चीन जितना अपने उल्टे-फ़ुल्टे खान पान के लिए बदनाम है, उतना ही बदनाम वह अपने पड़ोसियों के साथ ख़राब रिश्तों को लेकर है। चीन की विस्तारवादी मंसूबों से उसके अधिकतर पड़ोसी त्रस्त हैं किंतु इन्हीं पड़ोसियों में एक पड़ोसी भारत भी है जो न सिर्फ़ चीन को मुंहतोड़ जवाब देता है अपितु उसे चारों खाने चित्त करने में पूर्णतया सक्षम भी है। चीन को अब वैश्विक मंचों पर भी लताड़ लगाने में भारत एक कदम भी पीछे नहीं हटता। यही कारण है कि भारत के प्रति चीन आये दिन कुछ न कुछ तिकड़म लगाते रहता है लेकिन अब भारत द्वारा हर मोर्चे पर उसे जोरदार पटखनी भी मिलती है। इसी बीच चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना खास तैयारी कर रही है। पूर्वी लद्दाख और तनावग्रस्त इलाकों में दुश्मन को करारा जवाब देने के लिए सेना ने चक्रव्यूह तैयार किया है, जिसका नाम है- प्रोजेक्ट जोरावर।
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क्या है प्रोजेक्ट जोरावर?
दरअसल, समंदर से लेकर अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में सुरक्षा को और मजबूत बनाने की दिशा में भारत लगातार काम कर रहा है। आधुनिक मिसाइलों से लेकर टैंक, ड्रोन, हेलीकॉप्टर और पोत तैनात किए जा रहे हैं। अब प्रोजेक्ट जोरावर के तहत भारतीय सेना स्वदेशी लाइट वेट टैंक खरीदने की तैयारी कर रही है, जिन्हें पूर्वी लद्दाख में खतरों वाले इलाके में हल्के टैंकों को तैनात करने की योजना है। खास बात ये है कि लाइट टैंक के प्रोजेक्ट का नाम जम्मू कश्मीर रियासत के पूर्व कमांडर जोरावर सिंह के नाम रखा गया है। जोरावर सिंह ने 19वीं सदी में चीनी सेना को हराकर तिब्बत में अपना परचम लहराया था। प्रोजेक्ट जोरावर के तहत भारतीय सेना में 350 लाइट टैंक शामिल किए जाएंगे। ये हल्के टैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ड्रोन सिस्टम से लैस होंगे। इन टैंकों को चीन से सटी सीमा और तनावग्रस्त इलाकों में तैनात किया जाएगा।
ध्यान देने वाली बात है कि सेना जल्द ही रक्षा मंत्रालय से लाइट टैंक लेने की मंजूरी लेने वाली है। इन हल्के टैंकों को मेक इन इंडिया के तहत देश में ही तैयार किया जाएगा। खबरों की मानें तो भारतीय सेना इन टैंकों को पूर्वी लद्दाख से सटी LAC यानी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल पर तैनात करने के लिए लेना चाहती है। मौजूदा समय में भारत के पास जो भी टैंक हैं उनका वजन 40-70 टन के बीच है, जिन्हें खासतौर पर मैदानी और रेगिस्तानी क्षेत्रों के लिए डिजाइन किया गया था। पहाड़ी क्षेत्रों में इनकी तैनाती किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है। दूसरी ओर भारतीय सेना, प्रोजेक्ट जोरावर के तहत जिन टैंकों का निर्माण कराने जा रही है उनका वजन करीब 25 टन होगा। हल्के टैंकों को चिनूक हेलिकॉप्टर से भी LAC तक पहुंचाना आसान हो जाएगा। C-17 ग्लोबमास्टर से भी एक साथ कई टैंक LAC तक पहुंचाए जा सकते हैं।
ड्रैगन पर नकेल कसने की तैयारी
बताते चलें कि प्रोजेक्ट जोरावर के तहत हल्के टैंकों में भारी टैंक की तरह ही फायर पावर तो होगी ही साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) युक्त ड्रोन से भी लैस होंगे। ये हल्के टैंक उंचा पहाड़ों से लेकर दर्रों तक से भी निकल सकते हैं। टी-72 सेना के सबसे सफल टैंकों में से एक है और इन टैंकों को बड़ी मशक्कत से LAC तक पहुंचाया गया है लेकिन इन्हें बार बार मूव करना बेहद मुश्किल होता है। ड्रैगन की सेना इस तरह के हल्के टैंकों से पहले से ही लैस है, जिन्हें पहाड़ों पर आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया जा सकता है। चीन के साथ उत्तरी सीमा पर सैन्य गतिरोध और चुनौतियों को देखते हुए हल्के टैंक तैनात करने को लेकर कदम उठाया गया है। इसी कारण भारतीय सेना हल्के टैंकों की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि चीन दुनिया के सबसे घटिया देशों में से एक है और भारत के साथ उसका सीमा विवाद कोई नया नहीं है। हमेशा किसी न किसी मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा होती रहती हैं। जिसमें चीन पहले अपनी गंदी हरकत दिखाता हैं फिर भारत अपना पलटवार करता हैं। चीन हमेशा कुछ न कुछ ऐसी हिमाकत करता रहता है। जिसके कारण दोनों देशों के बीच कभी भी रिश्ते समान्य नहीं हो पाते। चीन अकसर एलएसी में घुसपैठ करने की कोशिश में लगा रहा है लेकिन अब उसकी बैंड बजनी तय है। वैसे भी गलवान में भारत चीन को पहले ही अपनी ताकत दिखा चुका है और उसकी वजह से ही चीन की जिनपिंग सरकार को आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर भारी नुकसान झेलने को मिला था। अब भारतीय सेना एलएसी पर अपनी ताकत को दोगुना करने की तैयारियों में लग गई है, जो चीन के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है।
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