टाटा समूह ने जब से एयर इंडिया (Air India) को वापस लिया है तभी से वो इसमें बदलाव करने की कोशिशों में जुटा है। टाटा समूह को देश की शान के रूप में जाना जाता है। यह कहा जाता है कि टाटा ग्रुप एक बार अपना नुकसान बर्दाश्त कर लेगा लेकिन कभी भी भारत के सम्मान और उसकी आन-बान-शान में कमी नहीं होने देगा। इसके दूरदर्शी जिम्मेदार लोगों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही राष्ट्र की प्रगति में अपना अहम योगदान दिया। इस प्रतिष्ठित समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा रहे थे जिनकी भारत को लेकर एक सकारात्मक देश प्रेम वाली सोच रही हैं और वर्तमान में इसका नेतृत्व रतन टाटा कर रहे हैं।
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Indigo को कड़ी टक्कर देने वाला है टाटा एयरलाइन
यह ध्यान देने योग्य है कि यह टाटा ही थे जिन्होंने भारत के प्रीमियम अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो की नींव रखी थी। समूह ने वस्तुतः मिडास टच के भारतीय संस्करण को मूर्त रूप दिया है। समूह ने होटलियर, कंसल्टेंसी, मोबाइल और अन्य की मेजबानी में अपनी प्रमुख उपस्थिति दर्ज की है और यह बताया है कि टाटा क्यों भारत का बेहतर औद्योगिक समूह है। वहीं अब टाटा एयरलाइन कंपनी Indigo को कड़ी टक्कर देने वाला है।
इंडिगो एयरलाइन की बात करें तो 2019 में इंडिगो भारत में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में अग्रणी बन गया था। इसने जेट एयरवेज की विफलताओं को भुनाया, जिसका संचालन अप्रैल 2019 में अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। जाहिर है जेट एयरवेज की लगातार विफलताओं ने उसके सभी काम छीन लिए और उसका फायदा इंडिगो के हिस्से आया। एक सबसे अहम बात यह है कि इंडिगो ने सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय उड़ानें जोड़ीं जो पहले जेट के अधिकारों पर थीं।
जेट एयरवेज की विफलता के बाद इंडिगो ने अपने कारोबार का विस्तार किया और एक बड़े भारतीय एविएशन बाजार पर अपना प्रभुत्व बनाया जिसे उसने आज तक बरकरार रखा है। उस समय इंडिगो ने 330 से अधिक एयरबस A320 और A321 अपने जहाजों के बेड़े में शामिल कर लिए थे। इन बड़ी उपलब्धियों के चलते इसने अंतरराष्ट्रीय सर्किट में एयर इंडिया को पीछे छोड़ दिया था। यह स्वाभाविक सी बात है कि खराब वित्तीय योजना के कारण एयर इंडिया वित्तीय संकट से गुजर रही थी जबकि इंडिगो को उससे कड़ी टक्कर मिल रही थी।
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जब AI विफल रहा था
जेट एयरवेज के एविएशन सेक्टर से अस्थायी रूप से बाहर निकलने के बाद पैदा हुए खालीपन को भरने में AI विफल रहा और यह जगह Indigo ने कैप्चर कर ली। इंडिगो एयरलाइंस ने कोविड महामारी के बाद तेज वृद्धि दर्ज की है। जून के आंकड़ों के मुताबिक इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 56.9 फीसदी थी। मार्च 2022 की तिमाही तक इंडिगो के यात्री टिकट राजस्व में 38.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि इसके सहायक राजस्व में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 18.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी।
वहीं मार्च तिमाही की बात करें तो इस दौरान इंडिगो ने लगभग 1,577 दैनिक उड़ानें संचालित कीं। भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन ने एक ही समय में 73 घरेलू गंतव्यों और 15 अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों पर सेवाएं प्रदान की थीं। जिस समय जेट एयरवेज की उड़ान रुकी हुई थी, एयर इंडिया ने आर्थिक रूप से संघर्ष किया और वह विस्तार करने में विफल रहा। टाटा समूह के नेतृत्व वाले विस्तारा ने विमानन क्षेत्र को स्थिरता प्रदान की। डीजीसीए के आंकड़ों के मुताबिक विस्तारा की घरेलू बाजार में हिस्सेदारी 10.4% है और वह सेक्टर की सबसे बड़ी एयरलाइन है।
विशेष रूप से विस्तारा एयरलाइंस टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड और सिंगापुर एयरलाइंस लिमिटेड (एसआईए) का एक संयुक्त उद्यम है। संयुक्त उद्यम में टाटा संस की 51 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि एसआईए की 49 फीसदी हिस्सेदारी है। 9 जनवरी, 2015 को विस्तारा ने दिल्ली से मुंबई के लिए पहली उड़ान के साथ अपना परिचालन शुरू किया था। नेटवर्क और सेवाओं के मामले में बहुत ही कम समय में इसने अपने बिजनेस का विस्तार किया। विस्तारा एयरलाइंस भारत के भीतर और बाहर 39 गंतव्यों पर सेवाएं प्रदान करती है। यह 39 एयरबस A320, 5 बोइंग 737-800NG, 4 एयरबस A321neo और 2 बोइंग B787-9 ड्रीमलाइनर सहित 50 विमानों के बेड़े के साथ एक दिन में 220 से अधिक उड़ानें संचालित करता है।
पिछले साल 8 सितंबर को एयर इंडिया अपने मूल मालिक यानी टाटा समूह के पास वापस आ गई थी। घाटे में चल रही एयर इंडिया को टाटा ने 18,000 करोड़ रुपये की बोली में ख़रीद लिया था। 18,000 करोड़ रुपये की बोली में टाटा संस ने एयर इंडिया के 15,300 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज चुकाया, जबकि बाकी कर्ज भारत सरकार ने वहन किया।
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विस्तारा की ताकत घरेलू सेगमेंट में है
गौरतलब है कि एयर इंडिया की स्थापना 1932 में टाटा समूह ने की थी। इसकी शुरुआत टाटा एयरलाइंस के रूप में हुई थी जिसे बाद में एयर इंडिया का नाम दिया गया और 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। एयर इंडिया के पुन: अधिग्रहण के साथ टाटा समूह एविएशन सेक्टर में एक बड़ी सफलता हासिल कर सकता है। विशेष रूप से दोनों एयरलाइंस एक दूसरे के पूरक हैं। विस्तारा की ताकत घरेलू सेगमेंट में है। इसके विपरीत एयर इंडिया अंतरराष्ट्रीय बाजार पर कब्जा करती है।
ख़बरें हैं कि टाटा समूह और सिंगापुर इंटरनेशनल एयरलाइंस (एसआईए) एयर इंडिया और विस्तारा एयरलाइंस के कारोबार के विलय के लिए बातचीत कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संसाधनों का अनुकूलन करने और देश की शीर्ष एयरलाइन इंडिगो के खिलाफ एक साथ प्रतिस्पर्धा करने के उद्देश्य से संयुक्त उद्यम पर चर्चा की जा रही है। यदि विलय योजना के अनुसार होता है तो SIA 25% तक की अल्पमत हिस्सेदारी को ₹5,000 से ₹10,000 करोड़ तक बनाए रख सकती है।
इससे पहले एयर इंडिया में नियुक्तियों ने भी दो एयरलाइनों के संभावित विलय की समान रिपोर्ट को दर्शाया था। एयर इंडिया ने कैंपबेल विल्सन को एयर इंडिया का नया मुख्य कार्यकारी नियुक्त किया। विल्सन का SIA के साथ एक लंबा जुड़ाव था और उन्होंने सिंगापुर एयरलाइंस की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी स्कूट के सीईओ के रूप में कार्य किया था। एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि हाल ही में एक आंतरिक अभ्यास के अनुसार एयर इंडिया और विस्तारा का संयुक्त मूल्यांकन कम से कम ₹30,000 करोड़ हो सकता है।
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विलय से से होगा लाभ
दोनों एयरलाइनों के विलय से विस्तारा और एयर इंडिया दोनों को बड़े पैमाने की किफायतें मिलेंगी। इससे सिंगापुर एयरलाइंस को वैश्विक स्तर पर दर्जनों नये स्लॉट तक पहुंच प्राप्त करने में भी फायदा होगा। वहीं टाटा संस अपने विमानन व्यवसाय को मजबूत करने और अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने में सक्षम होंगे। हालांकि विलय की बारीकियों को अंतिम रूप देने में विलय को एक वर्ष से अधिक समय लग सकता है। विलय के बाद भी दोनों एयरलाइंस अपने-अपने ब्रांड बनाए रख सकती हैं लेकिन लंबी अवधि में केवल एक ही विमानन व्यवसाय को बनाए रख सकता है।
वर्तमान में एयर इंडिया की घरेलू बाजार हिस्सेदारी 8.5 प्रतिशत है। वह अगले पांच साल में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 30 फीसदी करना चाहता है। नये घटनाक्रम संकेत देते हैं कि भारत विमानन क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगा सकता है। अकासा एयर जैसे नये खिलाड़ी शानदार प्रवेश कर रहे हैं जबकि जेट एयरवेज अपने पिछले गौरव को प्राप्त करना चाहता है। इसके अलावा इंडिगो, एयर इंडिया, विस्तारा और स्पाइस जेट जैसी स्थापित कंपनियां यात्रियों को अधिक विकल्प प्रदान करती हैं। कई खिलाड़ी एक प्रतियोगिता सुनिश्चित करेंगे जिससे अंत में उपभोक्ताओं को केवल लाभ ही होगा। एविएशन बाजार के प्रभुत्व के लिए कई खिलाड़ी प्रतिस्पर्धा करेंगे और बदले में उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाओं के साथ किफायती उड़ानें मिलेंगी।
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