जब शासक ही हंसी-ठिठोली में व्यस्त हो तो उससे संवेदनशीलता की उम्मीद ठीक वैसी ही है जैसे भैंस के आगे बीन बजाना। जब शासक रिमोट कंट्रोल का आदी हो जाए तो राज्य की व्यवस्था का बंटाधार सुनिश्चित होना तय ही माना जाता है। पंजाब का हाल कुछ ऐसा ही है, जहां लोभ-प्रलोभन देकर सत्ता में आने वाली आम आदमी पार्टी ने राज्य को दुर्गति के रास्ते पर मोड़ दिया है। मार्च में चुनाव नतीजे आने के बाद से ही राज्य की कानून व्यवस्था हाशिये पर खड़ी है। अबतक अनेकानेक हत्याओं के बाद नई कहानी यह आई है कि अब पंजाब में ईसाई समुदाय के लोग भी सुरक्षित नहीं हैं।
दरअसल, पंजाब के तरनतारन जिले में लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर मंगलवार की रात को एक स्थानीय चर्च में जबरन प्रवेश किया और यीशु और मैरी की एक मूर्ति को तोड़ दिया। उन्होंने पादरी की कार में भी आग लगा दी। बैखौफ बदमाश नकाबपोश होने के साथ ही हथियारबंद थे। पुलिस के अनुसार, चार नकाबपोश युवकों ने चर्च में प्रवेश किया, चौकीदार के सिर पर पिस्तौल तान दी और चर्च में तोड़फोड़ करने और वाहन में आग लगाने से पहले उसके हाथ बांध दिए। बताया जा रहा है कि तोड़फोड़ करने वाले लोग अपने साथ चर्च का कुछ सामान भी ले गए हैं। हालांकि, अभी तक उन लोगों की पहचान नहीं हो पाई है जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है।
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यह शर्म की बात है कि जब से भगवंत मान ने सरकार की कमान संभाली है उस दिन से राज्य की कानून व्यवस्था धरातल पर जा पहुंची है। ऐसे ज़मींदोज़ हुई है कि उठने के प्रयास के बाद भी वो सुशासन की ओर परिलक्षित नहीं हो पा रही है। कभी गाड़ी में हत्या, कभी घर के बाहर हत्या, कभी बीच बाजार में हत्या, पंजाब से हर रोज ऐसी ख़बरें सामने आती रही हैं। आलम तो यह है कि जो शासन समाजवादी पार्टी की नेतृत्व वाली सरकार के समय उत्तरप्रदेश का हुआ करता था, ठीक वही पीड़ा आज पंजाब की जनता महसूस कर रही है।
यह भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार की नाकामी है कि उनके सत्ता में आने के 21 दिन के भीतर ही राज्य में 19 हत्याएं दर्ज की गई थीं। यह संख्या दिन-प्रतिदिन बढती ही गई। बावजूद इसके, मई माह के अंत में पंजाब सरकार के आदेश पर पंजाब पुलिस ने 424 लोगों की सुरक्षा हटाई। परिणाम यह रहा कि उसके 2 दिन बाद ही प्रचलित गायक और रैपर सिद्धू मूसेवाला की हत्या उन्हीं के गांव में कर दी गई। इसके बाद भी मान सरकार ने सबक नहीं लिया। राज्य में गैंगस्टर गुट के हौंसले बुलंद होते गए, खालिस्तानियों को शह मिलती गई और पंजाब क्राइम कैपिटल बनने की राह पर शत-प्रतिशत परिपूर्ण हो गया।
हालिया घटनाक्रम ईसाई समूह पर हुए घात को प्रदर्शित करता है, जहां प्राणहानि होने की प्रबल संभावना थी। तरनतारन जिले में हुई इस घटना को लेकर ईसाइयों के एक समूह ने बुधवार को इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और खेमकरण, भीखीविंड, पट्टी, हरीके और फिरोजपुर की ओर जाने वाले सभी मार्गों को अवरुद्ध कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने आरोपितों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। लेकिन यह तब ही तो संभव है जब सरकार रिमोट कंट्रोल से नहीं बल्कि त्वरित फैसले लेने वाली टीम से चले। दिल्ली में बैठे अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में भगवंत मान को मात्र रबर स्टांप की भांति सीएम बनाकर बैठा दिया है, सारे निर्णय केजरीवाल के हाथों ही निकल रहे हैं। ऐसे में उम्मीद शांति-सेवा और न्याय की बात क्या ही की जा सकती है जहां शासक ही ‘रोबोट’ हो!
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