‘अवैध’ शब्द यूपी की योगी सरकार में कदाचित् बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसका ताज़ा उदाहरण ही योगी सरकार का नया फ़ैसला है। उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को राज्य के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जांचने के लिए उनका सर्वे कराने का फैसला लिया है। राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बताया कि राज्य सरकार ने मदरसों में छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के सिलसिले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अपेक्षा के मुताबिक, प्रदेश के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का फैसला किया है।
अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री ने कहा कि इसे जल्द ही शुरू किया जाएगा। सरकार ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों में छात्रों की संख्या, शिक्षकों, पाठ्यक्रम, उसके वित्तपोषण और किसी भी गैर-सरकारी संगठन से इसकी संबद्धता की जानकारी का पता लगाने के लिए इस सर्वेक्षण की घोषणा की है। इससे पूर्व यह निर्णय असम की हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार ने असम में लागू लिया था और अब यह उत्तर प्रदेश में आकर और सुर्ख़ियां बटोर रहा है।
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दरअसल, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में जहां एक ओर सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसे पहले से ही चल रहे हैं। उसी के विपरीत ग़ैर मान्यता प्राप्त मदरसों की भी संख्या बढ़ गई है। इस ग़ैर मान्यता प्राप्त मदरसों की आड़ में यहां अनेकों अवैध काम होते हैं और इसकी शिकायतें और सूचनाएं भी सरकार को खूब मिल रही थीं। ऐसे में सरकार की ओर से यह बड़ा कदम उठाया गया है। ध्यान देने वाली बात है कि जिन तथाकथित मदरसों को मान्यता ही नहीं मिली, उन्हें “मदरसा” करार नहीं किया गया तो वह “मदरसे” के नाम पर चल क्यों रहे हैं?
यदि चल भी रहे हैं तो जिस प्रकार मान्यता प्राप्त मदरसों का वित्तपोषण राज्य सरकार वहन करती है तो इन ग़ैर मान्यता प्राप्त मदरसों का वित्तपोषण कहां से हो रहा है यह सभी प्रश्न समाज में हैं। ये तो हो गया प्रथम कारण कि क्यों ग़ैर मान्यता प्राप्त मदरसों या यूं कहें कि अवैध मदरसों के सर्वेक्षण की बात आई। एक अन्य कारण यह भी है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, भारत सरकार ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया है ताकि मदरसों के छात्रों की बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित किया जा सके। सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने मदरसों में शिक्षा व्यवस्था को लेकर पूरी तरह सक्रिय रुख अपनाते हुए राज्य के सभी जिलाधिकारियों को सर्वे को लेकर निर्देश जारी कर दिए हैं।
आपको बताते चलें कि सरकार ने 5 अक्टूबर तक गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है। इस सर्वेक्षण के अंतर्गत सर्वे टीम में एसडीएम, बीएसए और जिला अल्पसंख्यक अधिकारी शामिल रहेंगे। टीम अपने सर्वे के बाद रिपोर्ट प्रशासन को सौंपेगी। एसडीएम या अपर जिलाधिकारी से मिली रिपोर्ट का निरीक्षण करने के बाद ही जिलाधिकारी रिपोर्ट को आगे शासन के पास भेजेंगे। जिलाधिकारियों को अपने-अपने जिले के गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की सर्वे रिपोर्ट शासन को 25 अक्टूबर तक भेजनी है।
इस पूरे सर्वेक्षण से सर्वप्रथम समाज के उन भेदियों का पर्दाफ़ाश हो जाएगा जो तथाकथित मदरसों के नाम पर अपने अवैध कामों को संचालित कर रहे हैं। दूसरा इन अवैध कामों का असल वित्तपोषण कौन कर रहा है यह भी सबके सामने आ जाएगा और तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण भाग कि वास्तव में जिस काम के लिए मदरसे बनाए जाते हैं उस संकल्प की पूर्ति हो सकेगी। अंततः यह सर्वेक्षण बुरे के लिए बुरा और अच्छे के लिए अच्छा साबित होने वाला है।
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