भारत कभी सोने की चिड़िया हुआ करता था, स्वयं में समृद्धि का पर्याय समेटे भारत में संभावनाओं के असीम अवसर विद्यमान हुआ करते थे. कभी दुनिया के जीडीपी में एक तिहाई हिस्सा रखने वाला भारत अंग्रेजों के राज में अपनी चमक खो बैठा. गोरों ने इस कदर भारत को लूटा कि भारत को दोबारा उठने में कई दशक लग गए. भुखमरी, लचर स्वास्थ्य व्यवस्था, पंगु कृषि व्यवस्था एवं ध्वस्त हो चुके बुनियादी ढांचे ने भारत को चौतरफ़ा घेर रखा था. कभी विश्व के एक तिहाई बाज़ार पर राज करने वाले विशाल भारत की जीडीपी वर्ष 1947 में मात्र 2.7 लाख करोड़ रह गई. अंग्रेजों ने भारत को बर्बाद करने की कोई भी कसर नही छोड़ी थी परंतु वह कहावत है न कि आप किसी से उसका सब कुछ छीन सकते हैं किंतु उसका कौशल एवं ज्ञान नहीं.
टीएफआई प्रीमियम में आपका स्वागत है. आज़ादी के भारत ने विकास की जो राह पकड़ी उसने उन सभी के मुंह पर ज़ोरदार तमाचा जड़ा, जो कभी भारत को भूखों नंगों का देश कहा करते थे. भारत के विकास की इस यात्रा को चार चांद लगाने का कार्य मोदी सरकार के कार्यकाल में प्रारम्भ हुआ जिसका क्रांतिकारी परिणाम हमारे समक्ष है. हाल ही में भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में 13.5% के साथ अपने पूरे इतिहास में सबसे अधिक तिमाही आर्थिक वृद्धि दर्ज की, जिसमें सभी क्षेत्रों का परस्पर योगदान रहा है. ध्यान देने वाली बात है कि पिछले कुछ महीने में देश के अंदर प्रत्यक्ष से लेकर अप्रत्यक्ष करों में प्रभावशाली वृद्धि हुई है. कंपनियां पहले से बेहतर रूप से क्रय कर रही हैं, लोगों के पारिश्रमिकों में भी अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है, विश्व भर में चल रही उथल पुथल के बीच भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जिसे लेकर जितने घरेलू निवेशक उत्साहित हैं उतने ही उत्साहित विदेशी निवेशक भी हैं.
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भारत बढ़ता ही जा रहा है
ज्ञात हो कि कृषि क्षेत्र को ऐसे ही भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ नहीं कहा जाता है. कोरोना के समय से ही कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था को उबारने का काम करती आई है. मौजूदा समय में इस ऐतिहासिक विकास दर को हासिल करने के क्रम में कृषि क्षेत्र ने लगभग 4.5 फीसदी की वृद्धि के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जो एक वर्ष पहले इसी तिमाही में 2.2 प्रतिशत थी. ध्यान देने वाली बात है कि विश्व भर में गेहूं और चावल की बढ़ती मांगों के बीच भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 50 बिलियन डॉलर से अधिक का कृषि उत्पादों का निर्यात किया था. हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर उल्लेखनीय रूप से घटकर 4.8 प्रतिशत रही जो एक वर्ष पहले इसी तिमाही में 49 प्रतिशत थी. आंकड़ों के अनुसार, खनन क्षेत्र में जीवीए वृद्धि 6.5 प्रतिशत रही. वहीं, निर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर जून, 2022 को समाप्त तिमाही में घटकर 16.8 प्रतिशत रही.
बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य उपयोगी सेवाओं के क्षेत्र में वृद्धि दर 14.7 प्रतिशत रही जो एक वर्ष पहले इसी तिमाही में 13.8 प्रतिशत थी. जीवीए वृद्धि दर व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से सेवाओं जैसे सेवा क्षेत्र में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 25.7 प्रतिशत रही. वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रही जो एक वर्ष पहले इसी तिमाही में 2.3 प्रतिशत थी. लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं की वृद्धि दर जून, 2022 को समाप्त तिमाही में 26.3 प्रतिशत रही जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 6.2 प्रतिशत थी.
लॉकडाउन में सबसे कम प्रभावित हुए क्षेत्रों में वित्तीय, रियल एस्टेट एवं सेवा क्षेत्र शामिल हैं. इस क्षेत्र पर शायद ही लॉकडाउन का कोई असर पड़ा क्योंकि यह दोहरे अंक के समीप पहुंच गया है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था के मज़बूत बुनियादी पिलर एवं उसमें विद्यमान असीम विकास की क्षमता को दर्शाता है. कुल मिलाकर, भारतीय अर्थव्यवस्था ने कृषि, विनिर्माण और सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ समग्र रूप से बेहतरीन प्रदर्शन किया. हालांकि, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का विकास आयात में हुए वृद्धि के कारण प्रभावित हुई.
दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत
यह भी सत्य है कि आयात को रोका नहीं जा सकता. सरकार को चाहिए कि वह व्यापार को संतुलित करने के क्रम में कदम उठाए। आयातित वस्तुओं को मेड इन इंडिया उत्पादों द्वारा प्रतिस्थापित करने की आवश्यकता है क्योंकि वह रोज़गार तो पैदा करेगा ही साथ में जीडीपी में सकारात्मक रूप से योगदान भी देगा। सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर काफी आशावादी दिखाई पड़ रही है और यह उम्मीद भी कर रही है कि वैश्विक उथल पुथल एवं मंद आर्थिक विकास के मध्य भारतीय अर्थव्यवस्था अपवाद के रूप में स्थापित होगी. देश की नीति निर्धारण में यह डाटा बेहद अहम भूमिका निभाता है. यह देश के विनिर्माण, खनन और कई महत्वपूर्ण क्षेत्र की मौजूदा स्थिति को दर्शाता है. इस डाटा को सरकारी एजेंसियां सर्वे के जरिए कारखानों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से मिले डाटा के आधार पर तैयार करती हैं.
हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भारत की जीडीपी (India’s GDP) के दोहरे अंकों के विकास की संभावना पर बल देते हुए कहा कि हमारा देश दूसरों के मुकाबले काफी मजबूत स्थिति में है और हमें अब उन वर्गों की मदद करने के लिए आगे आना होगा, जिन्हें हमारी जरूरत है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, वित्त मंत्री ने हाल ही में कहा कि भारत के मंदी में जाने की आशंका शून्य है. उन्होंने विश्वास जताया कि भारत की विकास दर दोहरे अंकों में रहेगी. सरकार ने इसे लेकर काफी काम किया है, जिस कारण मंदी का कोई भी खतरा नहीं है. आपको बताते चलें कि यदि भारत आगामी 5 वर्षों तक 7-8% की विकास दर की सततता को बनाए रखता है तो वह जर्मनी और जापान को पछाड़ते हुए अमेरिका एवं चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन जाएगा. हाल ही में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना.
वैश्विक एजेंसियों का कहना है कि जर्मनी और जापान को पछाड़कर दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. अगर विकास दर ऐसे ही बढ़ता रहा तो भारत वर्ष 2027 तक जर्मनी और 2029 तक जापान से आगे निकल जाएगा और विश्व पटल पर एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा. यानी अर्थव्यवस्था के मामले में तीसरे स्थान पर पहुंचने के लिए अब केवल हमें कुछ वर्षों का ही इंतजार करना होगा. ऐसा हम यूं ही नहीं कह रहे हैं बल्कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपने एक रिसर्च पेपर में इस संबंध में बड़ा दावा किया है. वर्तमान समय की बात की जाए तो वैश्विक स्तर पर भारत का जीडीपी का हिस्सा फिलहाल 3.5 प्रतिशत है. यह वर्ष 2014 में 2.6 फीसदी था. वहीं, वर्ष 2027 तक भारत का जीडीपी में हिस्सा 4 प्रतिशत हो सकता है और अभी वैश्विक जीडीपी में जर्मनी की हिस्सेदारी 4 फीसदी ही है. ऐसे में वर्ष 2027 तक भारत के जर्मनी से आगे निकलने की उम्मीदे हैं और बहुत संभावनाएं हैं कि विकास की मौजूदा दर पर 2029 तक भारत जापान को भी पीछे छोड़ देगा.
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