मनुष्य के चरित्र का बहुत बड़ा भाग उसके लालन पालन पर निर्भर करता है और चाहे वो कहीं पर भी जाकर वास करे, एक न एक दिन उसका वास्तविक चरित्र प्रदर्शित हो ही जाता है। यदि उदाहरण के रूप में लें तो किसी भी समुदाय का अतीत शांति पर निर्भर रहा हो तो उस समुदाय के सभी लोग लगभग वैसा ही व्यवहार करेंगे। लेकिन किसी समुदाय का अतीत ही हिंसा और अशांति पर आधारित हो तो उस समुदाय के लोगों की मानसिकता भी लगभग ऐसी ही होगी।
कट्टरपंथी और शांतिप्रिय समुदाय से जुड़े कुछ लोगों ने इंग्लैंड के वेस्ट मिडलैंड्स के स्मेथविक शहर में ऐसे ही व्यवहार का प्रदर्शन किया है। कथित रूप से मुस्लिम समुदाय से जुड़े लगभग 200 लोग शहर के एक हिंदू मंदिर के बाहर योजनाबद्ध रूप से विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्रित हुए। सोशल मीडिया पर इससे संबंधित कई वीडियो वायरल हुए जिनमें लोगों की भारी भीड़ को देखा जा सकता है जो कि स्पॉन लेन में स्थित दुर्गा भवन हिंदू केंद्र की तरह बढ़ते हुए दिख रहे हैं। इनमें से कई लोगों को ‘अल्ला-हु अकबर’ का नारा लगते हुए सुना जा रहा है। इससे पहले भी ऐसी ही कुछ यूनाइटेड किंगडम के लीसेस्टर शहर में देखने को मिला था।
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इंग्लैंड में हुए हिंदुओं पर हमले
28 अगस्त को एशिया कप के मुकाबले में पाकिस्तान को 5 विकेट से भारत ने हरा दिया था। इसके बाद मुस्लिम समुदाय द्वारा यूनाइटेड किंगडम के लीसेस्टर शहर में रहने वाले मासूम हिंदुओं पर हमला बोल दिया गया। इन सभी हमलों को देखकर ऐसा ही प्रतीत होता है जैसे कि ये सब किसी योजना के तहत किया गया हो।
इतना ही नहीं इन इस्लामिस्टों ने हिंदू मंदिर और युवाओं पर भी अपने हमलों का कहर बरपाया। लीसेस्टर शहर में बिना किसी भय के सार्वजनिक रूप से इन्होंने पवित्र धार्मिक ध्वज को फाड़ कर उसका अपमान कर उसे जला दिया। ये कट्टरपंथी पुलिस पर भी हमला करने से पीछे नहीं हटे। इस पूरी घटना को देखते हुए तो ऐसा ही लगने लगा है जैसे ये हिन्दुओं पर अपनी कोई पुरानी भड़ास निकाल रहे हों। ऐसे ही चलता रहा तो कई और शहर जंग का मैदान बन जाएंगे।
बर्मिंघम वर्ल्ड की एक रिपोर्ट कि माने तो ‘अपना मुस्लिम’ नाम के एक सोशल मीडिया अकाउंट के द्वारा बीते दिन दुर्गा भवन मंदिर के बाहर जाकर “शांतिपूर्ण विरोध” का जाप किया गया है। पिछले हफ्ते भारत-पाकिस्तान एशिया कप क्रिकेट मैच के बाद हिंदू और मुस्लिम समूह की झड़प हुई थी। हालांकि पुलिस के रोकने के बाद भी इस्लामिस्टों ने हिन्दुओं पर अपना कहर कम नहीं किया। इसके बाद लंदन में भारतीय उच्चायोग ने भारतीय समुदाय के साथ हुई हिंसा की बहुत निंदा की और इससे प्रभावित लोगों के लिए सुरक्षा के प्रबंध करने की बात कही। लीसेस्टर दंगों में कथित रूप से इस तरह व्यवहार करने वाले 47 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
इसके बाद हिंदू और मुस्लिम समुदायों के कुछ नेता मंगलवार की सुबह लीसेस्टर की एक मस्जिद की सीढ़ियों पर जमा हुए और एक संयुक्त बयान जारी करते हुए शांति, शांति और सद्भाव का जाप किया। साथ ही उन्होंने “उकसाने और हिंसा” को तुरंत खत्म करने की बात कही।
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लीसेस्टर से ही क्यों हुई इन हमलों की शुरुआत?
इन हमलों की शुरुआत एशिया कप में भारत के द्वारा पाकिस्तानी क्रिकेट टीम को हरा देने के बाद हुई थी। लीसेस्टर ब्रिटेन में हिंदू समुदाय का एक बड़ा समुदाय है। यह शहर 70 से भी अधिक सालों से बसा हुआ है साथ ही लीसेस्टर में हिंदू आबादी भी बहुत अधिक है। इसी कारण यहां हिन्दुओं के बहुत से त्योहार धूम-धाम से मनाए जाते हैं।
लीसेस्टर की कुल जनसांख्यिकी
ईसाइयों की संख्या- : 181,882 (32.4%)
मुस्लिम की संख्या: 104,413 (18.6%)
हिंदू की संख्या: 85.327 (15.2%)
सिख की संख्या: 24,700 (4,4%)
बौद्ध की संख्या: 2 245 (0.40)
यहूदी की संख्या: 561 (0.1%)
रिपोर्ट के अनुसार, इन हमलों के बाद हिंदुओं के कई घरों और उनकी सम्पत्तियों की हानि हुई है, कुछ लोगों को चोट भी आयी है जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती भी करवाया गया है। लगातार तीन दिनों से चल रही इस हिंसा के बाद से उस क्षेत्र में रहने वाले सभी हिंदू बहुत डरे हुए हैं। इन क्षेत्रों में रहने वाले सभी हिन्दू परिवारों ने अपने-अपने बच्चों को स्कूल तक नहीं भेजा है। इतना ही नहीं कुछ लोगों ने तो अपने घर के बाहर लगे ओम के चिह्न और शुभ-लाभ के चिह्न तक को हटा दिया है। जिससे कि कोई भी उनको पहचान न सके और वो किसी भी मुसीबत में पड़ने से बच जाएं।
लेकिन लीसेस्टर में इस तरह हिंसक घटना पहले भी हो चुकी है। जुलाई 2017 में कट्टरपंथी/इस्लामिस्टों ने मोटरसाइकिल पर झंडा लिए एक हिंदू व्यक्ति को धकेल दिया था जिससे वो व्यक्ति घायल हो गया था। इस समय पुलिस ने कोई भी सख्त कारवाई नहीं की थी।
मुस्लिम समुदाय के द्वारा यूनाइटेड किंगडम के लीसेस्टर शहर में रहने वाले मासूम हिंदुओं पर हमला होता हुआ देख भी पुलिस ने कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया। बल्कि वो तो एक मूक दर्शक बनकर सारा तमाशा देखती रही। ऐसे में यह कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा कि इन सब हमलों के इस रूप में बढ़ जाने का एक कारण लापरवाह पुलिस भी है।
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