपायर को चोर कहने और गुस्से में अपना रैकेट फेंककर मारने की कोशिश कर चुकी हैं। इस हरकत के लिए उनपर जुर्माना भी लगा था जिसके बाद उन्होंने इसे लैंगिक भेदभाव से जोड़ दिया था।
ऐसा प्रतीत होता है कि किसी भी चीज को लैंगिक असमानता से जोड़ देना सेरेना विलियम्स की आदत में शुमार है। कुछ दिनों पहले जब अंपायर के साथ बदसलूकी करने वाले जर्मनी के अलेक्जेंडर ज्वेरेव के ऊपर जुर्माना लगाया गया था तो इस पर सेरेना ने टिप्पणी की थी और कहा था कि अगर वो ऐसे करती तो शायद वो जेल में होती।
इन सबके बाद अब सेरेना विलियम्स ने संन्यास लेने के पीछे का कारण जो कुछ बताया है, उसके बारे में जानकर आप समझ जाएंगे कि क्यों उनके जैसी महान खिलाड़ी किसी की भी प्रेरणास्त्रोत नहीं हो सकती। ध्यान देने वाली बात है कि वोग मैगजीन में अपने संन्यास पर बात करते हुए 40 वर्षीय सेरेना विलियम्स ने बताया कि वो संन्यास इसलिए ले रही हैं क्योंकि वो अपने परिवार को आगे बढ़ाना चाहती हैं और उनकी पांच वर्षीय बेटी ओलंपिया को एक बड़ी बहन बनना है।
सेरेना विलियम्स ने कहा, “वास्तव में मैं कभी भी टेनिस और परिवार के बीच में से किसी एक का चयन नहीं करना चाहती। मुझे नहीं लगता कि यह उचित है। अगर मैं एक पुरुष होती तो मैं यह नहीं सोचती क्योंकि मैं खेलती और जीतती, जबकि मेरी पत्नी हमारे परिवार के विस्तार के लिए शारीरिक श्रम कर रही होती। खैर, किसी भी महिला को अपने परिवार और करियर में से किसी एक का चुनाव नहीं करना चाहिए। दोनों के बीच संतुलन बनाना कठिन काम हो सकता है परंतु महिलाएं इसे कर रही हैं।“
अब अपने परिवार का विस्तार करने और दूसरी बार मां बनने का निर्णय तो सेरेना विलियम्स का स्वयं का है। ऐसे में इसे महिला-पुरुष से जोड़ देना और अपने संन्यास को लैंगिक समस्या बताकर स्वयं को विक्टिम दिखाने की कोशिश करना कहा तक सही नजर आता है? यह शाश्वत सत्य है और प्रकृति का वरदान है कि महिलाएं ही बच्चे पैदा कर सकती हैं लेकिन इसके लिए भी पुरुषों को जिम्मेदार ठहराना कितना जायज है?
देखा जाए तो टेनिस में उनका करियर बेहद ही शानदार रहा है। सेरेना विलियम्स अपने करियर में 23 बार की ग्रैंड स्लैम चैंपियन रह चुकी हैं। सेरेना जब मात्र तीन वर्ष की थीं, तब से ही उन्होंने टेनिस का रैकेट हाथों में थाम लिया था। वो सर्वाधिक ग्रैंड स्लैम जीतने वाली दूसरी खिलाड़ी हैं। उन्होंने अपना आखिरी ग्रैंड स्लैम 2017 में जीता था। उन्होंने छह बार यूएस ओपन का खिताब भी जीता है। साथ ही सात बार विंबल्डन जीता है। वो अपने करियर में अब तक कुल 73 टाइटल जीत चुकी हैं। इसके अलावा ओलंपिक में भी चार बार सेरेना गोल्ड मेडल अपने नाम पर चुकी हैं। लेकिन उपर्युक्त प्रकरण देखकर तो यही प्रतीत होता है कि वो एक दिग्गज खिलाड़ी जरूर हैं परंतु रोल मॉडल कतई नहीं बन सकतीं!
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