कहते हैं शिक्षा उस शेरनी का दूध है जिसने पिया उसने दहाड़ा है. इसी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए बड़े ज़ोर शोर से एडटेक कंपनियां शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन के उद्देश्य से उतरी थी किंतु शिक्षा में क्रांति लाने की बात कौन कहे, इन बड़ी बड़ी कंपनियों ने तो सीमा से अधिक जाकर शिक्षा का बाज़ारीकरण ही कर दिया. शिक्षा और शिक्षक दोनों के क्रय-विक्रय की पराकाष्ठा हो गई. बड़ी बड़ी कंपनी जैसे BYJU’S, लीडो, अनएकेडमी का नाम तो आपने सुना ही होगा. यह कंपनियां काफी ज़ोर शोर के साथ बाजार में उतरी, अपनी पैठ जमाई किंतु अब पतन के रास्ते पर है. एडटेक स्टार्टअप लीडो लर्निंग और BYJU’S की मौजूदा हालत से तो कुछ ऐसा ही प्रतीत होता नजर आ रहा है. BYJU’s की हालत खस्ता है और अब लीडो लर्निंग भी दिवालिया हो चुकी है. ध्यान देने वाली बात है कि इस स्टार्टअप में Upgrad के फाउंडर रोनी स्क्रूवाला, पेटीएम के विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) और शादी.कॉम के अनुपम मित्तल जैसे दिग्गज निवेशकों का पैसा लगा है.
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हाल ही में 1200 कर्मचारियों की हुई थी छंटनी
लेकिन कहते हैं न, सारे पापों का हिसाब आपको यहीं देना होता है. एडटेक कंपनी लीडो के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. इस कंपनी ने बड़ी व्याकुलता के साथ विलय के लिए पहले अनेक विकल्पों की खोज की किंतु असफलता हाथ लगने के बाद अब कंपनी ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन कर दिया है. कंपनी के बोर्ड मेंबर्स ने दिवालियापन संहिता की धारा 10 के तहत आवेदन दायर करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है. कंपनी ने एनसीएलटी (NCLT) की मुंबई बेंच में इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया है. कंपनी ने मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स को रेगुलेटरी फाइलिंग में इसका खुलासा किया है. ज्ञात हो कि करीब सात महीने पहले लीडो लर्निंग ने अपने 1200 कर्मचारियों को निकाल दिया था.
कंपनी ने फाइलिंग में कहा कि वह अपना कर्ज उतारने की स्थिति में नहीं है और वह डिफॉल्ट कर रही है. कंपनी ने अपने कर्मचारियों को कई महीने से सैलरी नहीं दी है. ध्यान देने वाली बात है कि इस वर्ष कई स्टार्टअप कंपनियां 11,000 से अधिक कर्मचारियों को निकाल चुकी है. कोरोना महामारी के कारण पिछले दो वर्ष में डिजिटलीकरण ने जोर पकड़ा था लेकिन स्थिति सामान्य होने के बाद अब उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं. इन कंपनियों के निवेशकों का जोर अब मुनाफे पर है और उसका असर कुछ इस तरह से सामने देखने को मिल रहा है.
वस्तुतः कोरोना महामारी के बाद छात्रों के अपने भौतिक कक्षाओं में लौटने के बाद, एडटेक दिग्गज जैसे लीडो के साथ-साथ अन्य कंपनियों के लिए भी अपना अस्तित्व बनाए रखना मुश्किल प्रतीत हो रहा है. पिछले दो वर्षों में कोरोनाकाल वाले डिजिटलीकरण के बाद, भर्ती की प्रक्रिया ठंडी चल रही है क्योंकि स्टार्टअप कंपनियों पर फंडिंग नहीं मिलने और कर्ज बढ़ने के कारण बोझ बढ़ते जा रहा है. आपको बता दें कि यह कंपनियां लगातार घाटे में जा रही है और उन्हें अपने कर्मचारियों की लगातार छंटनी करनी पड़ रही है.
एडटेक सेक्टर में सबसे ज्यादा छंटनी
पिछले कुछ महीनों में एडटेक सेक्टर में सबसे ज्यादा छंटनी हुई है. दुनिया के सबसे बड़ी एडटेक कंपनी BYJU’S ने भी Toppr और Whitehat Jr से बड़े पैमाने पर छंटनी की है. BYJU’S ने पिछले वर्ष 15 करोड़ डॉलर में Toppr को खरीदा था और अगस्त 2020 में वाइटहैट जूनियर को 30 करोड़ डॉलर में खरीदा था. इनके अलावा एडटेक दिग्गज वेदांतु ने भी मई 2022 में 624 पूर्णकालिक और संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त करने के बाद अगस्त 2022 में अन्य 100 कर्मचारियों को निकाल दिया है. कंपनी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी वामसी कृष्णा ने वैश्विक मैक्रो-हेडविंड और आसन्न मंदी की आशंकाओं को छंटनी के प्रमुख कारणों के रूप में जिम्मेदार ठहराया है.
कुछ इसी तरह का संकेत यूनिकॉर्न अनएकेडमी ने भी दिए हैं. कंपनी के सह संस्थापक गौरव मुंजाल ने मई 2022 में कर्मचारियों को ‘फंडिंग विंटर’ की चेतावनी भी दी थी. यह तब हुआ जब अनएकेडमी ने अपने मुख्य व्यवसाय और समूह की कंपनियों में लगभग 1000 संविदात्मक एवं पूर्णकालिक कर्मचारियों को निकाल दिया. ऐसा ही कुछ हाल BYJU’S का भी होने वाला है. भारी निवेश के कारण कंपनी का खजाना खत्म होने लगा है और व्यवसाय के ऑफलाइन मोड में शिफ्ट होने से राजस्व के स्रोत भी सीमित हो गए हैं. TFI आपको पहले भी बता चुका है कि BYJU’S दिवालिया होने की कगार पर खड़ी है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अपने लालच के क्रम में इन एडटेक कंपनियों ने ऑनलाइन शिक्षा को लेकर ऐसा वातावरण तैयार किया है जो स्वत: ही इनके ताबूत में कील ठोक रहा है.
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