मानव गलतियों का पुतला है और सुबह का भूला यदि शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। शायद यही मनोस्थिति इस समय आमिर खान की भी रही होगी, जब उन्होंने एक मार्मिक अपील में सभी से ‘लाल सिंह चड्ढा’ जैसी त्रासदी देने के लिए क्षमा मांगी। हाल ही में आमिर खान प्रोडक्शन ने एक महत्वपूर्ण ट्वीट में पोस्ट किया-
“मिच्छामि दुक्कडम्
हम सब इंसान हैं… और गलतियाँ हमसे ही होती है
कभी भूल से… कभी हरकतों से
कभी अनजाने में
कभी गुस्से में… कभी मजाक में
कभी नहीं बात करने से
अगर मैंने किसी भी तरह से कभी भी आपका दिल दुखाया हो…
तो मन, वचन, काया से क्षमा माँगता हूँ…
मिच्छामि दुक्कडम्”
— Aamir Khan Productions (@AKPPL_Official) September 1, 2022
कमाल है, आप भी सोच रहे हैं ऐसा हृदय परिवर्तन आमिर खान में कब से आया? स्थिति ही ऐसी है, विपत्ति क्या से क्या न करा दे। सामान्यतः विदेशों में चलने वाली आमिर खान की फिल्म ने लाल सिंह चड्ढा को भी नकार दिया। ‘ब्राउज़ ऑफिस इंडिया’ ने आंकड़े गिनाते हुए बताया है कि ‘लाल सिंह चड्ढा’ ने 15 दिनों में ओवरसीज में 7.1 मिलियन डॉलर (56.70 करोड़ रुपए) ही कमाए हैं। इस्लामी अरब मुल्कों में भी आमिर खान की फिल्म 1.5 मिलियन डॉलर (11.98 करोड़ रुपए) के आंकड़े को छूने में भी कामयाब नहीं हो पाई। कुल मिलाकर 180 करोड़ रुपये के मुकाबले भारत से लाल सिंह चड्ढा ने मात्र 56-57 करोड़ रुपये और बाकी विदेशी कलेक्शन के सहारे किसी तरह 120 करोड़ रुपये कमाए हैं पर इतना कलेक्शन उनकी फिल्म को बचाने के लिए अपर्याप्त है।
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परंतु क्षमा तो मुहम्मद गोरी ने भी अनेक बार मांगी थी तो आमिर खान की क्या हस्ती? यह पैंतरा पूर्व में भी आमिर खान ने अपनाया था, जब वर्ष 2018 में आमिर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी थी। तब भी आमिर खान ने इसी उक्ति का सहारा लिया था। तब उन्होंने हालांकि अंत में “Love, a.” भी लिखा था। इस बार ऐसा कुछ नहीं लिखने के पीछे वजह शायद वही बता पाएंगे।
इसके अतिरिक्त उनके फिल्म के सदस्य भी जिस प्रकार की प्रतिक्रिया दे रहे हैं, उससे ऐसा प्रतीत हो रहा हैं कि आमिर खान केवल खानापूर्ति के लिए ये क्षमा याचना कर रहे हैं। दरअसल, लाल सिंह चड्ढा को रचने वाले अभिनेता अतुल कुलकर्णी ने उल्टे जनता को इस फिल्म की असफलता के लिए कोसते हुए ट्वीट किया, “जब विनाश का बड़े स्तर पर जश्न मनाया जाने लगे तो कड़वी सच्चाई कोई मायने नहीं रखती।” अतुल कुलकर्णी ने अपने ट्वीट से यह भी जताया है कि ऐसा इस समय पूरी दुनिया में चल रहा है। इस ट्वीट के बाद अतुल ने अपने प्रोफाइल पर कमेंट्स को भी लॉक कर लिया।
When destruction is celebrated as if it were a spectacle, the harsh truths are reduced to debris. #globalphenomenon
— atul kulkarni (@atul_kulkarni) August 28, 2022
ध्यान देने वाली बात है कि ये वही अतुल कुलकर्णी हैं, जिन्होंने लाल सिंह चड्ढा में एजेंडा नहीं, उसकी पराकाष्ठा की सीमाएं लांघ दी थी। इस फिल्म ने तो इतिहास का अस्थिपंजर कर दिया, एल्विस प्रेसले के स्थान पर शाहरुख खान कुछ नहीं तो निशान-ए-पाकिस्तान के लिए अगले दावेदार निस्संदेह अतुल कुलकर्णी को माना जा सकता है। वियतनाम युद्ध की तुलना कारगिल से करना एक बात पर लेफ्टिनेंट डैन जैसे चरित्र को एक शत्रु, आतंक समर्थक चरित्र में परिवर्तित करना और फिल्म के माध्यम से आतंकवाद का महिमामंडन कर कैप्टन सौरभ कालिया, स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा, कैप्टन मनोज कुमार पांडेय, कैप्टन विक्रम बत्रा और असंख्य योद्धाओं के बलिदान का जो उपहास उड़ाया गया और उसपर अस्वीकरण का पोस्टर लगाकर बचने का असफल प्रयास किया गया, वो अतिनिंदनीय है।
ये वही अतुल कुलकर्णी हैं, जिन्होंने वर्ष 2018 में भारत के अस्तित्व को ही नकार दिया था और इसके लिए वो सोशल मीडिया पर ही जूतम पैजार पर उतर आए थे। परंतु यह तो कुछ भी नहीं है। अतुल कुलकर्णी केवल इतने पर रुक जाते कि वो हिन्दू विरोधी हैं तो शायद उन्हें ‘जेएनयू छाप आंदोलनजीवी’ मानकर लोग छोड़ भी देते परंतु वर्ष 2018 के उनके एक ट्वीट से यह भी स्पष्ट होता है कि वो केवल हिन्दू विरोधी ही नहीं, भारत विरोधी भी हैं क्योंकि वो भारत को एक राष्ट्र ही नहीं मानते। उन्होंने कभी ट्वीट करते हुए कहा था कि “भारत देशों का एक समूह है, इस तथ्य को इसके राजनीतिक निर्माण के समय ही स्वीकार कर लेना चाहिए था।”
अब ऐसे लोगों को लेंगे, एक घटिया उत्पाद बनाएंगे, जिसे OTT पर प्रोपेगेंडा शिरोमणि ‘Netflix’ तक लेने को तैयार नहीं हो तो उस पर ऐसा माफीनामा सूट नहीं करता। आमिर खान को कम से कम अपने ही मंडली के साथी फरहान अख्तर के इन ‘स्वर्णिम शब्दों’ को स्मरण करना चाहिए था कि “दबाव में निकली माफी हृदय से निकली माफी के समक्ष कुछ नहीं!”
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