देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस यूयू ललित पूरी तरह से एक्शन मोड़ में नजर आ रहे हैं। CJI के रूप में उनका कार्यकाल केवल 74 दिनों का ही हैं। मुख्य न्यायाधीश के तौर पर कार्यभारत संभालते ही जस्टिस यूयू ललित जिस तरह एक के बाद एक लंबित मामलों का निपटारा कर रहे हैं, उससे वो उदाहरण तो प्रस्तुत कर ही रहे हैं साथ ही अन्य न्यायाधीशों का मार्गदर्शन भी कर रहे हैं।
CJI के रूप में जस्टिस ललित के पास बहुत कम समय है
26 अगस्त को जस्टिस एनवी रमणा के सेवानिवृत्त होने के बाद जस्टिस उदय उमेश ललित ने देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थीं। CJI के रूप में उनका कार्यकाल केवल 8 नंवबर तक का ही है यानी उनके पास केवल 74 दिनों का कार्यकाल हैं। जस्टिस यूयू ललित यह भली भांति जानते हैं कि CJI के रूप में उनके पास समय की काफी कमी है और कई मामले अदालतों में इस वक्त लंबित पड़े हैं। ऐसे में वो एक के बाद एक तेजी से मामलों की सुनवाई करते हुए इन्हें निपटाने में जुट गए हैं।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के पहले दिन जस्टिस यूयू ललित ने 592 मामलों की सुनवाई की थी, जो एक दिन में सुने गए अब तक के सबसे अधिक मामले बताए गए हैं। इस दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण मामलों को भी निपटाया। बाबरी विध्वंस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों बड़ा निर्णय लिया। जस्टिस यूयू ललित के चीफ जस्टिस बनने के बाद से ही मामलों का निपटारा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के कार्य की गति तेज होती हुई दिख रही है।
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हाल ही में अदालत ने बाबरी विध्वंस के बाद से कोर्ट में चली आ रही सुनवाइयों को बंद करने का फैसला किया। बाबरी मस्जिद को ढहने से रोकने में यूपी सरकार और उसके कई अधिकारियों पर विफल रहने के आरोप लगाने वाली सभी अवमानना याचिकाओं को बंद किया गया। राम मंदिर और बाबरी मस्जिद से जुड़ा पूरा विवाद दो वर्षों पहले ही सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले आने के बाद समाप्त हो चुका है। ऐसे में इस मामले में जुड़ी याचिकाओं को अप्रांसगिक मानते हुए बाबरी मस्जिद मामले से जुड़ी तमाम याचिकाओं को बंद करने का निर्णय लिया।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2002 गुजरात दंगों से जुड़े 9 में से 8 मामलों की फाइल को भी बंद कर दिया। यह सभी वो मामले थे जिन पर पहले से ही निचली अदालतों द्वारा फैसला सुनाया जा चुका है। केस लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में लंबित थे। जिसके बाद CJI जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन मामलों को बंद करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि इतना समय गुजरने के बाद इन मामलों पर सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है। इन फैसलों से सुप्रीम कोर्ट द्वारा निचली अदालतों को संदेश देने की कोशिश की गयी कि वो वर्षों से लंबित उन याचिकाओं पर सुनवाई करके अपना समय न बर्बाद करें, जो अब अप्रांसगिक हो चुकी हैं।
9 नवंबर 2019 को राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाकर कोर्ट ने इस पूरे मामले को वहीं पर समाप्त कर दिया था। ऐसे ही 20 वर्षों पुराने गुजरात दंगों की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं का कोई औचित्य नहीं रह गया। यह अनावश्यक ही न्यायपालिका पर बोझ बढ़ा रही हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बड़ा निर्णय लेते हुए इन मामलों को बंद किया गया।
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कुप्रथाओं को समाप्त करने की भी तैयारी है
इसके अलावा मुस्लिमों में बहुविवाह और निकाह हलाला जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने की तैयारी भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जा रही है। तीन तलाक के बाद अब मुस्लिम महिलाओं को बहुविवाह और निकाह हलाला से भी मुक्ति दिलाने के लिए अदालत अब इन व्यवस्थाओं पर सुनवाई करने के लिए तैयार हैं। पीठ ने दशहरे की छुट्टियों के बाद इन मामलों पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है। निकाह हलाला, बहुविवाह को गैर संवैधानिक घोषित करने वाली याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांग चुका है। वहीं अब कोर्ट द्वारा इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), राष्ट्रीय महिला आयोग और अल्पसंख्यक आयोग को भी नोटिस जारी किया। अब अक्टूबर में इन मामलों पर शीर्ष अदालत में सुनवाई होने की संभावना है।
जस्टिस यूयू ललित ने मुख्य न्यायाधीश का पद संभालते ही कम समय में अधिक से अधिक मामलों की सुनवाई के लिए योजना तैयार कर ली थी। चीफ जस्टिस यूयू ललित ने संविधान पीठ के सामने सालों से लंबित पड़े मामलों के निपटारे को अपनी प्राथमिकताओं में से एक बताया था। साथ ही 29 अगस्त से एक संविधान पीठ भी बैठाने का निर्णय लिया था, जो एक-एक कर 25 मामलों की सुनवाई करेगी।
देखा जाए तो देशभर की विभिन्न अदालतों में आज करोड़ों केस लंबित पड़े हैं। ऐसे में जिस तेज गति से जस्टिस काम कर रहे हैं, वो इसके जरिए निचली न्यायालयों के लिए भी उदाहरण प्रस्तुत करते नजर आ रहे हैं। वर्तमान समय में न्यायपालिका पर जिस तरह से बोझ पड़ा हुआ है, उसके लिए हमें जस्टिस यूयू ललित जैसे मुख्य न्यायधीश की ही आवश्यकता है।
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