Basic Hast Rekha Gyan
स्वागत है आपका, आज के इस लेख में हस्त रेखा ज्ञान सम्बंधित सामान्य जानकारी (Hast rekha gyan) के बारें में चर्चा करने जा रहे है, आशा है कि यह लेख आप अंत तक जरूर पढ़ेंगे।
Hast rekha gyan- ज्योतिष के विभिन्न रूपों में हथेली की रेखाओं की गणना काफी दिलचस्प है। इसमें न तो समय की समस्या है और न ही जन्म की तारीख की और न ही किसी जन्म पत्रिका की जरूरत है, जहां स्थिति के बारे में व्यक्ति के भाग्य के बारे में बताया जा सकता है। यदि विवाह रेखा एक से अधिक हो तो जो रेखा लंबी हो उसे विवाह रेखा समझनी चाहिए। शेष छोटी लाइनें, प्रेम संबंधों या सगाई के बारे में बताती हैं।
यदि मुख्य रेखा लंबी हो लेकिन लहराती हो और पतली हो जाए तो यह जीवन साथी के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव को दर्शाती है। जिन लोगों की हथेली में अनामिका उंगली के नीचे पुण्य रेखा और मणिबंध से शनि रेखा मध्यमा उंगली तक जाए, ऐसा व्यक्ति राजसुख भोगता है। ऐसे व्यक्ति के ऊपर शनिदेव की भी विशेष कृपा बनी रहती है। ऐसे लोग प्रशासनिक पद पर होते हैं और जीवन में खूब धन कमाते हैं।
बुध का स्थान कनिष्ठा अंगुली (किनिष्टक) के नीचे माना जाता है। यहां से हृदय रेखा निकलकर गुरु के स्थान की ओर जाती है। किसी व्यक्ति के विवाह का आकलन उंगली के आधार पर और हृदय रेखा के बीच में दिखाई देने वाली क्षैतिज रेखाओं से होता है। विवाह की आयु, रूप, विवाह की संख्या और जीवन साथी की शारीरिक बनावट का आकलन रेखाओं की संख्या, स्थिति और आकार से किया जाना चाहिए।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार यदि हथेली में त्रिशूल का चिह्न होता है तो उसे सम्मान की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति की हथेली पर हृदय रेखा के सिरे पर गुरु पर्वत के पास त्रिशूल का चिह्न हो उसे समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। ऐसा व्यक्ति राजनीति में भी बड़ा पद पाता है और समाज में लोकप्रिय होता है। हस्त रेखा को भारतीय ज्योतिष का अभिन्न अंग माना गया है।
प्राचीन काल से ही ज्योतिष शास्त्र का अपना ही महत्व रहा है। जिस व्यक्ति को रेखाओ का ज्ञान होता है वह व्यक्ति हस्त रेखा की सहायता से किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य तथा वर्तमान में घटने वाली घटनाओं का अनुमान लगा सकता है
सूर्य रेखा-यह रेखा चन्द्र पर्वत से प्रारम्भ होकर अनामिका ऊँगली तक जाती है सूर्य रेखा वाला व्यक्ति स्वाभिमानी, निडर, द्रढ़ इच्छाशक्ति वाला होता है, साथ ही नेतृत्व प्रिय होते है तथा जीवन में हार नहीं मानते है।
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शुक्र मुद्रिका-
यह रेखा कनिष्का और अनामिका के मध्य से प्रारम्भ होती है, तथा यह तर्जनी और अनामिका के मध्य में चंद्राकार रूप में होती है। यह रेखा विलासी, कामुक, खर्चीले तथा भौतिकतावादी लोगो की हथेली में पाई जाती है।
हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार पुरुष का दायां हाथ तथा महिलाओं का बायां हाथ की हस्त रेखाओ को देखना चाहिए।
ज्योतिष विद्वान के अनुसार दोपहर या रात के समय भी हाथ की रेखाओं का आंकलन नहीं करना चाहिए।
ज्योतिष विद्वान को हाथ दिखाते समय दिमाग ठंडा तथा मन शांत होना चाहिए।
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नोट: यह जानकारी हमारी ऑनलाइन रिसर्च पर आधारित है, जिसकी सत्यता का पूर्ण दावा tfipost नहीं करता है।