समय समय की बात है, आज किसी और का है तो कल किसी और का होगा। पर एक चीज़ जो एक सी है वो है हमारे देश में अवैध घुसपैठियों की स्थिति, जिसे आजतक सरकारें अपने असल गंतव्य तक नहीं पहुंचा पाई हैं। इन अवैध घुसपैठियों में सबसे बडे घाघ और कोई नहीं स्वयं वो रोहिंग्या मुसलमान हैं जो अवैध तरीके से देश में दाखिल हुए और तथाकथित अधिकारों की मांग पर उतर आए। मतलब चोरी तो चोरी सीनाज़ोरी में भी कमी नहीं। अब जिस सरकार से देश को विश्वास था या यूं कहें जिस सरकार ने देश की जनता को विश्वास दिलाया था कि वो इन अवैध घुसपैठियों रोहिंग्या मुसलमानों को देश में पनपने नहीं देंगे, आज वही पीएम मोदी की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार उन्हीं रोहिंग्याओं की बसावट सड़क से फ़्लैट तक सुनिश्चित कराने चली थी लेकिन लेने के देन पड़ गए। इस लेख में हम विस्तार से हाल ही उत्पन्न हुए रोहिंग्या विवाद के बारे में जानेंगे और यह भी समझने की कोशिश करेंगे कि क्या वर्तमान निर्णयों से कहीं ऐसा संदेश तो नहीं जा रहा कि मोदी सरकार UNHCR से डर रही है?
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दरअसल, विवाद पूरा विवाद उत्पन्न हुआ एक ट्वीट से। जी हाँ, एक ट्वीट से, केंद्रीय आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को ट्वीट करते हुए कहा कि दिल्ली में म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों को अपार्टमेंट आवंटित किए जाएंगे और उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाएगी। पुरी ने ट्वीट कर लिखा कि “भारत ने हमेशा उन लोगों का स्वागत किया है जिन्होंने देश में शरण मांगी है। एक ऐतिहासिक फैसले में सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाके में ईडब्ल्यूएस फ्लैटों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। उन्हें मूलभूत सुविधाएं, यूएनएचसीआर आईडी और चौबीस घंटे दिल्ली पुलिस की सुरक्षा प्रदान की जाएगी।”
India has always welcomed those who have sought refuge in the country. In a landmark decision all #Rohingya #Refugees will be shifted to EWS flats in Bakkarwala area of Delhi. They will be provided basic amenities, UNHCR IDs & round-the-clock @DelhiPolice protection. @PMOIndia pic.twitter.com/E5ShkHOxqE
— Hardeep Singh Puri (मोदी का परिवार) (@HardeepSPuri) August 17, 2022
ठहरिए, ये तो मात्र प्रारंभ है, पुरी ने ट्वीट में आगे लिखा कि “जिन लोगों ने भारत की शरणार्थी नीति को जानबूझकर #CAA से जोड़ने पर अफवाह फैलाकर करियर बनाया, वे निराश होंगे। भारत संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन 1951 का सम्मान करता है और उसका पालन करता है और सभी को उनकी जाति, धर्म या पंथ की परवाह किए बिना शरण प्रदान करता है।”
क्या यह विरोधाभासी प्रतीत नहीं होता? अब सबसे पहला प्रश्न यह आता है कि वर्ष 2014 के बाद से भारत को सुपरपॉवर बताने की कोशिश और प्रयास इसी सरकार ने किए और वास्तव में उसे स्वीकारना प्रत्येक भारतीय के लिए गौरवमयी क्षण था पर जो अब हुआ उसे देखकर यह कतई नहीं लगता कि हम एक सुपरपॉवर या भावी सुपरपॉवर हैं। क्योंकि हर स्वतंत्रता दिवस की भांति इस बार भी पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यह बात पुनः दोहरायी कि भारत को विश्व से मान्यता लेने की या सर्टिफिकेट लेने आवश्यकता नहीं है। इसी प्रकार से कुछ ही समय पूर्व विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने भी स्पष्ट किया था कि हमारे लिए देशहित सर्वोपरि हैं और दूसरे देशों की मान्यताओं की आवश्यकता हमें नहीं है।
अगर ऐसा ही था तो अब अचानक भारत को क्यों UNHCR अर्थात् शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त की स्वीकृति की ज़रुरत पड गई जो उनके सर्टिफिकेट के लिए हम अवैध घुसपैठियों रोहिंग्या मुसलमान को बसा रहे हैं? क्या ये कायरता का प्रमाण नहीं है? विडंबना की बात तो यह है कि यह सब तब है जब सत्ताधारी पार्टी भाजपा का यह मानना रहा है कि रोहिंग्या मुसलमान अवैध घुसपैठिए हैं, भाजपा ने इनकी बसावट का हमेशा मुखरता से विरोध किया है। एक समय पर गृह मंत्री और अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट तौर पर रोहिंग्या समुदाय को देश के लिए खतरा मानते हुए उन्हें देश से निकालने के लिए सक्रिय तौर पर पैरवी की थी।
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परंतु इतने सारे किये कराए का फल क्या निकला? निल बट्टे सन्नाटा, क्योंकि गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसे कोई ऑर्डर जारी नहीं किये। मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली सरकार ने ये प्रस्ताव भेजा था, जिसे त्वरित आधार पर रद्द कर दिया। तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हरदीप सिंह पुरी यूं ही हवा में बात कर रहे थे? ध्यान देने वाली बात है कि जिस दिल्ली में रोहिंग्याओं को फ्लैट दिए जाने की बात हो रही थी उसी दिल्ली में आज भी कई हिंदू शरणार्थी हैं, जो अपने यहां बिजली, पानी और मूलभूत चीज़ों के लिए बिलख रहे हैं। केजरीवाल जैसों का फ्री तंत्र यहां कभी नहीं जाएगा क्योंकि पहली बात तो वे शरणार्थी हिंदू हैं और दूसरा वे वोटबैंक नहीं हैं। परंतु जिस मोदी सरकार से यह आशा थी कि वो उन शरणार्थी हिंदुओं के लिए कुछ करेगी, वो जब ऐसा विरोधाभासी कार्य करें तो क्या ही कहें, क्या ही समझें? क्या वास्तव में मोदी सरकार UNHCR से डरती है? क्या हम ऐसे बनेंगे महाशक्ति? यदि गृह मंत्रालय की बातें शत प्रतिशत सत्य है तो क्या हरदीप सिंह पुरी जैसों को नियंत्रित करने की शक्ति भी सरकार में नहीं बची है?
आपको बताते चलें कि शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (UNHCR) एक संयुक्त राष्ट्र की संस्था है जो शरणार्थियों, विस्थापित आबादी और राज्यविहीन लोगों का समर्थन करने और उनकी रक्षा करने और उनके स्वैच्छिक प्रत्यावर्तन, स्थानीय एकीकरण या किसी तीसरे देश में पुनर्वास के लिए सहायता करने का काम करती है।
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