शर्म के आगे जब ‘बे’ जुड़ जाता तो उस शब्द की उत्पत्ति होती है जो बिलकुल निकृष्टता का भान कराता है अर्थात् बेशर्म। कुछ ऐसा ही हाल अब अरविंद केजरीवाल का हो गया है, जो स्वयं पूर्व सरकारी कर्मचारी रहे हैं पर उन्हें उनके दायरों का भान अब नहीं रहा। अपनी राजनीति के लिए वो सरकारी कर्मचारियों की पद-प्रतिष्ठा को दांव पर लगाने से भी नहीं चूक रहे हैं, कारण है सिर्फ एक “गुजरात विधानसभा चुनाव।” अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (AAP) गुजरात में चुनाव प्रचार कर रही है पर अब दिल्ली के कथित स्वघोषित मालिक और सीएम की एक विवादित टिप्पणी उन्हीं पर भारी पड़ती नजर आ रही है।
दरअसल, जब से अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में चुनाव प्रचार शुरू किया है, पहले दिन से अपने संबोधन में और अपनी बैठकों में वो किसी न किसी प्रकार सरकारी कर्मचारियों का उल्लेख करते नज़र आए हैं। हद तो तब हो गई जब 3 सितंबर को राजकोट में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अरविंद केजरीवाल ने जोर देकर कहा कि गुजरात के सरकारी कर्मचारी ‘AAP‘ की जीत के लिए काम करें। मतलब जो सरकारी कर्मचारी अपनी ज़िम्मेदारी संभालते समय यह कसम खाते हैं कि वे निष्पक्ष रहेंगे, उन सरकारी कर्मचारियों को अरविंद केजरीवाल ने उनकी पार्टी के लिए काम करने को कहा। यह तो पिछले 70 वर्ष में कोई पुरानी से पुरानी पार्टी नहीं कह पाई पर यह अरविंद केजरीवाल की ही राजनीति है, जो कुछ भी करने को आमादा हैं।
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केजरीवाल तो गयो भैया!
अब जब इतना विवादित बयान दे ही दिया था तो सरकारी कर्मचारियों का जवाब आना तो आवश्यक था पर जवाब के साथ-साथ जो मांगें सामने आई उससे अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी की पैरों तले ज़मीन अवश्य खिसक गई है। इस मामले में अब 57 पूर्व नौकरशाहों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। उनकी मांग है कि आम आदमी पार्टी की मान्यता को रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि इलेक्शन सिंबल (रिजर्वेशन एंड अलॉटमेंट) ऑर्डर, 1968 के ऑर्डर 16ए के तहत AAP पर कार्रवाई होनी चाहिए। रिटायर्ड नौकरशाहों ने गुजरात के सूरत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान पर आपत्ति जताई है।
Officers who firmly believe in rule of law & provisions of constitution of India, about 56 retired bureaucrats have given complaint to election commission. Such violations need to be stopped before they become a trend: M Madan Gopal, Karnataka ex Addl Chief Secy pic.twitter.com/59QQ1cs7WM
— ANI (@ANI) September 16, 2022
पूर्व नौकरशाहों ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने सूरत की प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुजरात के अधिकारियों से बार-बार कहा कि वे राज्य विधानसभा के चुनाव में AAP के पक्ष में काम करें और उसे जिताने में मदद करें। इस समूह ने कहा, “केजरीवाल ने पुलिस, होम गार्ड्स, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, राज्य परिवहन के ड्राइवरों, कंडक्टरों और पोलिंग बूथ ऑफिसरों समेत अन्य सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को चुनाव में आपके लिए काम करने को कहा।”
असंतुष्ट सिविल सेवकों ने दावा किया कि लोक सेवकों के नाम पर आम आदमी पार्टी अपनी चुनावी पिच तैयार कर रही है। यह “आप” द्वारा की गई एक जानबूझकर और सोची-समझी अपील है। यह किसी की अपनी राजनीतिक जीत के लिए सरकारी मशीनरी का उपयोग करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से किया जाता है। पत्र ने “आप” पर भ्रष्ट आचरण का उपयोग करने और अपने चुनावी लाभ के लिए सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करने की कोशिश को लेकर सवाल उठाए गए है। पूर्व नौकरशाहों का कहना है कि इस तरह की असंवैधानिक अपीलों को अनियंत्रित होने देना एक गंभीर सवाल खड़ा करेगा।
यह नया घटनाक्रम स्पष्ट रूप से इस बात पर प्रकाश डालता है कि गुजरात में AAP का नाम लेने वाला कोई नहीं है। राज्य में चुनाव से ठीक पहले एक मजबूत संगठनात्मक ढांचा बनाना मुश्किल हो रहा है। गुजराती मतदाताओं ने पहले ही कई बार अरविंद केजरीवाल की मुफ्त की घोषणाओं को सार्वजनिक रूप से अस्वीकार कर दिया है। ऐसे में अब पार्टी की मान्यता रद्द करने वाली मांगों के साथ पूर्व नौकरशाहों ने ‘भ्रष्ट आचरण’ वाले अरविंद केजरीवाल और पूरी आम आदमी पार्टी को निशाने पर ले लिया है। अब चुनाव आयोग की ओर से इसे लेकर क्या कदम उठाया जाता है इस पर सभी की नजरें टिकी हुई है। वहीं, अरविंद केजरीवाल को भी यह समझना होगा कि वो इतना न गिरें कि जनता से आंखे मिलाना मुश्किल हो जाए!
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